"संत तिरुवल्लुवर के अनमोल वचन": अवतरणों में अंतर
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* आवश्यक समय पर पहुंचाई गई सहायता अल्प होने पर भी उपयुक्त होती है। ~ तिरुवल्लुवर | * आवश्यक समय पर पहुंचाई गई सहायता अल्प होने पर भी उपयुक्त होती है। ~ तिरुवल्लुवर | ||
* अपने ख़ज़ाने में वृद्धि करने के लिए दूसरे के हिस्से को हड़प लेने वाला व्यक्ति निकृष्ट है। ~ तिरुवल्लुवर | * अपने ख़ज़ाने में वृद्धि करने के लिए दूसरे के हिस्से को हड़प लेने वाला व्यक्ति निकृष्ट है। ~ तिरुवल्लुवर | ||
* सुखद मधुर वचन व्यक्त करने वालों के पास | * सुखद मधुर वचन व्यक्त करने वालों के पास दु:ख कभी नहीं फटकता। ~ तिरुवल्लुवर | ||
* स्नेह शून्य सब वस्तुओं को अपने लिए मानते हैं। स्नेह संपन्न अपने शरीर को भी दूसरों का मानते हैं। ~ तिरुवललुवर | * स्नेह शून्य सब वस्तुओं को अपने लिए मानते हैं। स्नेह संपन्न अपने शरीर को भी दूसरों का मानते हैं। ~ तिरुवललुवर | ||
* सभी दीपक दीपक नहीं हैं। बुद्धिमानों के लिए सत्य वचन रूपी दीपक ही [[दीपक]] है। ~ तिरुवल्लुवर | * सभी दीपक दीपक नहीं हैं। बुद्धिमानों के लिए सत्य वचन रूपी दीपक ही [[दीपक]] है। ~ तिरुवल्लुवर | ||
* | * दु:ख से दुखित न होने वाले उस दु:ख को ही दुखद कर देंगे। ~ तिरुवल्लुवर | ||
* दूसरे के उपकार का विस्मरण उचित नहीं होता, पर दूसरे पर उपकार को उसी दम भूल जाना ही उचित है। ~ तिरुवल्लुवर | * दूसरे के उपकार का विस्मरण उचित नहीं होता, पर दूसरे पर उपकार को उसी दम भूल जाना ही उचित है। ~ तिरुवल्लुवर | ||
* दु:ख आ पड़ने पर मुस्कराओ। उसका सामना करके विजयी होने का साधन इसके समान और कोई नहीं है। ~ तिरुवल्लुवर | * दु:ख आ पड़ने पर मुस्कराओ। उसका सामना करके विजयी होने का साधन इसके समान और कोई नहीं है। ~ तिरुवल्लुवर | ||
* नम्रता और मीठे वचन ही मनुष्य के आभूषण होते हैं। शेष सब नाममात्र के भूषण हैं। ~ संत तिरुवल्लवुर | * नम्रता और मीठे वचन ही मनुष्य के आभूषण होते हैं। शेष सब नाममात्र के भूषण हैं। ~ संत तिरुवल्लवुर | ||
* निरंतर और अथक परिश्रम करने वाले भाग्य को भी परास्त कर देंगे। ~ तिरुवल्लुवर | * निरंतर और अथक परिश्रम करने वाले भाग्य को भी परास्त कर देंगे। ~ तिरुवल्लुवर | ||
* प्रिय शब्द स्वयं कह कर दूसरों के शब्दों के प्रयोजन को हृदयंगम करना निर्मल स्वभाव वाले | * प्रिय शब्द स्वयं कह कर दूसरों के शब्दों के प्रयोजन को हृदयंगम करना निर्मल स्वभाव वाले महान् व्यक्तियों का सिद्धांत है। ~ तिरुवल्लुवर | ||
* वाक्पटु, निरालस्य व निर्भीक व्यक्ति से विरोध करके उससे कोई नहीं जीत सकता। ~ तिरुवल्लुवर | * वाक्पटु, निरालस्य व निर्भीक व्यक्ति से विरोध करके उससे कोई नहीं जीत सकता। ~ तिरुवल्लुवर | ||
* फूल सूंघने से मुरझा जाता है, मगर अतिथि का दिल तोड़ने के लिए एक निगाह ही काफ़ी है। ~ तिरुवल्लुवर | * फूल सूंघने से मुरझा जाता है, मगर अतिथि का दिल तोड़ने के लिए एक निगाह ही काफ़ी है। ~ तिरुवल्लुवर |
11:04, 1 अगस्त 2017 के समय का अवतरण
संत तिरुवल्लुवर के अनमोल वचन |
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इन्हें भी देखें: अनमोल वचन, कहावत लोकोक्ति मुहावरे एवं सूक्ति और कहावत