वी. के. सिंह
जनरल विजय कुमार सिंह (अंग्रेज़ी: General Vijay Kumar Singh, जन्म- 10 मई, 1951, भिवानी, हरियाणा) भारतीय सेना के 26वें थल सेनाध्यक्ष रहे हैं। उन्हें परम विशिष्ट सेवा मैडल, अति विशिष्ट सेवा मैडल, युद्ध सेवा मैडल आदि से सम्मानित किया जा चुका है। जनरल वी. के. सिंह ऐसे पहले सैन्य प्रमुख रहे हैं, जिन्होंने कमांडो प्रशिक्षण लिया। जब वह सेना में थे, तब मुश्किल से मुश्किल ऑपरेशन को अंजाम देने का जिम्मा उन्हें ही मिलता था। वर्तमान में वी. के. सिंह गाज़ियाबाद से भाजपा के सांसद हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रथम कार्यकाल में वह विदेश मंत्री रहे। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में उन्हें 'सड़क, परिवहन एवं राष्ट्रीय राजमार्ग राज्य मंत्री' बनाया गया है।
परिचय
वी. के. सिंह का जन्म 10 मई, 1951 को हरियाणा के भिवानी जिले के बापोरा गांव में हुआ था। वह अपने परिवार की तीसरी पीढ़ी के सेना अधिकारी रहे हैं। उनके पिता सेना में एक कर्नल और दादा जूनियर कमीशंड ऑफीसर (जेसीओ) थे। वी. के. सिंह की प्रारंभिक शिक्षा पिलानी, राजस्थान के बिड़ला पब्लिक स्कूल में हुई। वी. के. सिंह को राजपूत रेजीमेंट (काली चिंदी) की दूसरी बटालियन में 17 जून, 1970 को कमीशन दिया गया था। जब यह कमांड पाकिस्तान के साथ लगी नियंत्रण रेखा पर तैनात थी, तब उन्होंने इसी यूनिट को अपनी कमांड में रखा था।[1]
कॅरियर
वी. के. सिंह ने डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज से आनर्स ग्रेजुएट, द यूनाइटेड स्टेट्स आर्मी इंफेंट्री स्कूल, फोर्ट बेंनिंग से किया। उनका यह रेंजर्स स्नातक कोर्स था। इसके अलावा उन्होंने कार्लीस्ल, पेंसिलवैनिया के आर्मी वार कॉलेज से भी पढ़ाई की। रैंजर्स कोर्स के दौरान वे कॉम्बैट ऑपरेशन्स में प्रथम आए थे। वी. के. सिंह को काउंटर इंसरजेंसी ऑपरेशन्स और हाई एल्टीट्यूड ऑपरेशन्स का बहुत अनुभव था। बांग्ला देश से युद्ध के दौरान उन्होंने कार्रवाई में भाग लिया था। काउंटर इंसरजेंसी फोर्स को कमांड करने के दौरान सेवा के लिए उन्हें अति विशिष्ट सेवा मेडल (एवीएसएम) दिया गया था।
जनरल वी. के. सिंह को 31 मार्च, 2010 को सेना प्रमुख बनाया गया और सेना प्रमुख बनने वाले वह पहले कमांडो थे। उनके कॅरियर के अंतिम समय में उनकी जन्म तिथि को लेकर विवाद हुआ था और इसके कारण वे सेना के पहले ऐसे सेवारत अधिकारी बने, जिनसे सरकार को कोर्ट में आमना-सामना करना पड़ा।
पुरस्कार व सम्मान
जनरल वी. के. सिंह को उनके सेवा काल के दौरान सेवा के लिए परम विशिष्ट सेवा मेडल, अति विशिष्ट सेवा मेडल और युद्ध सेवा मेडल दिया गया। उन्हें अमेरिकी युद्ध कौशल कॉलेज में भी पढ़ने का अवसर मिला। वह 31 मई, 2012 को सेना प्रमुख के पद से सेवानिवृत्त हो गए और सेना प्रमुख के तौर पर उनका कार्यकाल करीब 26 महीनों का रहा। उनके बाद जनरल बिक्रम सिंह को नया सेना प्रमुख बनाया गया। सेवानिवृत्ति के बाद उन्होंने अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन को अपना समर्थन दिया था।
राजनीतिक शुरुआत
1 मार्च, 2014 को वी. के. सिंह ने भाजपा में प्रवेश कर लिया और पिछले चुनाव में पार्टी ने उन्हें गाज़ियाबाद से प्रत्याशी बना दिया। हरियाणा मूल का होने के चलते अक्सर 'बाहरी' कहे जाने वाले वी. के. सिंह को 2014 में 7.58 लाख वोट मिले थे। वी. के. सिंह रिकार्ड 5 लाख 67 हजार मतों से विजयी हुए। इस चुनाव में मतों के लिहाज से यह देश में दूसरी सबसे बड़ी जीत रही। जीत के अंतर और सेना के अनुभव को देखते हुए सरकार में केंद्रीय मंत्री मंडल में उन्हें जगह मिली और उन्हें विदेश राज्य मंत्री बनाया गया। इस दौरान वी. के. सिंह को लीबिया, यूक्रेन और यमन में फंसे भारतीयों को अपने देश वापस लाने की जिम्मेदारी भी दी गई थी।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ वीके सिंह- जनरल विजय कुमार सिंह (हिंदी) webdunia.com। अभिगमन तिथि: 09 मई, 2020।
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