"रवींद्रनाथ टैगोर के अनमोल वचन": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replacement - " दुख " to " दु:ख ") |
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replacement - " महान " to " महान् ") |
||
पंक्ति 32: | पंक्ति 32: | ||
* मनुष्य की सभी वृत्तियों का चरम प्रकाश धर्म में होता है। | * मनुष्य की सभी वृत्तियों का चरम प्रकाश धर्म में होता है। | ||
* हम संसार को ग़लत पढ़ते हैं और कहते हैं कि वह हमें धोखा देता है। | * हम संसार को ग़लत पढ़ते हैं और कहते हैं कि वह हमें धोखा देता है। | ||
* हम | * हम महान् व्यक्तियों के निकट पहुंच जाते हैं, जब हम नम्रता में महान् होते हैं। | ||
* भगवान की दृष्टि में, मैं तभी आदरणीय हूं जब मैं कार्यमग्न हो जाता हूं। तभी ईश्वर एवं समाज मुझे प्रतिष्ठा देते हैं। | * भगवान की दृष्टि में, मैं तभी आदरणीय हूं जब मैं कार्यमग्न हो जाता हूं। तभी ईश्वर एवं समाज मुझे प्रतिष्ठा देते हैं। | ||
* मनुष्य का जीवन एक महानदी की भांति है जो अपने बहाव द्वारा नवीन दिशाओं में राह बना लेती है। | * मनुष्य का जीवन एक महानदी की भांति है जो अपने बहाव द्वारा नवीन दिशाओं में राह बना लेती है। |
11:27, 1 अगस्त 2017 के समय का अवतरण
रवींद्रनाथ टैगोर के अनमोल वचन |
---|
इन्हें भी देखें: अनमोल वचन, कहावत लोकोक्ति मुहावरे एवं सूक्ति और कहावत
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख