सुनील छेत्री
सुनील छेत्री (अंग्रेज़ी: Sunil Chhetri, जन्म- 3 अगस्त, 1984, सिकंदराबाद, तेलंगाना) प्रसिद्ध भारतीय फ़ुटबॉल खिलाड़ी हैं, जो वर्तमान में मोहन बागान एसी के लिए खेल रहे हैं। शौकिया फ़ुटबॉल खेलने के बाद उनके प्रोफेशनल कॅरियर की शुरुआत साल 2002 में हुई। 17 साल की उम्र में उन्हें मोहन बागान के लिए साइन किया गया था। साल 2007 में भारत के लिए खेलते हुए सुनील छेत्री ने बड़ा टूर्नामेंट नेहरू कप ट्रॉफी खेली थी। अपने पहले बड़े टूर्नामेंट में उन्होंने 5 मैचों में 4 गोल दागे। 22 साल की उम्र में पहली बार उनका नाम 'ए.आई.एफ.एफ. (AIFF) प्लेयर ऑफ द ईयर' के लिए दिया गया। 2018 में इंटरकॉन्टिनेंटल कप के दौरान सुनील छेत्री डेविड विला के साथ दुनिया के तीसरे सबसे एक्टिव इंटरनेशनल गोल स्कोरर बने।
परिचय
सुनील छेत्री का जन्म 3 अगस्त, 1984 को सिकंदराबाद, तेलंगाना में हुआ था। उनके माता-पिता के.बी. छेत्री और सुशीला छेत्री हैं। उन्होंने गंगटोक में बहाई स्कूल, दार्जिलिंग में बेथानी और आरसीएस, कोलकाता में लोयोला स्कूल और नई दिल्ली के आर्मी पब्लिक स्कूल में अध्ययन किया।
असुतोश कॉलेज में शामिल होकर अक्टूबर, 2001 में कुआलालंपुर में एशियाई स्कूल चैम्पियनशिप में भाग लेने के लिए सुनील छेत्री ने कक्षा बारहवीं में अपनी पढ़ाई छोड़ दी। वह जातीयता के द्वारा एक नेपाली है। उन्होंने दिल्ली में सिटी क्लब के साथ फ़ुटबॉल में अपना कॅरियर शुरू किया। वह मोहम बागान जेसीटी एफसी का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्होंने मौजूदा सीजन के लिए ईस्ट बंगाल क्लब के साथ हस्ताक्षर किए। उन्हें वर्ष 2007 के एआईएफएफ प्लेयर के रूप में चुना गया था। 22 मई, 2009 को उन्होंने डेम्पो एससी के लिए दो साल के समझौते पर हस्ताक्षर किए। उन्होंने अगस्त, 2009 में क्वीन एंड आरस्कू पार्क रेंजरों के साथ तीन साल के अनुबंध पर भी हस्ताक्षर किया। लेकिन वह नहीं खेल सके, क्योंकि भारत फीफा रेटिंग के शीर्ष 70 में नहीं है।[1]
कॅरियर
17 साल की आयु में सुनील ने अपना फ़ुटबॉल जीवन दिल्ली शहर में 2001 में शुरू किया। एक साल बाद ही तुरंत उनकी प्रतिभा को मोहन बागान ने समझा और उन्हें शामिल कर लिया। उस दिन से सुनील के पेशेवर फ़ुटबॉल जीवन का आरंभ हुआ और फिर क्या था, उन्होंने कभी पीछे मुड़ कर कभी नहीं देखा। सुनील छेत्री ने भारतीय टीम के लिए जूनियर ओर सीनियर दोनों श्रेणियों में भी खेला है। वह अभी भारतीय टीम के कप्तान हैं। 2007 में उनके कम्बोडिया के विरुद्ध 2 गोलों ने उन्हें मानो जैसे एक रात में ही हीरो बाना दिया। पूरे विश्व ने उनकी प्रतिभा को देखा और उसकी सराहना की। 3 गोल एएफसी चॅलेंज कप 2008 में ताजिकिस्तान के विरुद्ध मारकर उन्होंने भारत को 27 साल के बाद एशिया कप के लिए प्रवेश दिलाया।
इतनी सफलता पाने के बाद उन्हें दूसरे देशों से फ़ुटबॉल खेलने के लिए ऑफर आने लगे। अफवाहें यह भी थीं कि वह इंग्लिश प्रीमियर लीग के लिए खेल सकते हैं, परंतु किसी कारणवश नहीं खेल पाए। सुनील 2010 में कंसास सिटी के लिए मेजर लीग सॉकर यूएसए में खेलने के लिए गये। वह तीसरे भारतीय बने, जो भारत के बाहर खेलने के लिए गये हों। 2012 में उन्होंने स्पोर्टिंग क्लब डी पुर्तगाल के रिज़र्व्स टीम की तरफ से खेला। वहाँ भी उन्होंने अपने अच्छे खेल से सभी के दिल को जीत लिया। स्पोर्टिंग क्लब डी पुर्तगाल के साथ अनुबंध खत्म होते ही उन्होंने बेंगलूर फ़ुटबॉल क्लब के साथ अनुबंध कर लिया। अभी वह इस क्लब के कप्तान हैं और अपने खेल से टीम में वह अभी आई-लीग के नंबर एक के खिलाड़ी हैं।
पुरस्कार व सम्मान
- अर्जुन पुरस्कार - 2011
- ए.आई.एफ.एफ. प्लेयर ऑफ़ द ईयर - 2007, 2011, 2013, 2014
- एफ.पी.ए.आई. प्लेयर ऑफ़ द ईयर - 2009
- इण्डियन सुपर लीग हीरो - 2017-2018
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ सुनील छेत्री की जीवनी (हिंदी) jivani.org। अभिगमन तिथि: 13 जून, 2018।