सृजन (सूक्तियाँ)

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:46, 9 अप्रैल 2012 का अवतरण (Text replace - "महत्वपूर्ण" to "महत्त्वपूर्ण")
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
क्रमांक सूक्तियाँ सूक्ति कर्ता
(1) एक बीज बढ़ते हुए कभी कोई आवाज नहीं करता, मगर एक पेड़ जब गिरता है तो जबरदस्त शोर और प्रचार के साथ, विनाश में शोर है, सृजन हमेशा मौन रहकर समृद्धि पाता है।
(2) नकल नहीं, सृजन करिए।
(3) प्रकृति का तमाशा भी ख़ूब है। सृजन में समय लगता है जबकि विनाश कुछ ही पलों में हो जाता है। ज़क़िया ज़ुबैरी
(4) निष्क्रियता से संदेह और डर की उत्पत्ति होती है, क्रियाशीलता से विश्वास और साहस का सृजन होता है, यदि आप डर पर विजय प्राप्त करना चाहते हैं, तो चुपचाप घर पर बैठ कर इसके बारे में विचार न करें, बाहर निकले और व्यस्त रहें। डेल कार्नेगी
(5) जब आप जागृत अवस्था में होते हैं, तो ही सर्वश्रेष्ठ स्वप्नों का सृजन होता है। चैरी ग्लाइडरब्लूम
(6) जीवन में मानव का मुख्य कार्य स्वयं का सृजन करना है, वह बनना जिसकी उसमें संभाव्यता है, उसके प्रयास का सबसे महत्त्वपूर्ण उत्पाद उसका स्वयं का व्यक्तित्व होता है। एरिक फ्राम्म
(7) मुक्ति शून्यता में नहीं, पूर्णता में है। पूर्णता सृजन करती है, ध्वंस नहीं करती। रवीन्द्रनाथ ठाकुर

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख