जवाहरलाल नेहरू के अनमोल वचन

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जवाहरलाल नेहरू के अनमोल वचन
जवाहरलाल नेहरू
  • आराम उनके प्रति विश्वासघात है जो इस संसार से चले गए हैं और जाते समय स्वतंत्रता का दीप प्रज्वलित रखने के लिए हमें दे गए हैं। यह उस ध्येय के प्रति विश्वासघात है जिसे हमने अपनाया है और जिसे प्राप्त करने की हमने प्रतिज्ञा की है। यह उन लाखों के प्रति विश्वासघात है जो कभी आराम नहीं करते।
  • आप सभी मनुष्यों को बराबर नहीं कर सकते, लेकिन हम सबको कम से कम समान अवसर तो दे सकते हैं।
  • संस्कृति की चाहे कोई भी परिभाषा क्यो न हो, किंतु उसे व्यक्ति, समूह अथवा राष्ट्र की सीमाओ मे बांधना मनुष्य की सबसे बड़ी भूल है।
  • जब आर्थिक परिवर्तन की प्रगति बहुत बढ़ जाती है, पर शासन तंत्र जैसा का तैसा बना रहता है, तब दोनों के बीच बहुत बड़ा अंतर आ जाता है। प्राय: यह अंतर एक आकस्मिक परिवर्तन से दूर होता है, जिसे क्रांति कहते हैं।
  • बिना कार्य के सिद्धांत दिमागी ऐयाशी है, बिना सिद्बांत के कार्य अंधे की टटोल है।
  • आज़ादी एक ऐसी चीज़ है कि जिस वक्त आप गफलत में पड़ेंगे, वह फिसल जाएगी। वह जा सकती है, वह खतरे में पड़ सकती है।
  • चुनाव जनता को राजनीतिक शिक्षा देने का विश्वविद्यालय है।
  • प्रतिबंधरहित शक्ति की भूख उपयोग से बढ़ती है।
  • जीवन विकास का सिद्धांत है, स्थिर रहने का नहीं। निरंतर विकसित होना स्थिर अवस्था में बने रहने की इजाजत नहीं देता।
  • महान ध्येय के प्रयत्न में ही आनंद है, उल्लास है और किसी अंश तक प्राप्ति की मात्रा भी है।
  • आपत्तियां हमें आत्मज्ञान कराती हैं, वे हमें दिखा देती हैं कि हम किस मिट्टी के बने हैं।

इन्हें भी देखें: अनमोल वचन, कहावत लोकोक्ति मुहावरे एवं सूक्ति और कहावत


टीका टिप्पणी और संदर्भ

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