अनमोल वचन 4
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अनमोल वचन |
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विषय सूची
- 1 अनमोल वचन
- 2 गणित
- 3 तकनीकी / अभियान्त्रिकी / इन्जीनीयरिंग / टेक्नालोजी
- 4 कम्प्यूटर / इन्टरनेट
- 5 कला
- 6 भाषा / स्वभाषा
- 7 साहित्य
- 8 संगति / सत्संगति / कुसंगति / मित्रलाभ / एकता / सहकार / सहयोग / नेटवर्किंग / संघ
- 9 संस्था / संगठन / आर्गनाइजेशन
- 10 साहस / निर्भीकता / पराक्रम/ आत्म्विश्वास / प्रयत्न
- 11 भय, अभय, निर्भय
- 12 अनुभव / अभ्यास
- 13 सफलता, असफलता
- 14 सुख-दुःख , व्याधि , दया
- 15 मान , अपमान , सम्मान
- 16 अभिमान / घमण्ड / गर्व
- 17 धन / अर्थ / अर्थ महिमा / अर्थ निन्दा / अर्थ शास्त्र /सम्पत्ति / ऐश्वर्य
- 18 धनी / निर्धन / गरीब / गरीबी
- 19 व्यापार
- 20 विकास / प्रगति / उन्नति
- 21 राजनीति / शासन / सरकार
- 22 लोकतन्त्र / प्रजातन्त्र / जनतन्त्र
- 23 नियम / क़ानून / विधान / न्याय
- 24 व्यवस्था
- 25 विज्ञापन
- 26 अवसर / मौक़ा / सुतार / सुयोग
- 27 शक्ति / प्रभुता / सामर्थ्य / बल / वीरता
- 28 युद्ध / शान्ति
- 29 प्रश्न / शंका / जिज्ञासा / आश्चर्य
- 30 सूचना / सूचना की शक्ति / सूचना-प्रबन्धन / सूचना प्रौद्योगिकी / सूचना-साक्षरता / सूचना प्रवीण / सूचना की सतंत्रता / सूचना-अर्थव्यवस्था
- 31 अज्ञान
- 32 अतिथि
- 33 अत्याचार
- 34 अधिकार
- 35 अनुभव
- 36 अन्याय
- 37 अपराध
- 38 अभिमान
- 39 अभिलाषा
- 40 अवसर
- 41 अहिंसा
- 42 आंसू
- 43 आचरण
- 44 आत्म विश्वास
- 45 आनंद
- 46 आपत्ति
- 47 आशा
- 48 इंद्रियां
- 49 ईर्ष्या
- 50 उत्साह
- 51 उदारता
- 52 उधार
- 53 उपकार
- 54 उपदेश
- 55 उपहार
- 56 उपेक्षा
- 57 एकता
- 58 एकाग्रता
- 59 एकांत
- 60 ऐश्वर्य
- 61 कल्पना
- 62 कंजूसी
- 63 कवि - कविता
- 64 कष्ट
- 65 काम
- 66 कायरता
- 67 कुरूपता
- 68 ख्याति
- 69 गुण
- 70 क्षमा
- 71 चतुराई
- 72 चापलूसी
- 73 चेहरा
- 74 चिकित्सा
- 75 चोरी
- 76 जनता
- 77 जीविका
- 78 जीवन
- 79 झगड़ा
- 80 ठोकर
- 81 तर्क
- 82 त्याग
- 83 दंड
- 84 दर्शन
- 85 दुर्बलता
- 86 दुर्भावना
- 87 दुर्वचन
- 88 देश
- 89 देह
- 90 दोष
- 91 धर्म
- 92 धीरज
- 93 धोका
- 94 ध्येय, लक्ष्य
- 95 नक़ल
- 96 नम्रता
- 97 नरक
- 98 नशा
- 99 नाम
- 100 निंदा
- 101 निद्रा
- 102 निराशा
- 103 नियम
- 104 निश्चय
- 105 नीचता
- 106 पछतावा, पश्चाताप
- 107 पड़ौसी
- 108 पति-पत्नी
- 109 पराधीनता
- 110 परिश्रम
- 111 टीका टिप्पणी और संदर्भ
- 112 संबंधित लेख
अनमोल वचन
- पृथ्वी पर तीन रत्न हैं - जल, अन्न और सुभाषित। लेकिन मूर्ख लोग पत्थर के टुकडों को ही रत्न कहते रहते हैं। ~ संस्कृत सुभाषित
- विश्व के सर्वोत्कॄष्ट कथनों और विचारों का ज्ञान ही संस्कृति है। ~ मैथ्यू अर्नाल्ड
- संसार रूपी कटु-वृक्ष के केवल दो फल ही अमृत के समान हैं; पहला, सुभाषितों का रसास्वाद और दूसरा, अच्छे लोगों की संगति। ~ चाणक्य
- सही मायने में बुद्धिपूर्ण विचार हज़ारों दिमागों में आते रहे हैं। लेकिन उनको अपना बनाने के लिये हमको ही उन पर गहराई से तब तक विचार करना चाहिये जब तक कि वे हमारी अनुभूति में जड न जमा लें। ~ गोथे
- मैं उक्तियों से घृणा करता हूँ। वह कहो जो तुम जानते हो। ~ इमर्सन
- किसी कम पढे व्यक्ति द्वारा सुभाषित पढना उत्तम होगा। ~ सर विंस्टन चर्चिल
- बुद्धिमानो की बुद्धिमता और बरसों का अनुभव सुभाषितों में संग्रह किया जा सकता है। ~ आईजक दिसराली
- मैं अक्सर खुद को उदृत करता हुँ। इससे मेरे भाषण मसालेदार हो जाते हैं।
- सुभाषितों की पुस्तक कभी पूरी नहीं हो सकती। ~ राबर्ट हेमिल्टन
गणित
- यथा शिखा मयूराणां , नागानां मणयो यथा । तद् वेदांगशास्त्राणां , गणितं मूर्ध्नि वर्तते ॥ (जैसे मोरों में शिखा और नागों में मणि का स्थान सबसे उपर है, वैसे ही सभी वेदांग और शास्त्रों में गणित का स्थान सबसे उपर है।) ~ वेदांग ज्योतिष
- बहुभिर्प्रलापैः किम् , त्रयलोके सचरारे । यद् किंचिद् वस्तु तत्सर्वम् , गणितेन् बिना न हि ॥ ( बहुत प्रलाप करने से क्या लभ है ? इस चराचर जगत में जो कोई भी वस्तु है वह गणित के बिना नहीं है / उसको गणित के बिना नहीं समझा जा सकता।) ~ महावीराचार्य, जैन गणितज्ञ
- ज्यामिति की रेखाओं और चित्रों में हम वे अक्षर सीखते हैं जिनसे यह संसार रूपी महान पुस्तक लिखी गयी है। ~ गैलिलियो
- गणित एक ऐसा उपकरण है जिसकी शक्ति अतुल्य है और जिसका उपयोग सर्वत्र है; एक ऐसी भाषा जिसको प्रकृति अवश्य सुनेगी और जिसका सदा वह उत्तर देगी। ~ प्रो. हाल
- काफ़ी हद तक गणित का संबन्ध (केवल) सूत्रों और समीकरणों से ही नहीं है। इसका सम्बन्ध सी.डी से, कैट-स्कैन से, पार्किंग-मीटरों से, राष्ट्रपति-चुनावों से और कम्प्युटर-ग्राफिक्स से है। गणित इस जगत को देखने और इसका वर्णन करने के लिये है ताकि हम उन समस्याओं को हल कर सकें जो अर्थपूर्ण हैं। ~ गरफंकल, 1997
- गणित एक भाषा है। ~ जे. डब्ल्यू. गिब्ब्स, अमेरिकी गणितज्ञ और भौतिकशास्त्री
- लाटरी को मैं गणित न जानने वालों के उपर एक टैक्स की भाँति देखता हूँ।
- यह असंभव है कि गति के गणितीय सिद्धान्त के बिना हम वृहस्पति पर राकेट भेज पाते।
तकनीकी / अभियान्त्रिकी / इन्जीनीयरिंग / टेक्नालोजी
- पर्याप्त रूप से विकसित किसी भी तकनीकी और जादू में अन्तर नहीं किया जा सकता। ~ आर्थर सी. क्लार्क
- सभ्यता की कहानी, सार रूप में, इंजिनीयरिंग की कहानी है - वह लम्बा और विकट संघर्ष जो प्रकृति की शक्तियो को मनुष्य के भले के लिये काम कराने के लिये किया गया। ~ एस डीकैम्प
- इंजिनीयर इतिहास का निर्माता रहा है, और आज भी है। ~ जेम्स के. फिंक
- वैज्ञानिक इस संसार का, जैसे है उसी रूप में, अध्ययन करते हैं। इंजिनीयर वह संसार बनाते हैं जो कभी था ही नहीं। ~ थियोडोर वान कार्मन
- मशीनीकरण करने के लिये यह जरूरी है कि लोग भी मशीन की तरह सोचें। ~ सुश्री जैकब
- इंजिनीररिंग संख्याओं में की जाती है। संख्याओं के बिना विश्लेषण मात्र राय है।
- जिसके बारे में आप बात कर रहे हैं, यदि आप उसे माप सकते हैं और संख्याओं में व्यक्त कर सकते हैं तो आप अपने विष्य के बारे में कुछ जानते हैं; लेकिन यदि आप उसे माप नहीं सकते तो आप का ज्ञान बहुत सतही और असंतोषजनक है। ~ लॉर्ड केल्विन
- आवश्यकता डिजाइन का आधार है। किसी चीज़ को जरूरत से अल्पमात्र भी बेहतर डिजाइन करने का कोई औचित्य नहीं है।
- तकनीक के उपर ही तकनीक का निर्माण होता है। हम तकनीकी रूप से विकास नहीं कर सकते यदि हममें यह समझ नहीं है कि सरल के बिना जटिल का अस्तित्व सम्भव नहीं है।
कम्प्यूटर / इन्टरनेट
- इंटरनेट के उपयोक्ता वांछित डाटा को शीघ्रता से और तेज़ी से प्राप्त करना चाहते हैं। उन्हें आकर्षक डिज़ाइनों तथा सुंदर साइटों से बहुधा कोई मतलब नहीं होता है। ~ टिम बर्नर्स ली (इंटरनेट के सृजक)
- कम्प्यूटर कभी भी कमेटियों का विकल्प नहीं बन सकते। चूंकि कमेटियाँ ही कम्प्यूटर ख़रीदने का प्रस्ताव स्वीकृत करती हैं। ~ एडवर्ड शेफर्ड मीडस
- कोई शाम वर्ल्ड वाइड वेब पर बिताना ऐसा ही है जैसा कि आप दो घंटे से कुरकुरे खा रहे हों और आपकी उँगली मसाले से पीली पड़ गई हो, आपकी भूख खत्म हो गई हो, परंतु आपको पोषण तो मिला ही नहीं। ~ क्लिफ़ोर्ड स्टॉल
कला
- कला विचार को मूर्ति में परिवर्तित कर देती है।
- कला एक प्रकार का एक नशा है, जिससे जीवन की कठोरताओं से विश्राम मिलता है। ~ फ्रायड
- मेरे पास दो रोटियां हों और पास में फूल बिकने आयें तो मैं एक रोटी बेचकर फूल ख़रीदना पसंद करूंगा। पेट ख़ाली रखकर भी यदि कला-दृष्टि को सींचने का अवसर हाथ लगता होगा तो मैं उसे गंवाऊगा नहीं। ~ शेख सादी
- कविता वह सुरंग है जिसमें से गुज़र कर मनुष्य एक विश्व को छोड़ कर दूसरे विश्व में प्रवेश करता है। ~ रामधारी सिंह दिनकर
- कलाकार प्रकृति का प्रेमी है अत: वह उसका दास भी है और स्वामी भी। ~ रवीन्द्रनाथ ठाकुर
- रंग में वह जादू है जो रंगने वाले, भीगने वाले और देखने वाले तीनों के मन को विभोर कर देता है| ~ मुक्ता
- कविता गाकर रिझाने के लिए नहीं समझ कर खो जाने के लिए है। ~ रामधारी सिंह दिनकर
- कविता का बाना पहन कर सत्य और भी चमक उठता है। ~ अज्ञात
- कवि और चित्रकार में भेद है। कवि अपने स्वर में और चित्रकार अपनी रेखा में जीवन के तत्व और सौंदर्य का रंग भरता है। — डा. रामकुमार वर्मा
- जो कला आत्मा को आत्मदर्शन करने की शिक्षा नहीं देती वह कला नहीं है। - महात्मा गाँधी
- कला ईश्वर की परपौत्री है। - दांते
- प्रकृति ईश्वर का प्रकट रूप है, कला मानुषय का। - लांगफैलो
- कला का अंतिम और सर्वोच्च ध्येय सौंदर्य है। - गेटे
- मानव की बहुमुखी भावनाओं का प्रबल प्रवाह जब रोके नहीं रुकता, तभी वह कला के रूप में फूट पड़ता है। - रस्किन
भाषा / स्वभाषा
- निज भाषा उन्नति अहै, सब भाषा को मूल । बिनु निज भाषा ज्ञान के, मिटै न हिय को शूल ॥ ~ भारतेन्दु हरिश्चन्द्र
- जो एक विदेशी भाषा नहीं जानता, वह अपनी भाषा की बारे में कुछ नहीं जानता। ~ गोथे
- भाषा हमारे सोचने के तरीके को स्वरूप प्रदान करती है और निर्धारित करती है कि हम क्या-क्या सोच सकते हैं । ~ बेन्जामिन होर्फ
- शब्द विचारों के वाहक हैं।
- शब्द पाकर दिमाग उडने लगता है।
- मेरी भाषा की सीमा, मेरी अपनी दुनिया की सीमा भी है। ~ लुडविग विटगेंस्टाइन
- आर्थिक युद्ध का एक सूत्र है कि किसी राष्ट्र को नष्ट करने के का सुनिश्चित तरीका है, उसकी मुद्रा को खोटा कर देना। (और) यह भी उतना ही सत्य है कि किसी राष्ट्र की संस्कृति और पहचान को नष्ट करने का सुनिश्चित तरीका है, उसकी भाषा को हीन बना देना। (लेकिन) यदि विचार भाषा को भ्रष्ट करते है तो भाषा भी विचारों को भ्रष्ट कर सकती है। ~ जार्ज ओर्वेल
- शिकायत करने की अपनी गहरी आवश्यकता को संतुष्ट करने के लिए ही मनुष्य ने भाषा ईजाद की है। ~ लिली टॉमलिन
- श्रीकृष्ण ऐसी बात बोले जिसके शब्द और अर्थ परस्पर नपे-तुले रहे और इसके बाद चुप हो गए। वस्तुतः बड़े लोगों का यह स्वभाव ही है कि वे मितभाषी हुआ करते हैं। ~ शिशुपाल वध
साहित्य
- साहित्य समाज का दर्पण होता है।
- साहित्यसंगीतकला विहीन: साक्षात् पशुः पुच्छविषाणहीनः। (साहित्य संगीत और कला से हीन पुरुष साक्षात् पशु ही है जिसके पूँछ और् सींग नहीं हैं।) ~ भर्तृहरि
- सच्चे साहित्य का निर्माण एकांत चिंतन और एकान्त साधना में होता है| ~ अनंत गोपाल शेवड़े
- साहित्य का कर्तव्य केवल ज्ञान देना नहीं है, परंतु एक नया वातावरण देना भी है। ~ डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन
संगति / सत्संगति / कुसंगति / मित्रलाभ / एकता / सहकार / सहयोग / नेटवर्किंग / संघ
- संघे शक्तिः (एकता में शक्ति है)
- हीयते हि मतिस्तात् , हीनैः सह समागतात् । समैस्च समतामेति , विशिष्टैश्च विशिष्टितम् ॥ (हीन लोगों की संगति से अपनी भी बुद्धि हीन हो जाती है, समान लोगों के साथ रहने से समान बनी रहती है और विशिष्ट लोगों की संगति से विशिष्ट हो जाती है।) ~ महाभारत
- यानि कानि च मित्राणि, कृतानि शतानि च । पश्य मूषकमित्रेण , कपोता: मुक्तबन्धना: ॥ (जो कोई भी हों, सैकडो मित्र बनाने चाहिये। देखो, मित्र चूहे की सहायता से कबूतर (जाल के) बन्धन से मुक्त हो गये थे।) ~ पंचतंत्र
- को लाभो गुणिसंगमः (लाभ क्या है? गुणियों का साथ) — भर्तृहरि
- सत्संगतिः स्वर्गवास: (सत्संगति स्वर्ग में रहने के समान है) संहतिः कार्यसाधिका । (एकता से कार्य सिद्ध होते हैं) ~ पंचतंत्र
- दुनिया के अमीर लोग नेटवर्क बनाते हैं और उसकी तलाश करते हैं, बाकी सब काम की तलाश करते हैं। ~ कियोसाकी
- मानसिक शक्ति का सबसे बड़ा स्रोत है - दूसरों के साथ सकारात्मक तरीके से विचारों का आदान-प्रदान करना।
- शठ सुधरहिं सतसंगति पाई । पारस परस कुधातु सुहाई ॥ ~ गोस्वामी तुलसीदास
- गगन चढहिं रज पवन प्रसंगा । (हवा का साथ पाकर धूल आकाश पर चढ जाता है) ~ गोस्वामी तुलसीदास
- बिना सहकार , नहीं उद्धार । उतिष्ठ , जाग्रत् , प्राप्य वरान् अनुबोधयत् । (उठो, जागो और श्रेष्ठ जनों को प्राप्त कर (स्वयं को) बुद्धिमान बनाओ।)
- नहीं संगठित सज्जन लोग । रहे इसी से संकट भोग ॥ ~ श्रीराम शर्मा, आचार्य
- सहनाववतु, सह नौ भुनक्तु, सहवीर्यं करवाहहै । (एक साथ आओ, एक साथ खाओ और साथ-साथ काम करो)
- अच्छे मित्रों को पाना कठिन, वियोग कष्टकारी और भूलना असम्भव होता है। ~ रैन्डाल्फ
- काजर की कोठरी में कैसे हू सयानो जाय, एक न एक लीक काजर की लागिहै पै लागि है। ~ अज्ञात
- जो रहीम उत्तम प्रकृती, का करी सकत कुसंग । चन्दन विष व्यापत नही, लिपटे रहत भुजंग ।। ~ रहीम
- जिस तरह रंग सादगी को निखार देते हैं उसी तरह सादगी भी रंगों को निखार देती है। सहयोग सफलता का सर्वश्रेष्ठ उपाय है। ~ मुक्ता
- एकता का किला सबसे सुरक्षित होता है। न वह टूटता है और न उसमें रहने वाला कभी दुखी होता है। ~ अज्ञात
संस्था / संगठन / आर्गनाइजेशन
- दुनिया की सबसे बडी खोज (इन्नोवेशन) का नाम है ~ संस्था।
- आधुनिक समाज के विकास का इतिहास ही विशेष लक्ष्य वाली संस्थाओं के विकास का इतिहास भी है।
- कोई समाज उतना ही स्वस्थ होता है जितनी उसकी संस्थाएँ; यदि संस्थायें विकास कर रही हैं तो समाज भी विकास करता है, यदि वे क्षीण हो रही हैं तो समाज भी क्षीण होता है।
- उन्नीसवीं शताब्दी की औद्योगिक-क्रान्ति संस्थाओं की क्रान्ति थी।
- बाँटो और राज करो, एक अच्छी कहावत है; (लेकिन) एक होकर आगे बढो, इससे भी अच्छी कहावत है। ~ गोथे
- व्यक्तियों से राष्ट्र नहीं बनता, संस्थाओं से राष्ट्र बनता है। ~ डिजरायली
साहस / निर्भीकता / पराक्रम/ आत्म्विश्वास / प्रयत्न
- कबिरा मन निर्मल भया , जैसे गंगा नीर । पीछे-पीछे हरि फिरै , कहत कबीर कबीर ॥ ~ कबीर
- साहसे खलु श्री वसति । (साहस में ही लक्ष्मी रहती हैं)
- इस बात पर संदेह नहीं करना चाहिये कि विचारवान और उत्साही व्यक्तियों का एक छोटा सा समूह इस संसार को बदल सकता है। वास्तव में इस संसार को इसने (छोटे से समूह) ही बदला है।
- जरूरी नहीं है कि कोई साहस लेकर जन्मा हो, लेकिन हरेक शक्ति लेकर जन्मता है।
- बिना साहस के हम कोई दूसरा गुण भी अनवरत धारण नहीं कर सकते। हम कृपालु, दयालु, सत्यवादी, उदार या इमानदार नहीं बन सकते।
- बिना निराश हुए ही हार को सह लेना पृथ्वी पर साहस की सबसे बडी परीक्षा है। ~ आर. जी. इंगरसोल
- जिस काम को करने में डर लगता है उसको करने का नाम ही साहस है।
- मुट्ठीभर संकल्पवान लोग, जिनकी अपने लक्ष्य में दृढ़ आस्था है, इतिहास की धारा को बदल सकते हैं। ~ महात्मा गांधी
- किसी की करुणा व पीड़ा को देख कर मोम की तरह दर्याद्र हो पिघलनेवाला ह्रदय तो रखो परंतु विपत्ति की आंच आने पर कष्टों-प्रतिकूलताओं के थपेड़े खाते रहने की स्थिति में चट्टान की तरह दृढ़ व ठोस भी बने रहो। ~ द्रोणाचार्य
- यह सच है कि पानी में तैरनेवाले ही डूबते हैं, किनारे पर खड़े रहनेवाले नहीं, मगर ऐसे लोग कभी तैरना भी नहीं सीख पाते। ~ वल्लभभाई पटेल
- वस्तुतः अच्छा समाज वह नहीं है जिसके अधिकांश सदस्य अच्छे हैं बल्कि वह है जो अपने बुरे सदस्यों को प्रेम के साथ अच्छा बनाने में सतत् प्रयत्नशील है। ~ डब्ल्यू.एच.आडेन
- शोक मनाने के लिये नैतिक साहस चाहिए और आनंद मनाने के लिए धार्मिक साहस। अनिष्ट की आशंका करना भी साहस का काम है, शुभ की आशा करना भी साहस का काम परंतु दोनों में आकाश-पाताल का अंतर है। पहला गर्वीला साहस है, दूसरा विनीत साहस। ~ किर्केगार्द
- किसी दूसरे को अपना स्वप्न बताने के लिए लोहे का ज़िगर चाहिए होता है| ~ एरमा बॉम्बेक
- हर व्यक्ति में प्रतिभा होती है। दरअसल उस प्रतिभा को निखारने के लिए गहरे अंधेरे रास्ते में जाने का साहस कम लोगों में ही होता है।
- कमाले बुजदिली है, पस्त होना अपनी आँखों में । अगर थोडी सी हिम्मत हो तो क्या हो सकता नहीं ॥ ~ चकबस्त
- अपने को संकट में डाल कर कार्य संपन्न करने वालों की विजय होती है। कायरों की नहीं। ~ जवाहरलाल नेहरू
- जिन ढूढा तिन पाइयाँ , गहरे पानी पैठि । मै बपुरा बूडन डरा , रहा किनारे बैठि ॥ ~ कबीर
- वे ही विजयी हो सकते हैं जिनमें विश्वास है कि वे विजयी होंगे। ~ अज्ञात
भय, अभय, निर्भय
- तावत् भयस्य भेतव्यं , यावत् भयं न आगतम् । आगतं हि भयं वीक्ष्य , प्रहर्तव्यं अशंकया ॥
- भय से तब तक ही दरना चाहिये जब तक भय (पास) न आया हो। आये हुए भय को देखकर बिना शंका के उस पर् प्रहार् करना चाहिये। — पंचतंत्र
- जो लोग भय का हेतु अथवा हर्ष का कारण उपस्थित होने पर भी विचार विमर्श से काम लेते हैं तथा कार्य की जल्दी से नहीं कर डालते, वे कभी भी संताप को प्राप्त नहीं होते। - पंचतंत्र
- ‘भय’ और ‘घृणा’ ये दोनों भाई-बहन लाख बुरे हों पर अपनी मां बर्बरता के प्रति बहुत ही भक्ति रखते हैं। जो कोई इनका सहारा लेना चाहता है, उसे ये सब से पहले अपनी मां के चरणों में डाल जाते हैं। - बर्ट्रेंड रसेल
- मित्र से, अमित्र से, ज्ञात से, अज्ञात से हम सब के लिए अभय हों। रात्रि के समय हम सब निर्भय हों और सब दिशाओं में रहनेवाले हमारे मित्र बनकर रहें। - अथर्ववेद
- आदमी सिर्फ़ दो लीवर के द्वारा चलता रहता है : डर तथा स्वार्थ। - नेपोलियन
- डर सदैव अज्ञानता से पैदा होता है। - एमर्सन
- अभय-दान सबसे बड़ा दान है।
- भय से ही दुख आते हैं, भय से ही मृत्यु होती है और भय से ही बुराइयां उत्पन्न होती हैं। — विवेकानंद
अनुभव / अभ्यास
- बिना अनुभव कोरा शाब्दिक ज्ञान अंधा है|
- करत करत अभ्यास के जड़ मति होंहिं सुजान। रसरी आवत जात ते सिल पर परहिं निशान।। — रहीम
- अनभ्यासेन विषं विद्या । (बिना अभ्यास के विद्या कठिन है / बिना अभ्यास के विद्या विष के समान है (?))
- यह रहीम निज संग लै, जनमत जगत न कोय । बैर प्रीति अभ्यास जस, होत होत ही होय ॥
- अनुभव-प्राप्ति के लिए काफ़ी मूल्य चुकाना पड़ सकता है पर उससे जो शिक्षा मिलती है वह और कहीं नहीं मिलती। — अज्ञात
- अनुभव की पाठशाला में जो पाठ सीखे जाते हैं, वे पुस्तकों और विश्वविद्यालयों में नहीं मिलते। – अज्ञात
सफलता, असफलता
- असफलता यह बताती है कि सफलता का प्रयत्न पूरे मन से नहीं किया गया। — श्रीरामशर्मा आचार्य
- जीवन के आरम्भ में ही कुछ असफलताएँ मिल जाने का बहुत अधिक व्यावहारिक महत्त्व है। — हक्सले
- जो कभी भी कहीं असफल नहीं हुआ वह आदमी महान नहीं हो सकता। — हर्मन मेलविल
- असफलता आपको महान कार्यों के लिये तैयार करने की प्रकृति की योजना है। — नैपोलियन हिल
- सफलता की सभी कथायें बडी-बडी असफलताओं की कहानी हैं।
- असफलता फिर से अधिक सूझ-बूझ के साथ कार्य आरम्भ करने का एक मौक़ा मात्र है। — हेनरी फ़ोर्ड
- दो ही प्रकार के व्यक्ति वस्तुतः जीवन में असफल होते है - एक तो वे जो सोचते हैं, पर उसे कार्य का रूप नहीं देते और दूसरे वे जो कार्य-रूप में परिणित तो कर देते हैं पर सोचते कभी नहीं। - थामस इलियट
- दूसरों को असफल करने के प्रयत्न ही में हमें असफल बनाते हैं। - इमर्सन
- किसी दूसरे द्वारा रचित सफलता की परिभाषा को अपना मत समझो। - हरिशंकर परसाई
- जीवन में दो ही व्यक्ति असफल होते हैं। पहले वे जो सोचते हैं पर करते नहीं, दूसरे वे जो करते हैं पर सोचते नहीं। — श्रीराम शर्मा , आचार्य
- प्रत्येक व्यक्ति को सफलता प्रिय है लेकिन सफल व्यक्तियों से सभी लोग घृणा करते हैं। — जान मैकनरो
- असफल होने पर, आप को निराशा का सामना करना पड़ सकता है। परन्तु, प्रयास छोड़ देने पर, आप की असफलता सुनिश्चित है। — बेवेरली सिल्स
- सफलता का कोई गुप्त रहस्य नहीं होता। क्या आप किसी सफल आदमी को जानते हैं जिसने अपनी सफलता का बखान नहीं किया हो। – किन हबार्ड
- मैं सफलता के लिए इंतज़ार नहीं कर सकता था, अतएव उसके बगैर ही मैं आगे बढ़ चला। – जोनाथन विंटर्स
- हार का स्वाद मालूम हो तो जीत हमेशा मीठी लगती है। — माल्कम फोर्बस
- हम सफल होने को पैदा हुए हैं, फेल होने के लिये नहीं। — हेनरी डेविड
- पहाड़ की चोटी पर पंहुचने के कई रास्ते होते हैं लेकिन व्यू सब जगह से एक सा दिखता है। — चाइनीज कहावत
- यहाँ दो तरह के लोग होते हैं - एक वो जो काम करते हैं और दूसरे वो जो सिर्फ़ क्रेडिट लेने की सोचते हैं। कोशिश करना कि तुम पहले समूह में रहो क्योंकि वहाँ कम्पटीशन कम है। — इंदिरा गांधी
- सफलता के लिये कोई लिफ्ट नहीं जाती इसलिये सीढ़ीयों से ही जाना पढ़ेगा।
- हम हवा का रूख तो नहीं बदल सकते लेकिन उसके अनुसार अपनी नौका के पाल की दिशा जरूर बदल सकते हैं।
- सफलता सार्वजनिक उत्सव है, जबकि असफलता व्यक्तिगत शोक।
- मैं नहीं जानता कि सफलता की सीढी क्या है ; असफला की सीढी है, हर किसी को प्रसन्न करने की चाह। — बिल कोस्बी
- सफलता के तीन रहस्य हैं - योग्यता, साहस और कोशिश।
सुख-दुःख , व्याधि , दया
- संसार में सब से अधिक दुःखी प्राणी कौन है ? बेचारी मछलियां क्योंकि दुःख के कारण उनकी आंखों में आनेवाले आंसू पानी में घुल जाते हैं, किसी को दिखते नहीं। अतः वे सारी सहानुभूति और स्नेह से वंचित रह जाती हैं। सहानुभूति के अभाव में तो कण मात्र दुःख भी पर्वत हो जाता है। ~ खलील जिब्रान
- संसार में प्रायः सभी जन सुखी एवं धनशाली मनुष्यों के शुभेच्छु हुआ करते हैं। विपत्ति में पड़े मनुष्यों के प्रियकारी दुर्लभ होते हैं। ~ मृच्छकटिक
- व्याधि शत्रु से भी अधिक हानिकारक होती है। ~ चाणक्यसूत्राणि-223
- विपत्ति में पड़े हुए का साथ बिरला ही कोई देता है। ~ रावणार्जुनीयम्-5।8
- मनुष्य के जीवन में दो तरह के दुःख होते हैं - एक यह कि उसके जीवन की अभिलाषा पूरी नहीं हुई और दूसरा यह कि उसके जीवन की अभिलाषा पूरी हो गई। - बर्नार्ड शॉ
- मेरी हार्दिक इच्छा है कि मेरे पास जो भी थोड़ा-बहुत धन शेष है, वह सार्वजनिक हित के कामों में यथाशीघ्र खर्च हो जाए। मेरे अंतिम समय में एक पाई भी न बचे, मेरे लिए सबसे बड़ा सुख यही होगा। ~ पुरुषोत्तमदास टंडन
- मानवजीवन में दो और दो चार का नियम सदा लागू होता है। उसमें कभी दो और दो पांच हो जाते हैं। कभी ऋण तीन भी और कई बार तो सवाल पूरे होने के पहले ही स्लेट गिरकर टूट जाती है। ~ सर विंस्टन चर्चिल
- तपाया और जलाया जाता हुआ लौहपिण्ड दूसरे से जुड़ जाता है, वैसे ही दुख से तपते मन आपस में निकट आकर जुड़ जाते हैं। ~ लहरीदशक
- रहिमन बिपदा हुँ भली, जो थोरे दिन होय । हित अनहित वा जगत में, जानि परत सब कोय ॥ ~ रहीम
- चाहे राजा हो या किसान, वह सबसे ज़्यादा सुखी है जिसको अपने घर में शान्ति प्राप्त होती है। ~ गेटे
- अरहर की दाल औ जड़हन का भात, गागल निंबुआ औ घिउ तात, सहरसखंड दहिउ जो होय, बाँके नयन परोसैं जोय, कहै घाघ तब सबही झूठा, उहाँ छाँड़ि इहवैं बैकुंठा| ~ घाघ
- संसार के दुखियों में पहला दुखी निर्धन है, उससे दुखी वह है जिसे किसी का ऋण चुकाना हो, इन दोनों से अधिक दुखी वह है जो सदा रोगी रहता हो और सबसे दुखी वह है जिसकी पत्नी दुष्टा हो। - विदुरनीति
- विचित्र बात है कि सुख की अभिलाषा मेरे दुःख का एक अंश है। - खलील जिब्रान
- एक बात जो मैं दिन की तरह स्पष्ट देखता हूँ यह है कि दुःख का कारण अज्ञान है और कुछ नहीं। - स्वामी विवेकानंद
- पाप का संचय ही दुखों का मूल है। - बुद्ध
मान , अपमान , सम्मान
- इतिहास इस बात का साक्षी है कि किसी भी व्यक्ति को केवल उसकी उपलब्धियों के लिए सम्मानित नहीं किया जाता। समाज तो उसी का सम्मान करता है, जिससे उसे कुछ प्राप्त होता है। ~ कल्विन कूलिज
- अपमानपूर्वक अमृत पीने से तो अच्छा है सम्मानपूर्वक विषपान| ~ रहीम
- गाली सह लेने के असली मायने है गाली देनेवाले के वश में न होना, गाली देनेवाले को असफल बना देना। यह नहीं कि जैसा वह कहे, वैसा कहना। ~ महात्मा गांधी
- मान सहित विष खाय के, शम्भु भये जगदीश । बिना मान अमृत पिये, राहु कटायो शीश ॥ ~ कबीर
अभिमान / घमण्ड / गर्व
- जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि हैं मै नाहि । सब अँधियारा मिट गया दीपक देख्या माँहि ॥ ~ कबीर
धन / अर्थ / अर्थ महिमा / अर्थ निन्दा / अर्थ शास्त्र /सम्पत्ति / ऐश्वर्य
- दान , भोग और नाश ये धन की तीन गतियाँ हैं । जो न देता है और न ही भोगता है, उसके धन की तृतीय गति (नाश) होती है। — भर्तृहरि
- हिरण्यं एव अर्जय , निष्फलाः कलाः । (सोना (धन) ही कमाओ, कलाएँ निष्फल है) ~ महाकवि माघ
- सर्वे गुणाः कांचनं आश्रयन्ते । (सभी गुण सोने का ही सहारा लेते हैं) ~ भर्तृहरि
- संसार के व्यवहारों के लिये धन ही सार-वस्तु है। अत: मनुष्य को उसकी प्राप्ति के लिये युक्ति एवं साहस के साथ यत्न करना चाहिये। ~ शुक्राचार्य
- आर्थस्य मूलं राज्यम् । (राज्य धन की जड है) ~ चाणक्य
- मनुष्य मनुष्य का दास नहीं होता, हे राजा, वह् तो धन का दास् होता है। ~ पंचतंत्र
- अर्थो हि लोके पुरुषस्य बन्धुः । (संसार में धन ही आदमी का भाई है) ~ चाणक्य
- जहाँ सुमति तँह सम्पति नाना, जहाँ कुमति तँह बिपति निधाना। ~ गो. तुलसीदास
- क्षणशः कण्शश्चैव विद्याधनं अर्जयेत । (क्षण-ख्षण करके विद्या और कण-कण करके धन का अर्जन करना चाहिये।)
- रुपए ने कहा, मेरी फ़िक्र न कर – पैसे की चिन्ता कर। ~ चेस्टर फ़ील्ड
- बढ़त बढ़त सम्पति सलिल मन सरोज बढ़ि जाय। घटत घटत पुनि ना घटै तब समूल कुम्हिलाय।।
- जहां मूर्ख नहीं पूजे जाते, जहां अन्न की सुरक्षा की जाती है और जहां परिवार में कलह नहीं होती, वहां लक्ष्मी निवास करती है। ~ अथर्ववेद
- मुक्त बाज़ार ही संसाधनों के बटवारे का सवाधिक दक्ष और सामाजिक रूप से इष्टतम तरीका है।
- स्वार्थ या लाभ ही सबसे बड़ा उत्साहवर्धक (मोटिवेटर) या आगे बढाने वाला बल है।
- मुक्त बाज़ार उत्तरदायित्वों के वितरण की एक पद्धति है।
- सम्पत्ति का अधिकार प्रदान करने से सभ्यता के विकास को जितना योगदान मिला है उतना मनुष्य द्वारा स्थापित किसी दूसरी संस्था से नहीं।
- यदि किसी कार्य को पर्याप्त रूप से छोटे-छोटे चरणों में बाँट दिया जाय तो कोई भी काम पूरा किया जा सकता है।
धनी / निर्धन / गरीब / गरीबी
- गरीब वह है जिसकी अभिलाषायें बढी हुई हैं। ~ डेनियल
- गरीबों के बहुत से बच्चे होते हैं, अमीरों के सम्बन्धी। ~ एनॉन
- पैसे की कमी समस्त बुराईयों की जड़ है।
- कुबेर भी यदि आय से अधिक व्यय करे तो निर्धन हो जाता है| ~ चाणक्य
- निर्धनता से मनुष्य में लज्जा आती है। लज्जा से आदमी तेजहीन हो जाता है। निस्तेज मनुष्य का समाज तिरस्कार करता है। तिरष्कृत मनुष्य में वैराग्य भाव उत्पन्न हो जाते हैं और तब मनुष्य को शोक होने लगता है। जब मनुष्य शोकातुर होता है तो उसकी बुद्धि क्षीण होने लगती है और बुद्धिहीन मनुष्य का सर्वनाश हो जाता है। ~ वासवदत्ता, मृच्छकटिकम में
- गरीबी लज्जा नहीं है, लेकिन गरीबी से लज्जित होना लज्जा की बात है। - कहावत
- गरीबी मेरा अभिमान है। - हज़रत मोहम्मद
- जो गरीबों पर दया करता है वह अपने कार्य से ईश्वर को ऋणी बनाता है। - बाइबल
- गरीबी दैवीय अभिशाप नहीं मानवीय सृष्टि है। - महात्मा गाँधी
- उस मनुष्य के गरीब कोई नहीं जिसके पास केवल धन है। - कहावत
व्यापार
- व्यापारे वसते लक्ष्मी । (व्यापार में ही लक्ष्मी वसती हैं) महाजनो येन गतः स पन्थाः । (महापुरुष जिस मार्ग से गये है, वही ( उत्तम) मार्ग है) (व्यापारी वर्ग जिस मार्ग से गया है, वही ठीक रास्ता है)
- जब गरीब और धनी आपस में व्यापार करते हैं तो धीरे-धीरे उनके जीवन-स्तर में समानता आयेगी। ~ आदम स्मिथ, 'द वेल्थ आफ नेशन्स' में
- तकनीक और व्यापार का नियंत्रण ब्रिटिश साम्राज्य का अधारशिला थी।
- राष्ट्रों का कल्याण जितना मुक्त व्यापार पर निर्भर है उतना ही मैत्री, इमानदारी और बराबरी पर। ~ कार्डेल हल्ल
- व्यापारिक युद्ध, विश्व युद्ध, शीत युद्ध : इस बात की लडाई कि “गैर-बराबरी पर आधारित व्यापार के नियम” कौन बनाये ।
- इससे कोई फ़र्क नहीं पडता कि कौन शाशन करता है, क्योंकि सदा व्यापारी ही शाशन चलाते हैं। ~ थामस फुलर
- आज का व्यापार सायकिल चलाने जैसा है - या तो आप चलाते रहिये या गिर जाइये।
- कार्पोरेशन : व्यक्तिगत उत्तर्दायित्व के बिना ही लाभ कमाने की एक चालाकी से भरी युक्ति। ~ द डेविल्स डिक्शनरी
- अपराधी, दस्यु प्रवृति वाला एक ऐसा व्यक्ति है जिसके पास कारपोरेशन शुरू करने के लिये पर्याप्त पूँजी नहीं है।
विकास / प्रगति / उन्नति
- बीज आधारभूत कारण है, पेड उसका प्रगति परिणाम। विचारों की प्रगतिशीलता और उमंग भरी साहसिकता उस बीज के समान हैं। ~ श्रीराम शर्मा, आचार्य
- विकास की कोई सीमा नहीं होती, क्योंकि मनुष्य की मेधा, कल्पनाशीलता और कौतूहूल की भी कोई सीमा नहीं है। ~ रोनाल्ड रीगन
- अगर चाहते सुख समृद्धि, रोको जनसंख्या वृद्धि|
- नारी की उन्नति पर ही राष्ट्र की उन्नति निर्धारित है|
- भारत को अपने अतीत की जंज़ीरों को तोड़ना होगा। हमारे जीवन पर मरी हुई, घुन लगी लकड़ियों का ढेर पहाड़ की तरह खड़ा है। वह सब कुछ बेजान है जो मर चुका है और अपना काम खत्म कर चुका है, उसको खत्म हो जाना, उसको हमारे जीवन से निकल जाना है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम अपने आपको हर उस दौलत से काट लें, हर उस चीज़ को भूल जायें जिसने अतीत में हमें रोशनी और शक्ति दी और हमारी ज़िंदगी को जगमगाया। ~ जवाहरलाल नेहरू
- सब से अधिक आनंद इस भावना में है कि हमने मानवता की प्रगति में कुछ योगदान दिया है। भले ही वह कितना कम, यहां तक कि बिल्कुल ही तुच्छ क्यों न हो? ~ डा. राधाकृष्णन
- ह्रदय की विशालता ही उन्नति की नीव है। - जवाहरलाल नेहरु
- यदि एक मनुष्य की उन्नति होती है तो सारे संसार की उन्नति होती है और अगर एक व्यक्ति का पतन होता है तो सारे संसार का पतन होता है। - महात्मा गाँधी
- वही उन्नति कर सकता है जो अपने आप को उपदेश देता है। - रामतीर्थ
- त्रुटियों के संशोधन का नाम ही उन्नति है। - लाला लाजपत रॉय
राजनीति / शासन / सरकार
- सामर्थ्य्मूलं स्वातन्त्र्यं , श्रममूलं च वैभवम् । न्यायमूलं सुराज्यं स्यात् , संघमूलं महाबलम् ॥ (शक्ति स्वतन्त्रता की जड है, मेहनत धन-दौलत की जड है, न्याय सुराज्य का मूल होता है और संगठन महाशक्ति की जड है।)
- निश्चित ही राज्य तीन शक्तियों के अधीन है। शक्तियाँ मंत्र, प्रभाव और उत्साह हैं जो एक दूसरे से लाभान्वित होकर कर्तव्यों के क्षेत्र में प्रगति करती हैं। मंत्र (योजना, परामर्श) से कार्य का ठीक निर्धारण होता है, प्रभाव (राजोचित शक्ति, तेज) से कार्य का आरम्भ होता है और उत्साह (उद्यम) से कार्य सिद्ध होता है। ~ दसकुमारचरित
- यथार्थ को स्वीकार न करनें में ही व्यावहारिक राजनीति निहित है। ~ हेनरी एडम
- विपत्तियों को खोजने, उसे सर्वत्र प्राप्त करने, ग़लत निदान करने और अनुपयुक्त चिकित्सा करने की कला ही राजनीति है। ~ सर अर्नेस्ट वेम
- मानव स्वभाव का ज्ञान ही राजनीति-शिक्षा का आदि और अन्त है। ~ हेनरी एडम
- राजनीति में किसी भी बात का तब तक विश्वास मत कीजिए जब तक कि उसका खंडन आधिकारिक रूप से न कर दिया गया हो। – ओटो वान बिस्मार्क
- सफल क्रांतिकारी, राजनीतिज्ञ होता है; असफल अपराधी। ~ एरिक फ्रॉम
- दंड द्वारा प्रजा की रक्षा करनी चाहिये लेकिन बिना कारण किसी को दंड नहीं देना चाहिये। ~ रामायण
- प्रजा के सुख में ही राजा का सुख और प्रजा के हित में ही राजा को अपना हित समझना चाहिये। आत्मप्रियता में राजा का हित नहीं है, प्रजा की प्रियता में ही राजा का हित है। ~ चाणक्य
- वही सरकार सबसे अच्छी होती है जो सबसे कम शाशन करती है।
- सरकार चाहे किसी की हो, सदा बनिया ही शाशन करते हैं।
लोकतन्त्र / प्रजातन्त्र / जनतन्त्र
- लोकतन्त्र, जनता की, जनता द्वारा, जनता के लिये सरकार होती है। ~ अब्राहम लिंकन
- लोकतंत्र इस धारणा पर आधारित है कि साधारण लोगों में असाधारण संभावनाएँ होती है। ~ हेनरी एमर्शन फास्डिक
- शान्तिपूर्वक सरकार बदल देने की शक्ति प्रजातंत्र की आवश्यक शर्त है। प्रजातन्त्र और तानाशाही में अन्तर नेताओं के अभाव में नहीं है, बल्कि नेताओं को बिना उनकी हत्या किये बदल देने में है। — लॉर्ड बिवरेज
- अगर हम लोकतन्त्र की सच्ची भावना का विकास करना चाहते हैं तो हम असहिष्णु नहीं हो सकते। असहिष्णुता से पता चलता है कि हमें अपने उद्देश्य की पवित्रता में पूरा विश्वास नहीं है।
- बहुमत का शासन जब ज़ोर-जबरदस्ती का शासन हो जाए तो वह उतना ही असहनीय हो जाता है जितना कि नौकरशाही का शासन। - महात्मा गांधी
- जैसी जनता, वैसा राजा । प्रजातन्त्र का यही तकाजा ॥ — श्रीराम शर्मा, आचार्य
- अगर हम लोकतन्त्र की सच्ची भावना का विकास करना चाहते हैं तो हम असहिष्णु नहीं हो सकते। असहिष्णुता से पता चलता है कि हमें अपने उद्देश्य की पवित्रता में पूरा विश्वास नहीं है।
- सर्वसाधारण जनता की उपेक्षा एक बड़ा राष्ट्रीय अपराध है। – स्वामी विवेकानंद
- लोकतंत्र के पौधे का, चाहे वह किसी भी किस्म का क्यों न हो तानाशाही में पनपना संदेहास्पद है। — जयप्रकाश नारायण
नियम / क़ानून / विधान / न्याय
- न हि कश्चिद् आचारः सर्वहितः संप्रवर्तते । (कोई भी नियम नहीं हो सकता जो सभी के लिए हितकर हो) — महाभारत
- अपवाद के बिना कोई भी नियम लाभकर नहीं होता। — थामस फुलर
- थोडा-बहुत अन्याय किये बिना कोई भी महान कार्य नहीं किया जा सकता। — लुइस दी उलोआ
- संविधान इतनी विचित्र (आश्चर्यजनक) चीज़ है कि जो यह् नहीं जानता कि ये ये क्या चीज़ होती है, वह गदहा है।
- लोकतंत्र - जहाँ धनवान, नियम पर शाशन करते हैं और नियम, निर्धनों पर।
- सभी वास्तविक राज्य भ्रष्ट होते हैं। अच्छे लोगों को चाहिये कि नियमों का पालन बहुत काडाई से न करें। — इमर्शन
- न राज्यं न च राजासीत्, न दण्डो न च दाण्डिकः । स्वयमेव प्रजाः सर्वा, रक्षन्ति स्म परस्परम् ॥ (न राज्य था और ना राजा था, न दण्ड था और न दण्ड देने वाला। स्वयं सारी प्रजा ही एक-दूसरे की रक्षा करती थी।)
- क़ानून चाहे कितना ही आदरणीय क्यों न हो, वह गोलाई को चौकोर नहीं कह सकता। — फिदेल कास्त्रो
व्यवस्था
- व्यवस्था मस्तिष्क की पवित्रता है, शरीर का स्वास्थ्य है, शहर की शान्ति है, देश की सुरक्षा है। जो सम्बन्ध धरन (बीम) का घर से है, या हड्डी का शरीर से है, वही सम्बन्ध व्यवस्था का सब चीज़ों से है। — राबर्ट साउथ
- अच्छी व्यवस्था ही सभी महान कार्यों की आधारशिला है। – एडमन्ड बुर्क
- सभ्यता सुव्यस्था के जन्मती है, स्वतन्त्रता के साथ बडी होती है और अव्यवस्था के साथ मर जाती है। — विल डुरान्ट
- हर चीज़ के लिये जगह, हर चीज़ जगह पर। — बेन्जामिन फ्रैंकलिन
- सुव्यवस्था स्वर्ग का पहला नियम है। — अलेक्जेन्डर पोप
- परिवर्तन के बीच व्यवस्था और व्यवस्था के बीच परिवर्तन को बनाये रखना ही प्रगति की कला है। — अल्फ्रेड ह्वाइटहेड
विज्ञापन
- मैं ने कोई विज्ञापन ऐसा नहीं देखा जिसमें पुरुष स्त्री से कह रहा हो कि यह साड़ी या स्नो ख़रीद ले। अपनी चीज़ वह खुद पसंद करती है मगर पुरुष की सिगरेट से लेकर टायर तक में वह दख़ल देती है। - हरिशंकर परसाई
अवसर / मौक़ा / सुतार / सुयोग
- जो प्रमादी है, वह सुयोग गँवा देगा। — श्रीराम शर्मा , आचार्य
- बाज़ार में आपाधापी - मतलब, अवसर। धरती पर कोई निश्चितता नहीं है, बस अवसर हैं। — डगलस मैकआर्थर
- संकट के समय ही नायक बनाये जाते हैं।
- आशावादी को हर खतरे में अवसर दीखता है और निराशावादी को हर अवसर में ख़तरा। — विन्स्टन चर्चिल
- अवसर के रहने की जगह कठिनाइयों के बीच है। — अलबर्ट आइन्स्टाइन
- हमारा सामना हरदम बडे-बडे अवसरों से होता रहता है, जो चालाकी पूर्वक असाध्य समस्याओं के वेष में (छिपे) रहते हैं। — ली लोकोक्का
- रहिमन चुप ह्वै बैठिये, देखि दिनन को फेर । जब नीके दिन आइहैं, बनत न लगिहैं देर ॥
- न इतराइये, देर लगती है क्या | जमाने को करवट बदलते हुए ||
- कभी कोयल की कूक भी नहीं भाती और कभी (वर्षा ऋतु में) मेंढक की टर्र टर्र भी भली प्रतीत होती है| – गोस्वामी तुलसीदास
- वसंत ऋतु निश्चय ही रमणीय है। ग्रीष्म ऋतु भी रमणीय है। वर्षा, शरद, हेमंत और शिशिर भी रमणीय है, अर्थात सब समय उत्तम है। - सामवेद
- का बरखा जब कृखी सुखाने। समय चूकि पुनि का पछिताने।। — गोस्वामी तुलसीदास
- अवसर कौडी जो चुके , बहुरि दिये का लाख । दुइज न चन्दा देखिये , उदौ कहा भरि पाख ॥ — गोस्वामी तुलसीदास
शक्ति / प्रभुता / सामर्थ्य / बल / वीरता
- वीरभोग्या वसुन्धरा । (पृथ्वी वीरों द्वारा भोगी जाती है)
- कोऽतिभारः समर्थानामं , किं दूरं व्यवसायिनाम् । को विदेशः सविद्यानां , कः परः प्रियवादिनाम् ॥ — पंचतंत्र
- जो समर्थ हैं उनके लिये अति भार क्या है ? व्यवस्सयियों के लिये दूर क्या है? विद्वानों के लिये विदेश क्या है? प्रिय बोलने वालों के लिये कौन पराया है ?
- खुदी को कर बुलन्द इतना, कि हर तकदीर के पहले । ख़ुदा बंदे से खुद पूछे , बता तेरी रजा क्या है ? — अकबर इलाहाबादी
- कौन कहता है कि आसमा में छेद हो सकता नहीं। कोई पत्थर तो तबियत से उछालो यारों ।|
- यो विषादं प्रसहते, विक्रमे समुपस्थिते । तेजसा तस्य हीनस्य, पुरुषार्थो न सिध्यति ॥ ( पराक्रम दिखाने का अवसर आने पर जो दुख सह लेता है (लेकिन पराक्रम नहीं दिखाता) उस तेज से हीन का पुरुषार्थ सिद्ध नहीं होता )
- नाभिषेको न च संस्कारः, सिंहस्य कृयते मृगैः । विक्रमार्जित सत्वस्य, स्वयमेव मृगेन्द्रता ॥ (जंगल के जानवर सिंह का न अभिषेक करते हैं और न संस्कार। पराक्रम द्वारा अर्जित सत्व को स्वयं ही जानवरों के राजा का पद मिल जाता है)
- जो मनुष्य अपनी शक्ति के अनुसार बोझ लेकर चलता है वह किसी भी स्थान पर गिरता नहीं है और न दुर्गम रास्तों में विनष्ट ही होता है। - मृच्छकटिक
- अधिकांश लोग अपनी दुर्बलताओं को नहीं जानते, यह सच है लेकिन यह भी उतना ही सच है कि अधिकतर लोग अपनी शक्ति को भी नहीं जानते। — जोनाथन स्विफ्ट
- मनुष्य अपनी दुर्बलता से भली-भांति परिचित रहता है, पर उसे अपने बल से भी अवगत होना चाहिये। — जयशंकर प्रसाद
- आत्म-वृक्ष के फूल और फल शक्ति को ही समझना चाहिए। - श्रीमद्भागवत 8।19।39
- तलवार ही सब कुछ है, उसके बिना न मनुष्य अपनी रक्षा कर सकता है और न निर्बल की। – गुरु गोविन्द सिंह
युद्ध / शान्ति
- सर्वविनाश ही , सह-अस्तित्व का एकमात्र विकल्प है। — पं. जवाहरलाल नेहरू
- सूच्याग्रं नैव दास्यामि बिना युद्धेन केशव । (हे कृष्ण, बिना युद्ध के सूई के नोक के बराबर भी (ज़मीन) नहीं दूँगा। — दुर्योधन, महाभारत में
- प्रागेव विग्रहो न विधिः । पहले ही (बिना साम, दान, दण्ड का सहारा लिये ही) युद्ध करना कोई (अच्छा) तरीका नहीं है। — पंचतन्त्र
- यदि शांति पाना चाहते हो, तो लोकप्रियता से बचो। — अब्राहम लिंकन
- शांति , प्रगति के लिये आवश्यक है। — डा॰ राजेन्द्र प्रसाद
- बारह फ़कीर एक फटे कंबल में आराम से रात काट सकते हैं मगर सारी धरती पर यदि केवल दो ही बादशाह रहें तो भी वे एक क्षण भी आराम से नहीं रह सकते। - शम्स-ए-तबरेज़
- शाश्वत शान्ति की प्राप्ति के लिए शान्ति की इच्छा नहीं बल्कि आवश्यक है इच्छाओं की शान्ति। – स्वामी ज्ञानानन्द
प्रश्न / शंका / जिज्ञासा / आश्चर्य
- वैज्ञानिक मस्तिष्क उतना अधिक उपयुक्त उत्तर नहीं देता जितना अधिक उपयुक्त वह प्रश्न पूछता है।
- भाषा की खोज प्रश्न पूछने के लिये की गयी थी। उत्तर तो संकेत और हाव-भाव से भी दिये जा सकते हैं, पर प्रश्न करने के लिये बोलना जरूरी है। जब आदमी ने सबसे पहले प्रश्न पूछा तो मानवता परिपक्व हो गयी। प्रश्न पूछने के आवेग के अभाव से सामाजिक स्थिरता जन्म लेती है। — एरिक हाफर
- प्रश्न और प्रश्न पूछने की कला, शायद सबसे शक्तिशाली तकनीक है।
- सही प्रश्न पूछना मेधावी बनने का मार्ग है।
- मूर्खतापूर्ण-प्रश्न, कोई भी नहीं होते औरे कोई भी तभी मूर्ख बनता है जब वह प्रश्न पूछना बन्द कर दे। — स्टीनमेज
- जो प्रश्न पूछता है वह पाँच मिनट के लिये मूर्ख बनता है लेकिन जो नहीं पूछता वह जीवन भर मूर्ख बना रहता है।
- सबसे चालाक व्यक्ति जितना उत्तर दे सकता है, सबसे बड़ा मूर्ख उससे अधिक पूछ सकता है।
- मैं छः ईमानदार सेवक अपने पास रखता हूँ| इन्होंने मुझे वह हर चीज़ सिखाया है जो मैं जानता हू| इनके नाम हैं – क्या, क्यों, कब, कैसे, कहाँ और कौन| – रुडयार्ड किपलिंग
- यह कैसा समय है? मेरे कौन मित्र हैं? यह कैसा स्थान है। इससे क्या लाभ है और क्या हानि? मैं कैसा हूं। ये बातें बार-बार सोचें (जब कोई काम हाथ में लें)। - नीतसार
- शंका नहीं बल्कि आश्चर्य ही सारे ज्ञान का मूल है। — अब्राहम हैकेल
सूचना / सूचना की शक्ति / सूचना-प्रबन्धन / सूचना प्रौद्योगिकी / सूचना-साक्षरता / सूचना प्रवीण / सूचना की सतंत्रता / सूचना-अर्थव्यवस्था
- संचार, गणना (कम्प्यूटिंग) और सूचना अब नि:शुल्क वस्तुएँ बन गयी हैं।
- ज्ञान, कमी के मूल आर्थिक सिद्धान्त को अस्वीकार करता है। जितना अधिक आप इसका उपभोग करते हैं और दूसरों को बाटते हैं, उतना ही अधिक यह बढता है। इसको आसानी से बहुगुणित किया जा सकता है और बार-बार उपभोग।
- एक ऐसे विद्यालय की कल्पना कीजिए जिसके छात्र तो पढ-लिख सकते हों लेकिन शिक्षक नहीं ; और यह उपमा होगी उस सूचना-युग की, जिसमें हम जी रहे हैं।
- गुप्तचर ही राजा के आँख होते हैं। — हितोपदेश
- पर्दे और पाप का घनिष्ट सम्बन्ध होता है।
- सूचना ही लोकतन्त्र की मुद्रा है। — थामस जेफर्सन
अज्ञान
- अज्ञान जैसा शत्रु दूसरा नहीं। - चाणक्य
- अपने शत्रु से प्रेम करो, जो तुम्हे सताए उसके लिए प्रार्थना करो। - ईसा
- अज्ञानी होना मनुष्य का असाधारण अधिकार नहीं है बल्कि स्वयं को अज्ञानी जानना ही उसका विशेषाधिकार है। - राधाकृष्णन
- अशिक्षित रहने से पैदा ना होना अच्छा है क्योंकि अज्ञान ही सब विपत्ति का मूल है।
- अज्ञानी के लिए ख़ामोशी से बढकर कोई चीज़ नहीं और यदि उसमे यह समझाने की बुद्धि हो तो वह अज्ञानी नहीं रहेगा। - शेख सादी
अतिथि
- अतिथि जिसका अन्न खता है उसके पाप धुल जाते हैं। - अथर्ववेद
- यदि किसी को भी भूख प्यास नहीं लगती तो अतिथि सत्कार का अवसर कैसे मिलता। - विनोबा
- आवत ही हर्षे नहीं, नयनन नहीं सनेह, तुलसी वहां ना जाइये, कंचन बरसे मेह। - तुलसीदास
अत्याचार
- अत्याचारी से बढ़कर अभागा कोई दूसरा नहीं क्योंकि विपत्ति के समय उसका कोई मित्र नहीं होता। - शेख सादी
- गुलामों की अपेक्षा उनपर अत्याचार करनेवाले की हालत ज़्यादा ख़राब होती है। - महात्मा गाँधी
- अत्याचार करने वाला उतना ही दोषी होता है जितना उसे सहन करने वाला। - तिलक
अधिकार
- ईश्वर द्वारा निर्मित जल और वायु की तरह सभी चीजों पर सबका सामान अधिकार होना चाहिए। - महात्मा गाँधी
- अधिकार जताने से अधिकार सिद्ध नहीं होता। - टैगोर
- संसार में सबसे बड़ा अधिकार सेवा और त्याग से प्राप्त होता है। - प्रेमचंद
अनुभव
- बिना अनुभव कोरा शाब्दिक ज्ञान अँधा है।
- दूसरों के अनुभव से जान लेना भी मनुष्य के लिए एक अनुभव है।
- यदि कोई केवल अनुभव से ही बुद्धिमान हो जाता तो लन्दन के अजायबघर में रखे इतने समय के बाद संसार के बड़े से बड़े बुद्धिमान से अधिक बुद्धिमान होते। - बर्नार्ड
अन्याय
- अन्याय सहने से अन्याय करना अच्छा है कोई भी इस सिधांत को स्वीकार नहीं करेगा। - अरस्तु
- अन्याय सहने वाला भी उतना ही अपराधी होता है जितना करने वाला क्योंकि अगर अन्याय न सहा जाये तो कोई भी अन्याय करने का साहस नहीं करेगा। - टैगोर
- अन्याय को मिटाओ लेकिन अपने आप को मिटाकर नहीं। - प्रेमचंद
अपराध
- दूसरों के प्रति किये गए छोटे अपराध अपने प्रति किये गए बड़े अपराध हैं जिनका फक हमें भुगतना ही होता है। - अज्ञात
- अपराध मनुष्य के मुख पर लिखा होता है। - महात्मा गाँधी
- अपराधी मन संदेह का अड्डा है। - शेक्सपीयर
अभिमान
- जरा रूप को, आशा धैर्य को, मृत्यु प्राण को, क्रोध श्री को, काम लज्जा को हरता है पर अभिमान सब को हरता है। - विदुर नीति
- अभिमान नरक का मूल है। - महाभारत
- कोयल दिव्या आमरस पीकर भी अभिमान नहीं करती, लेकिन मेढक कीचर का पानी पीकर भी टर्राने लगता है। - प्रसंग रत्नावली
- कबीरा जरब न कीजिये कबुहूँ न हासिये कोए अबहूँ नाव समुद्र में का जाने का होए। - कबीर
- समस्त महान गलतियों की तह में अभिमान ही होता है। - रस्किन
- किसी भी हालत में अपनी शक्ति पर अभिमान मत कर, यह बहुरुपिया आसमान हर घडी हजारों रंग बदलता है। - हाफ़िज़
- जिसे होश है वह कभी घमंड नहीं करता। - शेख सादी
अभिलाषा
- हमारी अभिलाष जीवन रूपी भाप को इन्द्रधनुष के रंग देती है। - टैगोर
- अभिलाषा सब दुखों का मूल है। - बुद्ध
- अभिलाषाओं से ऊपर उठ जाओ वे पूरी हो जायंगी, मांगोगे तो उनकी पूर्ति तुमसे और दूर जा पड़ेंगी। - रामतीर्थ
- कोई अभिलाष यहाँ अपूर्ण नहीं रहती। - खलील जिज्ञान
- अभिलाषा ही घोडा बन सकती तो प्रत्येक मनुष्य घुड़सवार हो जाता। - शेक्सपीयर
अवसर
- अवसर तुम्हारा दरवाज़ा एक ही बार खटखटाता है। - कहावत
- मनुष्य के लिए जीवन में सफलता का रहष्य आने वाले अवसर के लिए तैयार रहना है। - डिजरायली
- अवसर पर दुश्मन को न लगाया हुआ थप्पड़ अपने मुह पर लगता है। - फारसी कहावत
अहिंसा
- उस जीवन को नष्ट करने का हमे कोई अधिकार नहीं जिसके बनाने की शक्ति हममे न हो। - महात्मा गाँधी
- अपने शत्रु से प्रेम करो, जो तुम्हे सताए उसके लिए प्रार्थना करो। - ईसा
- जब को व्यक्ति अहिंसा की कसौटी पर पूरा उतर जाता है तो अन्य व्यक्ति स्वयं ही उसके पास आकर बैर भाव भूल जाता है। - पतंजलि
- हिंसा के मुकाबले में लाचारी का भाव आना अहिंसा नहीं कायरता है. अहिंसा को कायरता के साथ नहीं मिलाना चाहिए। - महात्मा गाँधी
आंसू
- स्त्री ! तुने अपने अथाह आंसुओं से संसार के ह्रदय को ऐसे घेर रखा है जैसे समुद्र पृथ्वी को घेरे हुए है। - टैगोर
- नारी के आंसू अपने एक एक बूँद में एक एक बाढ़ लिए होते हैं। - जयशंकर प्रसाद
- मेरी एक प्रबल कामना है की मैं कम से कम एक आँख का आंसू पोछ दूं। - महात्मा गाँधी
- सात सागरों में जल की अपेक्छा मानव के नेत्रों से कहीं अधिक आंसू बह चुके हैं। - बुद्ध
आचरण
- जैसा देश तैसा भेष। - कहावत
- माता, पिता, गुरु, स्वामी, भ्राता, पुत्र और मित्र का कभी क्षण भर के लिए विरोध या अपकार नहीं करना चाहिए। - शुक्रनीति
- मनुष्य जिस समय पशु तुल्य आचरण करता है, उस समय वह पशुओं से भी नीचे गिर जाता है। - टैगोर
- शास्त्र पढ़कर भी लोग मूर्ख होते हैं किन्तु जो उसके अनुसार आचरण करता है वोही वस्तुतः विद्वान है। - अज्ञात
- रोगियों के लिए भली भांति सोचकर निश्चित की गयी औषधि नाम उच्चारण करने मात्र से किसी को निरोगी नहीं कर सकती। - हितोपदेश
आत्म विश्वास
- आत्मविश्वास सफलता का मुख्य रहष्य है। - एमर्सन
- यह आत्मविश्वास रखो को तुम पृथ्वी के सबसे आवश्यक मनुष्य हो। - गोर्की
- जिसमे आत्मविश्वास नहीं उसमे अन्य चीजों के प्रति विश्वास कैसे उत्पन्न हो सकता ही। - विवेकानंद
- आत्मविश्वास, आत्मज्ञान और आत्मसंयम केवल यही तीन जीवन को परम शांति सम्पन्न बना देते हैं। - टेनीसन
आनंद
- आनंद वह ख़ुशी है जिसके भोगने पर पछताना नहीं पड़ता। - सुकरात
- केवल आत्मज्ञान ही आत्मा हृदय को सच्चा आनंद प्रदान करता है। - रामतीर्थ
- क्षणभर भी काम के बिना रहना ईश्वर की चोरी समझो, मैं दूसरा कोई रास्ता भीतरी या भाहरी आनंद का नहीं जनता। - महात्मा गाँधी
- हम स्वयं आनंद की अनुभूति लेने के बजाये दूसरों को यह विश्वास दिलाने की कोशिश करते हैं की हम आनंद में हैं। - कन्फ्युशियाश
- जो वस्तु आनंद प्रदान नहीं कर सकती वह सुन्दर हो ही नहीं सकती। - प्रेमचंद
- आयु में आनंद है, समग्र शरीर के मंगल में, स्वाश्थ्य में आनंद है। इसी आनंद का भाग करने पर दो वस्तुएं प्राप्त होती हैं एक ज्ञान एंड दूसरा प्रेम। - टैगोर
आपत्ति
- ईश्वर आपत्तियों का भला करे क्योंकि इन्हीं से मित्र और शत्रु की पहचान होती है। - अज्ञात
- मनुष्य को आपत्ति का सामना करने सहायता देने के लिए मुस्कान से बड़ी कोई चीज़ नहीं है। - तिरुवल्लुवर
- आपत्ति 'मनुष्य' बनाती है और संपत्ति 'राक्षस'। - विक्टर ह्यूगो
- धीरज, धर्म, मित्र अरु नारी, आपति काल परखिये चारी। - तुलसीदास
- आपत्ति काल में हमारी अजीब अजीब लोगों से पहचान हो जाती है जो अन्यथा संभव नहीं। - शेक्सपीयर
- रंज से खूगर (अभ्यस्त) हुआ इन्सान तो मिट जाता है रंज।
आशा
- आशा एक नदी है, उसमे इच्छा रूपी जल है, तृष्णा उस नदी की तरंगे हैं, आसक्ति उसके मगर हैं, तर्क वितर्क उसकी पक्षी हैं, मोह रूपी भवरों के कारन वह सुकुमार तथा गहरी है, चिंता ही उसके ऊंचे नीचे किनारे हैं जो धैर्य के वृक्षों को नष्ट करते हैं, जो शुध्चित्त उसके पास चले जाते हैं वो बड़ा आनंद पते हैं। - कहावत
- आशा अमर है उसकी आराधना कभी निष्फल नहीं होती। - महात्मा गाँधी
- आशा प्रयत्नशील मनुष्य का साथ कभी नहीं छोडती। - गेटे
- जितनी अधिक आशा रखोगे उतनी अधिक निराशा होगी। - कहावत
- स्मृति पीछे दृष्टि डालती है और आशा आगे। - रामचंद्र टंडन
- मेरी मानो अपनी नाक से आगे ना देखा करो। तुम्हे हमेशा मालूम होता रहेगा उसके आगे भी कुछ है और यह ज्ञान तुम्हे आशा और आनंद से मस्त रखेगा। - बर्नार्ड शा
इंद्रियां
- जिसने इंद्रियों को अपने वश में कर लिया है, उसे स्त्री तिनके के जान पड़ती है। - चाणक्य
- अविवेकी और चंचल आदमी की इंद्रियां बेखबर सारथी के दुष्ट घोड़ों की तरह बेकाबू हो जाती हैं। - कठोपनिषद
- जब मनुष्य अपनी इंद्रियों को विषयों से खींच लेता है तभी उसकी बुद्धि स्थिर होती है। - महाभारत
- सब इंद्रियों को बश में रखकर सर्वत्र समत्व का पालन करके जो दृढ अचल और अचिन्त्य, सर्वव्यापी, स्वर्णीय, अविनाशी स्वरुप की उपसना करते हैं, वे सब प्राणियों के हित में लगे हुए मुझे ही पाते हैं। - भगवन कृष्ण
ईर्ष्या
- ईर्ष्या करने वालों का सबसे बड़ा शत्रु उसकी ईर्ष्या ही है। - तिरुवल्लुवर
- ईर्ष्यालु को मृत्यु के सामान दुःख भोगना पड़ता है। - वेदव्यास
उत्साह
- उत्साह मनुष्य की भाग्यशीलता का पैमाना है। - तिरुवल्लुवर
- उत्साह से बढकर कोई दूसरा बल नहीं है, उत्साही मनुष्य के लिए संसार में कोई भी वस्तु दुर्लभ नहीं है। - वाल्मीकि
- विश्व इतिहास में प्रत्येक महान और महत्त्वपूर्ण आन्दोलन उत्साह द्वारा ही सफल हो पाया है। - एमर्सन
उदारता
- उत्साह मनुष्य की भाग्यशीलता का पैमाना है। - तिरुवल्लुवर
- यह मेरा है यह तेरा है ऐसा संकीर्ण हृदय वाले मानते हैं, उदार चित्त वाले तो सरे संसार को एक कुटुंब समझते हैं। - हितोपदेश
- उदार व्यक्ति दे-देकर अमीर बनता है, लोभी जोड़ जोड़ कर गरीब होता है। - जर्मन कहावत
- चार तरह के लोग होते हैं- (1) मख्खिचूस - जो ना आप खाएं ना दूसरों को खाने दें, (2) कंजूस - जो आप खाएं पर दूसरों को ना दें, (3) उदार - जो आप भी खाएं और दूसरों को भी दें, (4) दाता - जो आप ना खाएं पर दूसरों को दें, सब लोग दाता नहीं तो कम से कम उदार तो बन ही सकते हैं। - अफलातून
उधार
- ना उधार दो, ना लो क्योंकि उधार देने से अक्सर पैसा और मित्र दोनों ही खो जाते हैं। - शेक्सपीयर
- उधार मांगना भीख माँगने जैसा है। - अज्ञात
- उधार वह मेहमान है जो एक बार आने के बाद जाने का नाम नहीं लेता। - प्रेमचंद
उपकार
- वृक्ष खुद गर्मी सहन कर शरण में आये राहगीर को गर्मी से बचाता है। - कालिदास
- जो दूसरों पर उपकार जताने का इच्छुक है वह द्वार खटखटाता है। जिसके ह्रदय में प्रेम है उसके लिए द्वार खुले हैं। - टैगोर
- उपकार के लिए अगर कुछ जाल भी करना पड़े तो उससे आत्मा की हत्या नहीं होती। - प्रेमचंद
- उपकार करके जाताना इस बात का प्रतीक है की किया गया समर्थन या कार्य उपकार नहीं है। - अज्ञात
उपदेश
- बिना मांगे किसी को उपदेश ना दो। - जर्मन कहावत
- जो नसीहत नहीं सुनता उसे लानत-मलामत सुनने का शौक़ है। - शेख सादी
- पेट भरे पर उपवास का उपदेश देना सरल है। - कहावत
- जिसने स्वयं को समझ लिया हो वह दूसरों सो समझाने नहीं जायेगा। - धम्मपद
- लोगों की समझ शक्ति के मुताबिक उपदेश देना चाहिए। - हदीस
- उपदेश देना सरल है उपाय बताना कठिन है। - टैगोर
उपहार
- जिन उपहारों की बड़ी आस लगी रहती है वो भेंट नहीं किये जाते, अदा किये जाते हैं। - फ्रेंकलिन
- शत्रु को क्षमा, विरोधी को सहनशीलता, मित्र को अपना ह्रदय, बालक को उत्तम दृष्टान्त, पिता को आदर, माता को ऐसा आचरण जिससे वह तुम पर गर्व कर सके, अपने को प्रतिष्ठा और सबको उपहार। - बालफोर
उपेक्षा
- प्रेम सब कुछ सह लेता है लेकिन उपेक्षा नहीं सह सकता। - अज्ञात
- रोग, सर्प, आग और शत्रु को तुच्छ समझा कर कभी उसकी उपेक्षा नहीं करनी चाहिए। - सुभाषित
एकता
- एकता चापलूसी से कायम नहीं की जा सकती। - महात्मा गाँधी
- यदि चिड़ियाँ एकता कर लें तो शेर की खल खींच सकती हैं। - शेख सादी
एकाग्रता
- जब तक आशा लगी है तब तक एकाग्रता नहीं हो सकती। - रामतीर्थ
- झूठ, कपट, चोरी, व्यभिचार आदि दुराचारों की वृत्तियों के नष्ट हुए बिना एकाग्र होना कठिन है और चाट एकाग्र हुए बिना ध्यान और समाधी नहीं हो सकती। - मनु
- मन की एकाग्रता मनुष्य की विजय शक्ति है, यह मनुष्य जीवन की समस्त शक्तियों को समेटकर मानसिक क्रांति उत्पन्न करती है। - अज्ञात
एकांत
- जो एकांत में खुश रहता है वो या तो पशु है या देवता। - अज्ञात
- एकांत मूर्ख के लिए कैदखाना है और ज्ञानी के लिए स्वर्ग। - अज्ञात
- मुझे एकांत से बढकर योग्य साथी कभी नहीं मिला। - थोरो
- एकांतवास शोक-ज्वाला के लिए समीर के सामान हैं। - प्रेमचंद
ऐश्वर्य
- कदम पीछे ना हटाने वाला ही ऐश्वर्य को जीतता है। - ऋग्वेद
- स्वयं को हीन मानने वाले को उत्तम प्रकार के ऐश्वर्य प्राप्त नहीं होते। - महाभारत
- धन ना भी हो तो आरोग्य, विद्वता सज्जन-मैत्री तथा स्वाधीनता मनुष्य के महान ऐश्वर्य हैं। - अज्ञात
- ऐश्वर्य उपाधि में नहीं बल्कि इस चेतना में है की हम उसके योग्य हैं। - अरस्तु
कल्पना
- मन जिस रूप की कल्पना करता है वैसा हो जाता है, आज जैसा वह है वैसे उसने कल कल्पना की थी। - योगवशिष्ठ
- कल्पना विश्व पर शासन करती है। - नेपोलियन
- पागल, प्रेमी और कवि की कल्पनाएँ एक सी होती हैं। - शेक्सपियर
कंजूसी
- कंजूसी मैं तुझे जनता हूँ! तू विनाश करने वाली और व्यथा देने वाली है। - अथर्ववेद
- संसार में सबसे दयनीय कौन है? जो धवन होकर भी कंजूस है। - विद्यापति
- हमारे कफ़न में जेब नहीं लगायी जाती। - इतालियन कहावत
कवि - कविता
- कवि लिखने के लिए तब तक तैयार नहीं होता जब तक उसकी स्याही प्रेम की आहों से सराबोर नहीं हो जाती। - शेक्सपियर
- इतिहास की अपेक्षा कविता सत्य के अधिक निकट होती है। - प्लेटो
- कवि वह सपेरा है जिसकी पिटारी में सापों के स्थान पर ह्रदय बंद होते हैं। - प्रेमचंद
कष्ट
- आज के कष्ट का सामना करने वाले के पास आगामी कल के कष्ट आने से घबराते हैं। - अज्ञात
- ईश्वर जिसे प्यार करते हैं उन्हें रगड़कर साफ करतें हैं। - इंजील
- हमारे कष्ट पापों का प्रायश्चित हैं। - हज़रत मोहम्मद
काम
- काम से शोक उत्पन्न होता है। - धम्मपद
- काम क्रोध और लोभ ये तीनो नरक के द्वार हैं। - गीता
- सहकामी दीपक दसा, सोखे तेल निवास, कबीरा हीरा संतजन, सहजे सदा प्रकास। - कबीर
कायरता
- अत्याचार और भय दोनों कायरता के दो पहलू हैं। - अज्ञात
- घर का मोह कायरता का दूसरा नाम है। - अज्ञात
- मैं कायरता तो किसी हाल में सहन नहीं कर सकता, आप कायरता से मरें इसकी बजाये बहादुरी से प्रहार करते हुए और प्रहार सहते हुए मैं कहीं बेहतर समझूंगा। - महात्मा गाँधी
कुरूपता
- मेरे दोस्त किसी चीज़ को कुरूप ना कहो सिवाय उस भय के जिसकी मारी कोई आत्मा स्वयं अपनी स्मृतियों से डरने लगे। - खलील जिब्रान
- कुरूपता मनुष्य की सौंदर्य विद्या है। - चाणक्य
ख्याति
- ख्याति की अभिलाषा वह पोषक है जिसे ज्ञानी भी सवसे अंत में उतारते हैं। - कहावत
- ख्याति वह प्यास है जो कभी नहीं बुझती अगस्त्य ऋषि की तरह वह सागर को पीकर भी शांत नहीं होती। - प्रेमचंद
गुण
- गुणों से ही मनुष्य महान होता है, ऊँचे आसन पर बैठने से नहीं, महल के ऊँचे शिखर पर बैठने मात्र से कौवा गरुड़ नहीं हो सकता। - चाणक्य
- सद्गुनशील, मुंसिफ मिजाज़ और अक्लमंद आदमी तब तक नहीं बोलता जब तक ख़ामोशी नहीं हो जाती। - शेख सादी
- कस्तूरी को अपनी मौजूदगी कसम खाकर सिद्ध नहीं करनी पड़ती; गुण स्वयं ही सामने आ जाते हैं। - अज्ञात
- रूप कि पहुँच आँखों तक है, गुण आत्मा को जीतते हैं। - पोप
- बड़े बड़ाई न करें, बड़े न बोलें बोल, रहिमन हीरा कब कहैं, लाख टका मेरो मोल। - रहीम
क्षमा
- क्षमा ब्रम्ह है, क्षमा सत्य है, क्षमा भूत है, क्षमा भविष्य है, क्षमा तप है, क्षमा पवित्रता है, कहमा में ही संपूर्ण जगत को धारण कर रखा है। - वेदव्यास
- वृक्ष अपने काटने वाले को भी छाया देता है। - चैतन्य
- क्षमा कर देना दुश्मन पर विजय पा लेना है। - हज़रत अली
- दुसरे का अपराध सहनकर अपराधी पर उपकार करना, यह क्षमा का गुण पृथ्वी से सीखना और पृथ्वी पर सदा परोपकार रत रहने वाले पर्वत और वृक्षों से परोपकार की दक्षता लेना। - कृष्ण
- मागने से पूर्व अपने आप गले पड़कर क्षमा करने का मतलब है मनुष्य का अपमान करना। - शरतचंद्र
चतुराई
- चतुराई दरबारियों के लिए गुण है, साधुओं के लिए दोष। - शेख सादी
- सब से बड़ी चतुराई ये है कि कोई चतुराई न की जाये। - फ़्रांसिसी कहावत
चापलूसी
- चापलूस आपको हनी पहुंचा कर अपना स्वार्थ सिद्ध करना चाहता है। - हरिऔध
- चापलूसी तीन घृणित दुर्गुणों से बही है, असत्य , दासत्व और विश्वासघात। - अज्ञात
- चापलूस आपकी चापलूसी इसीलिए करता है क्योंकि वह खुद को अयोग्य समझता है, लेकिन आप उसके मुंह से अपनी प्रशंसा सुनकर फूले नहीं समाते। - टालस्टाय
- रहिमन जो रहिबो चहै कहै वाही के दांव, जो वासर को निसी कहै तो कचपची दिखाव। - रहीम
चेहरा
- चेहरा मस्तिष्क का प्रतिबिम्ब है और आँखें बिना कहे दिल के राज़ खोल देती हैं। - सैंट जेरोमे
- भोली भाली सूरत वाले होते हैं जल्लाद भी। - उर्दू कहावत
- सुन्दर चेहरा सबसे अच्छा प्रशंसापात्र है। - रानी एलिज़ाबेथ
चिकित्सा
- संयम और परिश्रम मनुष्य के दो सर्वोत्तम चिकित्सक हैं, परिश्रम के भूख तेज़ होती है और संयम अतिभोग से रोकता है। - रूसो
- समय सबसे बड़ा चिकित्सक है, वक़्त हर घाव का मरहम है। - कहावत
- मन की प्रशन्नता से समस्त मानसिक और शारीरिक रोग दूर हो जाते हैं। - रामदास
चोरी
- आवश्यकता से अधिक एकत्र करने वाला प्रत्येक व्यक्ति चोर है। - भगवत गीता
- ईश्वर ने आदमी को मेहनत करके खाने के लिए बनाया है और कहा है कि जो मेहनत किये बगैर खाते हैं बे चोर हैं। - महात्मा गाँधी
- जो मेरा धन चुराता है वह मेरी सबसे तुच्छ वस्तु ले जाता है। - शेक्सपियर
जनता
- जनता कि आवाज़ ईश्वर की आवाज़ है। - कहावत
- राजमहलों की चालबाजियां, सभाभवानों की राजनीती, समझौते और लेन-देन का जमाना उसी दिन खत्म हो जाता है जब जनता राजनीति में प्रवेश करती है। - जवाहरलाल नेहरु
जीविका
- व्यवसाय समय का यन्त्र है। - नेपोलियन
- व्यस्त मनुष्य को आंसू बहाने का अवकाश नहीं। - बायरन
- वह जीविका श्रेष्ठ है जिसमे ओने धर्म कि नहीं नहीं और वाही देश उत्तम है जिससे कुटुंब का पालन हो। - शुक्रनीति
जीवन
- जीवन का एक क्षण करोड़ स्वर्ण मुद्राएं देने पर भी नहीं मिलता। - चाणक्य
- मूर्ति के सामन मनुष्य का जीवन सभी ओर से सुन्दर होना चाहिए। - सुकरात
- यदि तुम्हारे पास दो पैसे हों तो एक से रोटी और दुसरे से फूल, रोटी तुम्हे जीवन देगी और फूल तुम्हे जीवल जीने कि कला सिखाएगा। - चीनी कहावत
- जियो और जीने दो। - स्काच कहावत
- जो अच्छी तरह जीता है वह दो बार जीता है। - लैटिन कहावत
- मैं ही आग हूँ, मैं ही कूड़ा करकट, अगर मेरी आग कूड़ा करकट जलाकर भस्म करदे तो मैं अच्छा जीवन पाउँगा। - खलील जिब्रान
- अपना जीवन लेने के लिए नहीं देने के लिए है। - स्वामी विवेकानंद
- जीवन किसी तो स्थायी संपत्ति के रूप में नहीं मिला है वह तो केवल प्रयोग के लिए है। - लुकीटस
- मनुष्य जीवन अनुभव का शास्त्र है। - विनोबा
- जीवन एक फूल है और प्रेम उसका मधु। - ह्यूगो
झगड़ा
- लोग फल के बजाये छिलके पर अधिक झगड़ते हैं।
- झगड़े में शामिल दोनों पक्ष गलत होते हैं।
ठोकर
- ठोकर लगे और दर्द हो तभी मैं सीख पाटा हूँ। - महात्मा गाँधी
- दूसरों के अनुभव से होशियारी सीखने की मनुष्य को इच्छा नहीं होती, उसको स्वतंत्र ठोकर चाहिए। - विनोबा
- ठोकरें केवल धुल ही उड़ाती हैं फसलें नहीं उगती। - टैगोर
तर्क
- जो तर्क नहीं सुने वह कट्टर है, जो तर्क न कर सके वह मूर्ख है और जो तर्क करने का सके वह गुलाम है। - ड्रमंड
- तर्क केवल बुद्धि का विषय है ह्रदय कि सिद्धि तक बुद्धि नहीं पहुँच सकती।
- जिसे बुद्धि मने मगर ह्रदय ना माने वह तजने योग्य है। - महात्मा गाँधी
त्याग
- प्राणी कर्म का त्याग नहीं कर सकता, कर्मफल का त्याग ही त्याग है। - भगवान कृष्ण
- त्याग से पाप का मूलधन चुकता है और दान से ब्याज। - विनोबा
- पर-स्त्री, पर-धन, पर-निंदा, परिहास और बड़ों के सामने चंचलता का त्याग करना चाहिए। - संस्कृत सूक्ति
- त्याग यह नहीं कि मोटे और खुरदरे वस्त्र पहन लिए जायें और सूखी रोटी खायी जाये, त्याग तो यह है कि अपनी इच्छा अभिलाषा और तृष्णा को जीता जाये। - सुफियान सौरी
दंड
- दंड अन्यायी के लिए न्याय है। - अगस्तियन
- अपराधी को दंड से नहीं रोका जा सकता। - रस्किन
- अपराधी के दंड में उपयोगिता होनी चाहिए। - वाल्टेयर
दर्शन
- दर्शन का उद्देश्य जीवन कि व्याख्या करना नहीं उसे बदलना है। - सर्वपल्ली राधाकृष्णन
- जब जिन्दगी को अपने दिल के गीत सुनाने का मौका नहीं मिलता तब वह अपने मन के विचार सुनाने के लिए दार्शनिक पैदा कर देती है। - खलील जिब्रान
- दार्शनिक होने का अर्थ केवल सूक्ष्म विचारक होना या केवल किसी दर्शन प्रणाली को चला देना नहीं है बल्कि यह है कि हम ज्ञान के ऐसे प्रेमी बन जायें कि उसके इशारों पर चलते हुए विश्वास, सादगी, स्वतंत्रता और उदारता का जीवन व्यतीत करने लगें। - थोरो
दुर्बलता
- स्वयं को भेंड बना लोगे तो भेड़िये आकर तुम्हे खा जायेंगे। - जर्मन कहावत
- मन कि दुर्बलता से भयंकर और कोई पाप नहीं। - विवेकानंद
- दुर्बल को ना सताइए, जाको मोती हाय, मुई खल कि सांस सों, सार भसम हो जाय। - कबीर
दुर्भावना
- दुर्भावना को मैं मनुष्य का कलंक समझता हूँ। - महात्मा गाँधी
- दुर्भावना अपने विष का आधा भगा स्वयं पीती है। - सैनेका
- आदमी की दुर्भावना उसके दुश्मन के बजाय उसे ही अधिक दुःख देती है। - चार्ल बक्सटन
दुर्वचन
- दुर्वचन पशुओं तक को अप्रिय होते हैं। - बुद्ध
- दुर्वचन कहने वाला तिरस्कृत नहीं करता बल्कि दुर्वचन के प्रति ह्रदय में उठी हुई भावना तिरस्कार करती है, इसीलिए जब कोई तुम्हे उत्तेजित करता है तो यह तुम्हारे अन्दर की भावना ही है जो तुम्हे उत्तेजित करती है। - एपिक्टेतस
- दुर्वचन का सामना हमें सहनशीलता से करना चाहिए। - महात्मा गाँधी
देश
- दुरात्मा के लिए देश-भक्ति अंतिम शरण है। - जॉन्सन
- यदि देश-भक्ति का मतलब व्यापक मानव मात्र का हित चिंतन नहीं है तो उसका कोई अर्थ ही नहीं है। - महात्मा गाँधी
देह
- देह आत्मा के रहने की जगह होने के कारण तीर्थ जैसी पवित्र है। - महात्मा गाँधी
- देह एक रथ है, इन्द्रिय उसमे घोड़े, बुद्धि सारथी और मन लगाम है, केवल देह पोषण करना आत्मघात है। - ज्ञानेश्वरी
दोष
- दोष पराये देखकर चालत हसंत हसंत, अपने याद ना आवई जिनका आदि ना अंत। - कबीर
- तू दुसरे आँख का तिनका क्यों देखता है अपनी आँख का शहतीर तो निकाल। - बाइबल
- साधारण लोग अपनी हर बुराई का दोषी कि और को ठहराते हैं, अल्पज्ञानी स्वयं को पर ज्ञानी किसी को नहीं। - इपिक्टेतस
- मूर्ख आदमी अपने बड़े से बड़े दोष अनदेखा करता है किन्तु दुसरे के छोटे से छोटे दोष को देखता है। - संस्कृत सूक्ति
धर्म
- शांति से बढकर कोई ताप नहीं, संतोष से बढकर कोई सुख नहीं, तृष्णा से बढकर कोई व्याधि नहीं और दया के सामान कोई धर्म नहीं। - चाणक्य
- हर अवसर और हर अवस्था में जो अपना कर्त्तव्य दिखाई दे उसी को धर्म समझ कर पूरा करना चाहिए। - गीता
- धर्म एक भ्रमात्मक सूर्य है जो मनुष्य के गिर्द धूमता रहता है जब तक मनुष्य मनुष्यता के गिर्द नहीं घूमता। - कार्ल मार्क्स
- दो धर्मो का कभी झगड़ा नहीं होता, सब धर्मो का अधर्म से ही झगड़ा होता है। - विनोबा
- धर्म परमेश्वर कि कल्पना कर मनुष्य को दुर्बल बना देता है, उसमे आत्मविश्वास उत्पन्न नहीं होने देता और उसकी स्वतंत्रता का अपरहण करता है। - नरेन्द्र देव
धीरज
- कबीरा धीरज के धरे, हाथी मन भर खाय, टूक एक के कारने, स्वान घरे घर जाय। - कबीर
- शोक में, आर्थिक संकट में या प्रानान्त्कारी भय उत्पन्न होने पर जो अपनी बुद्धि से दुःख निवारण के उपाय का विचार करते हुए दीराज धारण करता है उसे कष्ट नहीं उठाना पड़ता। - वाल्मीकि
- जितनी जल्दी करोगे उतनी देर लगेगी। - चर्चिल
- सब्र जिन्दगी के मकसद का दरवाज़ा खोलता है क्योंकि सिवाय सब्र के उस दरवाज़े कि कोई और चाबी नहीं है। - शेख सादी
धोका
- अगर कोई व्यक्ति मुझे दोखा देता है तो धित्कार है उसपर और अगर कोई दूसरी बार मुझे धोका देता है तो लानत है मुझपर। - कहावत
- धूर्त को धोका देना धूर्तता नहीं है। - कहावत
- हेत प्रति से जो मिले, ताको मिलिए धाय, अंतर राखे जो मिले, तासौं मिलै बलाय। - कबीर
- सब धोकों में प्रथम और ख़राब अपने आप को धोखा देना है। - बेली
- स्पष्टभाषी दोखेबाज़ नहीं होता। - चाणक्य
- मुंह में राम बगल में छुरी। - कहावत
- मुझे जितनी जहन्नुम से फाटकों से घृणा है उतनी ही उस व्यक्ति से घृणा है जो दिल में एक बात छुपाकर दूसरी कहता है। - होमर
- ज़्यादा मधुर बानी धोकेबाज़ी की निशानी। - कहावत
ध्येय, लक्ष्य
- ध्येय जितना महान होता है, उसका रास्ता उतना ही लम्बा और बीहड़ होता है।
- यदि परिस्तिथियाँ अनुकूल हो तो सीधे अपने ध्येय कि ओर चलो, लेकिन परिस्तिथियाँ अनुकूल ना हो तो उस राह पर चलो जिसमे सबसे कम बाधा आने कि संभावना हो। - तिरुवल्लुवर
- अपने लक्ष्य को ना भूलो अन्यथा जो कुछ मिलेगा उसमे संतोष मानने लगोगे। - बर्नार्ड शा
- लक्ष्य रखना काफी नहीं है उसे प्राप्त करना चाहिए। - इतालियन कहावत
- अपने जीवन का लक्ष्य बनाओ और अपनी साडी शारीरिक और मानसिक शक्ति उसे पाने में लगा दो। - कार्लाइल
नक़ल
- किसी को अपना व्यक्तित्व छोड़कर दुसरे का व्यक्तित्व नहीं अपनाना चाहिए। - चैनिंग
- नक़ल के लिए भी कुछ अकल चाहिए। - फारसी कहावत
- मानव नक़ल करने वाला प्राणी है और जो सबसे आगे रहता है वो नेत्रित्व करता है। - शिलर
- उपदेश के बजाय कहीं ज़्यादा हम हम करके सीखते हैं। - बर्क
- जहाँ नक़ल है वहां खाली दिखावत होगी, जहाँ खाली दिखावत है वहां मूर्खता होगी। - जॉन्सन
नम्रता
- बड़े को छोटा बनकर रहना चाहिए, क्योंकि जो अपने आप को बड़ा मानता है वह छोटा बाह्य जाता है और जो छोटा बानाता है वह बड़ा पद पाटा है। - ईसा
- नम्रता और खुदा के खौफ से इज्जत और जिन्दगी मिलती है। - सुलेमान
- संसार के विरुद्ध खड़े रहने के लिए शक्ति प्राप्त करने की जरूरत नहीं है, ईसा दुनिया के खिलाफ खड़े रहे, बुद्ध भी अपने जमाने के खिलाफ गए, प्रहलाद ने भी वैसा ही किया, ये सब नम्रता के धनि थे, अकेले खड़े रहने की शक्ति नम्रता के बिना असंभव है। - महात्मा गाँधी
- मेरा विश्वास है की वास्तविक महान पुरुष की पहचान उसकी नम्रता है। - रस्किन
- नम्रता तन की शक्ति, जीतने की कला और शौर्य की पराकाष्ठा है। - विनोबा
- ऊंचे पाने न टिके, नीचे ही ठहराए, नीचे हो सो भरी पिबैं, ऊचां प्यासा जाय। - कबीर
नरक
- संसार में छल, प्रवंचना और हत्याओं को देखकर कभी कभी मान लेना पड़ता है की यह जगत ही नरक है। - जयशंकर प्रसाद
- काम, क्रोध, मद, लोभ सब, नाथ नरक के पंथ। - तुलसीदास
- अति क्रोध, कटु वाणी, दरिद्रता, स्वजनों से बैर, नीचों का संग और अकुलीन की सेवा, ये नरक में रहाहे वालों के लक्षण हैं। - चाणक्य नीति
नशा
- जो आदमी नशे में मदहोश हो उसकी सूरत उसकी माँ को भी बुरी लगती है। - तिरुवल्लुवर
- नशे की हालत में क्रोध की भांति, ग्लानी का वेग भी सहज ही बढ़ जाता है। - प्रेमचंद
- नशा करनेवाले मित्र से चले कोई कितना ही प्रेम क्यों ना करता हो पर जब निर्भर करने का अवसर आता है तो वह भरोषा उसपर करता है जो नशा न करता हो। - शरतचंद्र
नाम
- नाम में क्या रखा है जिसे हम गुलाब खाहते हैं वह किसी और नाम से भी सुगंध ही देगा। - शेक्सपियर
- अपना नाम सदा कायम रखने के लिए मनुष्य बड़े से बड़ा जोखिम उठाने, धन खर्च करने, हर तरह के कष्ट सहने यहाँ तक की मरने के लिए भी तैयार हो जाता है। - सुकरात
- अपने नाम को कमल की तरह निष्कलंक बनाओ। - लांग फैलो
- आदि नाम परस अहै, मन है मैला लोह, परसत ही कंचन भया, छूता बंधन मोह। - कबीर
निंदा
- यदि तुम्हारी कोई निंदा करे तो भीतर ही भीतर प्रशन्न हो क्योंकि तुम्हारी निंदा करके वह तुम्हारे पाप अपने ऊपर ले रहा है। - ब्रह्मानंद सरस्वती
- ऐ ईमान वालों, दुसरे पर शक मत करो | दूसरों पर शक करना कभी कभी गुनाह हो जाता है। - कुरान
- निंदक नियरे रखिये, आँगन कुटी छाबाये, बिन पानी बिन साबुना, निर्मल करे सुहाए। - कबीर
- हर किसी की निंदा सुन लो लेकिन अपना निर्णय गुप्त रखो। - शेक्सपियर
- जो तेरे सामने और की निंदा है वो और के सामने तेरी निंदा करेगा। - कहावत
निद्रा
- निद्रावस्था जागृतावस्था की स्तिथि का आईना है। - महात्मा गाँधी
- निद्रा रोगी की माता, भोगी की प्रियतमा और आलसी की बेटी है। - अज्ञात
- निद्रा एक ऐसा अथाह सागर है जिसमे हम सब अपने दुखों को डुबो देते है। - प्रेमचंद
- सोता साथ जगाइए, करै नाम का जाप, यह तीनों सोते भले, साकत सिंह और सांप। - कबीर
निराशा
- निराशा दुर्बलता का चिन्ह है। - रामतीर्थ
- निराशा में प्रतीक्षा अंधे की लाठी है। - प्रेमचंद
- निराशा स्वर्ग का सीलन है जैसे प्रशन्नता स्वर्ग की शांति। - डाने
नियम
- नियम यदि एक क्षण के लिए टूट जाये तो सारा सूर्यमंडल अस्त-व्यस्त हो जाए। - महात्मा गाँधी
- जो अपने लिए नियम नहीं बनाता उसे दूसरों के नियमों पर चलना पड़ता है। - हरिभाऊ उपाध्याय
- प्रकृति का यह साधारण नियम है जो कभी नहीं बदलेगा ही योग्य अयोग्यों पर शासन करते रहेंगे। - दायोनीसियस
निश्चय
- अनुभव बताता है की आवश्यकता कल में द्रिड निश्हय पूरी सहायता करता है। - शेक्सपियर
- जिसका निश्चय द्रिड और अटल है बह दुनिया को अपनी सोच में ढाल सकता है। - गेटे
- हम अपने अच्छे से अच्छे कर्मो पर भी लज्जित हो सकते हैं यदि लोग केवल उस निश्चय को देख सकें जिसकी प्रेरणा से वो किये गए हैं। - रोची
- सच्ची से सच्ची और अच्छी से अच्छी चतुराई निश्चय है। - नेपोलियन
- जो व्यक्ति निश्चय कर सकता है उसके लिए कुछ असंभव नहीं है। - एमर्सन
नीचता
- स्वाभाव की नीचता बर्षों में भी मालूम नहीं होती। - शेख सादी
- कुछ कही नीच न छेडिये, भलो न वाको संग, पाथर दारे कीच में, उछारे बिगारे अंग। - वृन्द
- नीच मनुष्य के साथ मैत्री और प्रेम कुछ भी नहीं करना चाहिए, कोयला अगर जल रहा है तो छूने से जला देता है और अगर ठंडा है तो हाथ काले कर देता है। - हितोपदेश
- दाग जो काला नील का, सौ मन साबुन धोय, कोटि जतन पर बोधिये, कागा हंस न होय। - कबीर
- जो उपकार करनेवाले को नीच मनाता है उससे अधिक नीच कोई दूसरा नहीं। - विनोबा
- शक्तियों का एक नियम है जिसके कारण चीजें समुद्र में एक खास गहराई से नीचे नहीं जा सकती लेकिन नीचता के समुद्र में हम जितने जहरे जाये डूबना उतना ही आसान होता है। - लाबैल
- नीच को देखने और उसकी बातें सुनाने से ही हमारी नीचता का आरम्भ होता है। - कन्फ्युसियास
==नेकी
- नेकी कर दरिया में डाल। - कहावत
- मधुमक्खियाँ केवल अँधेरे में काम करती है। विचार केवल मौन में काम आते हैं, नेक कार्य भी गुप्त रहकर ही कारगर होते हैं। - कार्लाइल
- नेकी का इरादा बदी की ख्वाहिश को दबा देता है। - हज़रत अली
- जितने दिन ज़िन्दा हो, उसे ग़नीमत समझो और इससे पहले की लोग तुम्हे मुर्दा कहें नेकी कर जाओ। - शेख़ सादी
पछतावा, पश्चाताप
- अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गयी खेत। - कहावत
- करता था सो क्यों किया, अब करि क्यों पछताए, बोवे पेड़ बबूल का, आम कहाँ से खाए। - कबीर
- पछतावा ह्रदय की वेदना है और निर्मल जीवन का उदय। - शेक्सपियर
- सुधार के बिना पश्चाताप ऐसा है जैसे सुराख़ बंद किये बिना जहाज में से पानी निकलना। - पामर
- मुझे कोई पछतावा नहीं क्योंकि मैंने किसी का बुरा नहीं किया। - महात्मा गाँधी
पड़ौसी
- कोई भी इतना धनी नहीं कि पड़ौसी के बिना काम चला सके। - डेनिस कहावत
- जब तुम्हारे पड़ौसी के घर में आग लगी तो तुम्हारी संपत्ति पर भी खतरा है। - होरेस
- सच्चा पड़ौसी वह नहीं जो तुम्हारे साथ उसी गली में रहता है बल्कि वह है जो तुम्हारे विचार स्तर पर रहता है। - रामतीर्थ
पति-पत्नी
- योग्य पति अपनी पत्नी को सम्मान की अधिकारिणी बना देता है। - मनु
- जिसे पति बनाना है उसके लिए पुरुष बनाना ज़रूरी है। - टैगोर
- पति को कभी-कभी अँधा और कभी-कभी बहरा होना चाहिए। - कहावत
- कर्मेशु मंत्री; कार्येशु दासी ; रुपेशु लक्ष्मी; क्षमाया धरित्री; भोज्येशु माता; शयनेशु रम्भा; सत्कर्म नारी कुलधर्मपत्नी। - पति के किये कार्य में मंत्री के समान सलाह देने वाली, सेवा में दासी के सामान काम करने वाली, माता के समान स्वादिष्ट भोजन करने वाली, शयन के समय रम्भा के सामान सुख देने वाली, धर्म के अनुकूल और क्षमादी गुण धारण करने में पृथ्वी के सामान स्थिर रहनेवाली होती है। - संस्कृत सूक्ति
पराधीनता
- पराधीन को ज़िन्दा कहें तो मुर्दा कौन है? - हितोपदेश
- कोई ईमानदार आदमी हड्डी की ख़ातिर अपने को कुत्ता नहीं बना सकता, और अगर वह ऐसा करता है तो वह ईमानदार नहीं है। - डेनिस कहावत
- नौकर रखना बुरा है लेकिन मालिक रखना और भी बुरा है। - पुर्तग़ाली कहावत
- पराधीनता समाज के समस्त मौलिक नियमों के विरुद्ध है। - मान्तेस्क्यु
- जिन्हें हम हीन या नीच बनाये रखते है वो भी क्रमशः हमें हेय और दीन बना देता हैं। - टैगोर
- गुलामी में रखना इंसान के शान के खिलाफ है, जिस गुलाम को अपनी दशा का मान है और फिर भी जंजीरों को तोड़ने का प्रयास नहीं करता वह पशु से हीन है, अन्तः करण से प्रार्थना करनेवाला कभी गुलामी को बर्दास्त नहीं कर सकता। - महात्मा गाँधी
परिश्रम
- परिश्रम करने से ही कार्य सिद्ध होते है, केवल इच्छा करने से नहीं। - हितोपदेश
- मरते दम तक तू अपने पसीने की कमाई की रोटी खाना। - बाइबल
- मनुष्य की सबसे अच्छी मित्र उसकी दस उंगलियाँ हैं। - राबर्ट कोलियर
- मानव सुख जीवन में है और जीवन परिश्रम में है। - अज्ञात
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