"रवींद्रनाथ टैगोर के अनमोल वचन": अवतरणों में अंतर
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* फूल चुनकर इकट्ठा करने के लिए मत ठहरो। आगे बढ़े चलो। तुम्हारे पथ में फूल निरंतर खिलते रहेंगे। | * फूल चुनकर इकट्ठा करने के लिए मत ठहरो। आगे बढ़े चलो। तुम्हारे पथ में फूल निरंतर खिलते रहेंगे। | ||
* अन्य के भीतर प्रवेश करने की शक्ति और अन्य को संपूर्ण रूप से अपना बना लेने का जादू ही प्रतिभा का सर्वस्व और वैशिष्ट्य है। | * अन्य के भीतर प्रवेश करने की शक्ति और अन्य को संपूर्ण रूप से अपना बना लेने का जादू ही प्रतिभा का सर्वस्व और वैशिष्ट्य है। | ||
* | * दु:ख के सिवा और किसी उपाय से हम अपनी शक्ति को नहीं जान सकते, और अपनी शक्ति को जितना ही कम करके जानेंगे, आत्मा का गौरव भी उतना ही कम करके समझेंगे। | ||
* भगवान की दृष्टि में, मैं तभी आदरणीय हूं जब मैं कार्यमग्न हो जाता हूं। तभी ईश्वर एवं समाज मुझे प्रतिष्ठा देते हैं। | * भगवान की दृष्टि में, मैं तभी आदरणीय हूं जब मैं कार्यमग्न हो जाता हूं। तभी ईश्वर एवं समाज मुझे प्रतिष्ठा देते हैं। | ||
* मनुष्य की सभी वृत्तियों का चरम प्रकाश धर्म में होता है। | * मनुष्य की सभी वृत्तियों का चरम प्रकाश धर्म में होता है। | ||
* हम संसार को ग़लत पढ़ते हैं और कहते हैं कि वह हमें धोखा देता है। | * हम संसार को ग़लत पढ़ते हैं और कहते हैं कि वह हमें धोखा देता है। | ||
* हम | * हम महान् व्यक्तियों के निकट पहुंच जाते हैं, जब हम नम्रता में महान् होते हैं। | ||
* भगवान की दृष्टि में, मैं तभी आदरणीय हूं जब मैं कार्यमग्न हो जाता हूं। तभी ईश्वर एवं समाज मुझे प्रतिष्ठा देते हैं। | * भगवान की दृष्टि में, मैं तभी आदरणीय हूं जब मैं कार्यमग्न हो जाता हूं। तभी ईश्वर एवं समाज मुझे प्रतिष्ठा देते हैं। | ||
* मनुष्य का जीवन एक महानदी की भांति है जो अपने बहाव द्वारा नवीन दिशाओं में राह बना लेती है। | * मनुष्य का जीवन एक महानदी की भांति है जो अपने बहाव द्वारा नवीन दिशाओं में राह बना लेती है। |
11:27, 1 अगस्त 2017 के समय का अवतरण
रवींद्रनाथ टैगोर के अनमोल वचन |
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इन्हें भी देखें: अनमोल वचन, कहावत लोकोक्ति मुहावरे एवं सूक्ति और कहावत
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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