"सोमदेव के अनमोल वचन": अवतरणों में अंतर

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* अपने कल्याण के इच्छुक व्यक्ति को स्वेच्छाचारी नहीं होना चाहिए।   
* अपने कल्याण के इच्छुक व्यक्ति को स्वेच्छाचारी नहीं होना चाहिए।   
* दो व्यक्तियों के एक चित्त होने पर कोई कार्य असाध्य नहीं होता।   
* दो व्यक्तियों के एक चित्त होने पर कोई कार्य असाध्य नहीं होता।   
* बल तथा कोश से संपन्न महान व्यक्तियों का महत्व ही क्या यदि उन्होंने दूसरों के कष्ट का उसी क्षण विनाश नहीं किया।   
* बल तथा कोश से संपन्न महान् व्यक्तियों का महत्व ही क्या यदि उन्होंने दूसरों के कष्ट का उसी क्षण विनाश नहीं किया।   
* धन तो असमय के मेघ के समान अकस्मात आता है और चला जाता है।   
* धन तो असमय के मेघ के समान अकस्मात आता है और चला जाता है।   
* परिश्रमी धीर व्यक्ति को इस जगत में कोई वस्तु अप्राप्य नहीं है।   
* परिश्रमी धीर व्यक्ति को इस जगत में कोई वस्तु अप्राप्य नहीं है।   

07:32, 6 अगस्त 2017 के समय का अवतरण

सोमदेव के अनमोल वचन
  • बिना जाने हठ पूर्वक कार्य करने वाला अभिमानी विनाश को प्राप्त होता है।
  • विपत्ति में भी जिसकी बुद्धि कार्यरत रहती है, वही धीर है।
  • अपने कल्याण के इच्छुक व्यक्ति को स्वेच्छाचारी नहीं होना चाहिए।
  • दो व्यक्तियों के एक चित्त होने पर कोई कार्य असाध्य नहीं होता।
  • बल तथा कोश से संपन्न महान् व्यक्तियों का महत्व ही क्या यदि उन्होंने दूसरों के कष्ट का उसी क्षण विनाश नहीं किया।
  • धन तो असमय के मेघ के समान अकस्मात आता है और चला जाता है।
  • परिश्रमी धीर व्यक्ति को इस जगत में कोई वस्तु अप्राप्य नहीं है।
  • शील ही विद्वानों का धन है।
  • मोहांध और अविवेकी के समीप लक्ष्मी अधिक समय नहीं रहती।
  • अपने कल्याण के इच्छुक व्यक्ति को स्वेच्छाचारी नहीं होना चाहिए।
  • लोभियों को उपहार देना उनके आकर्षण की एक मात्र औषध है।
  • साधु जन दुर्लभ वस्तु प्राप्त करके भी स्वार्थ-साधन में प्रवृत्त नहीं होते।
  • विदेश में बंधु का मिलना मरुस्थल में अमृत के निर्झर की प्राप्ति के समान होता है।
  • धीर पुरुषों का स्वभाव यह होता है कि वे आपत्ति के समय और भी दृढ़ हो जाते हैं।

इन्हें भी देखें: अनमोल वचन, कहावत लोकोक्ति मुहावरे एवं सूक्ति और कहावत


टीका टिप्पणी और संदर्भ

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