"सौंदर्य (सूक्तियाँ)": अवतरणों में अंतर
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|सुंदरता सबको चाहिए। इसके लिये आओ, बाहर आओ। पूजाघर में और खेल के मैदानों में सौंदर्य बिखरा पड़ा है .. उससे अपना तन और मन भर लो। | |सुंदरता सबको चाहिए। इसके लिये आओ, बाहर आओ। पूजाघर में और खेल के मैदानों में सौंदर्य बिखरा पड़ा है .. उससे अपना तन और मन भर लो। | ||
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|विश्व की सर्वश्रेष्ठ [[कला]], [[संगीत]] व [[साहित्य]] में भी कमियाँ देखी जा सकती है लेकिन उनके यश और सौंदर्य का आनंद लेना श्रेयस्कर है। | |||
|श्री परमहंस योगानंद | |||
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|यह सच है कि कवि सौंदर्य को देखता है। जो केवल बाहरी सौंदर्य को देखता है वह कवि है, पर जो मनुष्य के मन के सौंदर्य का वर्णन करता है वह महाकवि है। | |||
| [[रामनरेश त्रिपाठी]] | |||
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|तुम कहते हो की स्वर्ग में शाश्वत सौंदर्य है, शाश्वत सौंदर्य अभी है यहाँ, स्वर्ग में नही। | |||
|[[आचार्य रजनीश]] | |||
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|आंतरिक सौंदर्य का आह्वान करना कठिन काम है। सौंदर्य की अपनी भाषा होती है, ऐसी भाषा जिसमें न शब्द होते हैं न आवाज़। | |||
| राजश्री | |||
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|जिस साहित्य से हमारी सुरुचि न जागे, आध्यात्मिक और मानसिक तृप्ति न मिले, हममें गति और शक्ति न पैदा हो, हमारा सौंदर्य प्रेम न जागृत हो, जो हममें संकल्प और कठिनाइयों पर विजय प्राप्त करने की सच्ची दृढ़ता न उत्पन्न करे, वह हमारे लिए बेकार है वह साहित्य कहलाने का अधिकारी नहीं है। | |||
|[[प्रेमचंद]] | |||
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|जिस देह से श्रम नहीं होता, पसीना नहीं निकलता, सौंदर्य उस देह को छोड़ देता है। | |||
| लक्ष्मीनारायण मिश्र | |||
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|[[कवि]] सौंदर्य देखता है। वह चाहे बर्हिजगत का हो चाहे अंतर्जगत का। जो केवल बाहरी सौंदर्य का ही वर्णन करता है, वह कवि है पर जो मनुष्य के मन के सौंदर्य का भी वर्णन करता है, वह महाकवि है। | |||
| [[रामनरेश त्रिपाठी]] | |||
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|मनुष्य इस संसार में अकेला ही जन्मता है और अकेला ही मर जाता है। एक धर्म ही उसके साथ-साथ चलता है, न तो मित्र चलते हैं और न बांधव। कार्यों में सफलता, सौभाग्य और सौंदर्य सब कुछ धर्म से ही प्राप्त होते हैं। | |||
| [[मत्स्य पुराण]] | |||
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|सौंदर्य पवित्रता में रहता है और गुणों में चमकता है। | |||
| शिवानंद | |||
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|जो जाति जितनी ही अधिक सौंदर्य प्रेमी है, उसमें मनुष्यता भी उतनी ही अधिक होती है। | |||
| [[हजारीप्रसाद द्विवेदी]] | |||
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|जिस सौंदर्य में भोलेपन की झलक नहीं, वह बनावटी सौंदर्य है। | |||
| बालकृष्ण भट्ट | |||
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|सच्चे सौंदर्य का रहस्य सच्ची सरलता है। | |||
| साधु वासवानी | |||
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|सौंदर्य संसार की सभी संस्तुतियों से बढ़कर है। | |||
| [[अरस्तु]] | |||
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|जरूरी नहीं कि जो रूप में ठीक हो, वह सद्गुण संपन्न भी हो। | |||
| शेख सादी | |||
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| (38) | |||
|सौंदर्य देखने वाले की आंख में होता है। | |||
| शेक्सपियर | |||
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== |
11:22, 12 मार्च 2012 का अवतरण
क्रमांक | सूक्तियाँ | सूक्ति कर्ता |
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(1) | सुन्दरता बिना श्रृंगार के मन मोहती है। | सादी |
(2) | वास्तविक सोन्दर्य ह्रदय की पवित्रता में है। | महात्मा गांधी |
(3) | सुन्दर वही हो सकता है जो कल्याणकारी हो। | भगवतीचरण वर्मा |
(4) | सोंदर्य आकार और सममिति पर निर्भर होता है। चाहे कोई जीव छोटा हो या बेहद बड़ा वह ख़ूबसूरती को परिभाषित नहीं करता, क्योंकि उसको एक दृष्टि मात्र में देखने पर उसकी स्पष्ट नहीं होती है, इसलिए वे परिपूर्ण की श्रेणी में नहीं आते। | अरस्तु |
(5) | मेरी नजर में मेरा क़रीबी दोस्त कभी भी वृद्ध नहीं हो सकता। वह वैसा ही रहेगा जैसा मैंने उसे पहली बार देखा था, उसकी खुबसूरती वैसी ही दिखेगी जैसी मैंने पहली नजर में देखी थी। | विलियम शेक्सपियर |
(6) | अतिशय सुंदरता कभी-कभी हमें भयानक रूप से ठेस भी पहुंचा सकती है। | एदुआर्दो गैलियानो |
(7) | इसे बयां करने के लिए स्थापित मानक नहीं हैं, न ही नाक – नक्श का वणर्न करना काफ़ी है। | डी. एच. लॉरेंस़ |
(8) | ये तो दिल की रोशनी है, बहुत ध्यान से देखनी पड़ती है। | खलील जिब्रान |
(9) | जो सुंदरता आंखों द्वारा देखी जाती है, वह कुछ ही पल कि होती है, यह जरूरी भी नहीं कि हमारे भीतर से भी वही ख़ूबसूरती दिखाई दे। | जॉर्ज सेंड |
(10) | दुनिया की सबसे अच्छी और ख़ूबसूरत चीजें कभी देखी या छुई नहीं गई, वे बस दिल के साथ घुल – मिल गईं। | हेलेन कलर |
(11) | याद रहे- सूरज डूब गया तो वसंत भी नहीं आएगा। | गिल्सन |
(12) | एक शख्स हर दिन संगीत सुने, थोड़ी सी कविता पढ़े और अपने जीवन की सुंदर तस्वीर रोज देखे … उसे सुंदरता की परिभाषा तलाशने की ज़रूरत ही नहीं, क्योंकि भगवान ने सरे संसार का सौंदर्य उसकी झोली में डाल रखा है। | गोयथे |
(13) | ख़ूबसूरती में मानव खुद को पूर्णता के स्तर पर देखता है, कुछ परिस्थितियों में वह खुद की पूजा करता है, मनुष्य यह मान लेता कि यह पूरा विश्व ख़ूबसूरती से भरा हुआ है यह भूल जाता है कि जो सुंदरता वह देख रहा है वह उसके द्वारा बनाई हुई है। मानव ने अकेले ही इस जहान को ख़ूबसूरती अर्पित कि है। | फ्रेडरिक नीत्शे |
(14) | सुंदरता जब आपको आकर्षित कर रही होती है, व्यक्तित्व तब तक आपके दिल पर कब्ज़ा कर चुका होता है। | अज्ञात |
(15) | हम सारी दुनिया घूमते और ख़ूबसूरती तलाशते रहते हैं.. कभी मुड़ के भी नहीं देखते.. अपने पास ही छुपी हुई ख़ूबसूरती की और। | इमर्सन |
(16) | कभी भी कुछ सुंदर देखने का मौका मत छोडो, सच तो यह है कि ख़ूबसूरती भगवान की लिखावट है.. हर चेहरे पर, धुले-धुले आसमान में, हर फूल में उसकी लिखावट नज़र आएगी.. और हे भगवान, इस सौंदर्य के लिये हम आपके आभारी हैं। | राल्फ वाल्डो इमर्सन |
(17) | सुंदरता सबको चाहिए। इसके लिये आओ, बाहर आओ। पूजाघर में और खेल के मैदानों में सौंदर्य बिखरा पड़ा है .. उससे अपना तन और मन भर लो। | जोन मुइर |
(18) | सदा जवान रहने के लिए मुख का सौंदर्य नहीं, मस्तिष्क की उड़ान ज़रूरी है। | मार्टी बुचेला |
(19) | अच्छा साहित्य जीवन के प्रति आस्था ही उत्पन्न नहीं करता, वरन उसके सौंदर्य पक्ष का भी उदघाटन कर उसे पूजनीय बना देता है। | |
(20) | कवि और चित्रकार में भेद है। कवि अपने स्वर में और चित्रकार अपनी रेखा में जीवन के तत्व और सौंदर्य का रंग भरता है। | डा. रामकुमार वर्मा |
(21) | ला का अंतिम और सर्वोच्च ध्येय सौंदर्य है। | गेटे |
(22) | कुरूपता मनुष्य की सौंदर्य विद्या है। | चाणक्य |
(23) | सौंदर्य और विलास के आवरण में महत्त्वाकांक्षा उसी प्रकार पोषित होती है जैसे म्यान में तलवार। | डॉ. रामकुमार वर्मा |
(24) | विश्व की सर्वश्रेष्ठ कला, संगीत व साहित्य में भी कमियाँ देखी जा सकती है लेकिन उनके यश और सौंदर्य का आनंद लेना श्रेयस्कर है। | श्री परमहंस योगानंद |
(25) | यह सच है कि कवि सौंदर्य को देखता है। जो केवल बाहरी सौंदर्य को देखता है वह कवि है, पर जो मनुष्य के मन के सौंदर्य का वर्णन करता है वह महाकवि है। | रामनरेश त्रिपाठी |
(26) | तुम कहते हो की स्वर्ग में शाश्वत सौंदर्य है, शाश्वत सौंदर्य अभी है यहाँ, स्वर्ग में नही। | आचार्य रजनीश |
(27) | आंतरिक सौंदर्य का आह्वान करना कठिन काम है। सौंदर्य की अपनी भाषा होती है, ऐसी भाषा जिसमें न शब्द होते हैं न आवाज़। | राजश्री |
(28) | जिस साहित्य से हमारी सुरुचि न जागे, आध्यात्मिक और मानसिक तृप्ति न मिले, हममें गति और शक्ति न पैदा हो, हमारा सौंदर्य प्रेम न जागृत हो, जो हममें संकल्प और कठिनाइयों पर विजय प्राप्त करने की सच्ची दृढ़ता न उत्पन्न करे, वह हमारे लिए बेकार है वह साहित्य कहलाने का अधिकारी नहीं है। | प्रेमचंद |
(29) | जिस देह से श्रम नहीं होता, पसीना नहीं निकलता, सौंदर्य उस देह को छोड़ देता है। | लक्ष्मीनारायण मिश्र |
(30) | कवि सौंदर्य देखता है। वह चाहे बर्हिजगत का हो चाहे अंतर्जगत का। जो केवल बाहरी सौंदर्य का ही वर्णन करता है, वह कवि है पर जो मनुष्य के मन के सौंदर्य का भी वर्णन करता है, वह महाकवि है। | रामनरेश त्रिपाठी |
(31) | मनुष्य इस संसार में अकेला ही जन्मता है और अकेला ही मर जाता है। एक धर्म ही उसके साथ-साथ चलता है, न तो मित्र चलते हैं और न बांधव। कार्यों में सफलता, सौभाग्य और सौंदर्य सब कुछ धर्म से ही प्राप्त होते हैं। | मत्स्य पुराण |
(32) | सौंदर्य पवित्रता में रहता है और गुणों में चमकता है। | शिवानंद |
(33) | जो जाति जितनी ही अधिक सौंदर्य प्रेमी है, उसमें मनुष्यता भी उतनी ही अधिक होती है। | हजारीप्रसाद द्विवेदी |
(34) | जिस सौंदर्य में भोलेपन की झलक नहीं, वह बनावटी सौंदर्य है। | बालकृष्ण भट्ट |
(35) | सच्चे सौंदर्य का रहस्य सच्ची सरलता है। | साधु वासवानी |
(36) | सौंदर्य संसार की सभी संस्तुतियों से बढ़कर है। | अरस्तु |
(37) | जरूरी नहीं कि जो रूप में ठीक हो, वह सद्गुण संपन्न भी हो। | शेख सादी |
(38) | सौंदर्य देखने वाले की आंख में होता है। | शेक्सपियर |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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