"आ": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
No edit summary
पंक्ति 10: पंक्ति 10:
|पाठ 3='ा'  (जैसे- का, ता, पा इत्यादि)
|पाठ 3='ा'  (जैसे- का, ता, पा इत्यादि)
|शीर्षक 4=व्याकरण
|शीर्षक 4=व्याकरण
|पाठ 4= [[[संस्कृत]] ([[धातु]]) आप्+क्विप् पृषो. प-लोप] [[पुल्लिंग]]- शिव, महादेव; स्त्रीलिंग- लक्ष्मी, रमा।
|पाठ 4= [[[संस्कृत]] (धातु) आप्+क्विप् पृषो. प-लोप] [[पुल्लिंग]]- शिव, महादेव; स्त्रीलिंग- लक्ष्मी, रमा।
|शीर्षक 5=
|शीर्षक 5=
|पाठ 5=
|पाठ 5=

12:01, 26 नवम्बर 2016 का अवतरण

विवरण देवनागरी वर्णमाला का दूसरा स्वर है।
भाषाविज्ञान की दृष्टि से कण्ठ्य, दीर्घ ('अ' का दीर्घ रूप), मध्य, अवृत्तमुखी तथा अर्धविवृत स्वर है और 'घोष' ध्वनि है।
अनुनासिक रूप आँ (जैसे- आँख, आँगन)
मात्रा 'ा' (जैसे- का, ता, पा इत्यादि)
व्याकरण [[[संस्कृत]] (धातु) आप्+क्विप् पृषो. प-लोप] पुल्लिंग- शिव, महादेव; स्त्रीलिंग- लक्ष्मी, रमा।
संबंधित लेख , , , ,
अन्य जानकारी तत्सम क्रियार्थक संज्ञाओं के पहले लगकर विविध अर्थ देता है। जैसे- राधन > आराधन, लोचन > आलोचन, कलन > आकलन

देवनागरी वर्णमाला का दूसरा स्वर है। भाषाविज्ञान की दृष्टि से यह कण्ठ्य, दीर्घ ('अ' का दीर्घ रूप), मध्य, अवृत्तमुखी तथा अर्धविवृत स्वर है और 'घोष' ध्वनि है।

विशेष-
  1. 'आ' का अनुनासिक रूप 'आँ' है (जैसे- आँख, आँगन)।
  2. 'आ' स्वर की मात्रा खड़ी रेखा 'ा' है जो व्यंजन के दाहिनी ओर लगती है (जैसे- का, ता, पा इत्यादि)
  3. [संस्कृत (धातु) आप्+क्विप् पृषो. प-लोप] पुल्लिंग- शिव, महादेव; स्त्रीलिंग- लक्ष्मी, रमा।
'आ' एक उपसर्ग भी है जो संस्कृत तत्सम शब्दों में जुड़कर अनेक अर्थ देता है-
  • पर्यन्त/तक (जैसे- आमरण)
  • आदि से अन्त तक या भर (जैसे- आजीवन)
  • अन्दर सब स्थानों पर व्याप्त या अन्दर तक (जैसे- आपाताल)
  • सहित (जैसे- आबालवृद्ध)
  • विपरीत, उलटा या विलोम (जैसे- आगत)
  • ओर/तरफ़ (जैसे- आकर्षण)
  • तत्सम क्रियार्थक संज्ञाओं के पहले लगकर विविध अर्थ देता है (जैसे- राधन > आराधन, लोचन > आलोचन, कलन > आकलन)[1]

'आ' से कुछ शब्द




पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिन्दी शब्दकोश खण्ड-1 पृष्ठ- 271

संबंधित लेख