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'''क्रांति त्रिवेदी''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Kranti Trivedi'', जन्म- [[28 सितंबर]], [[1930]]; मृत्यु- [[26 अक्टूबर]], [[2009]]) 20वीं सदी की [[हिन्दी]] की सबसे प्रतिष्ठित लेखिकाओं में से एक थीं। उन्होंने [[हिन्दी साहित्य]] को एक से बढ़कर एक कृतियां दी हैं। उन्हें लेखन एवं समाज सेवा के लिए अनेक पुरस्कार भी मिले। क्रांति त्रिवेदी [[मध्य प्रदेश]] के भूतपूर्व [[मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री|मुख्यमंत्री]] रहे [[रविशंकर शुक्ल|पंडित रविशंकर शुक्ल]] की पुत्री थीं।
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11:26, 23 मार्च 2024 के समय का अवतरण

क्रांति त्रिवेदी
क्रांति त्रिवेदी के सम्मान में जारी डाक टिकट
पूरा नाम क्रांति त्रिवेदी
जन्म 28 सितंबर, 1930
जन्म भूमि रायपुर, मध्य प्रदेश
मृत्यु 26 अक्टूबर, 2009
मृत्यु स्थान नई दिल्ली
अभिभावक पिता- पंडित रविशंकर शुक्ल
पति/पत्नी धरणीधर त्रिवेदी
कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र लेखन
मुख्य रचनाएँ 'चिर कल्याणी', 'अनोखा आरोही', 'शगुन पक्षी', 'कृष्ण पक्ष', 'अमृत घाट', 'मोहभंग', 'बन बूंद अमृत' और 'आठवां जन्म' आदि।
पुरस्कार-उपाधि पंडित दीनदयाल उपाध्याय पुरस्कार, 2002

नारी लेखन पुरस्कार, मध्य प्रदेश सरकार
राष्ट्रीय हिंदी सेवा मिलेनियम सम्मान, यूनेस्को

प्रसिद्धि साहित्यकार, उपन्यासकार, कहानीकार
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी क्रांति त्रिवेदी के पहले छह उपन्यास हिंदी के प्रति रुचि पैदा करने के साथ-साथ हिंदी साहित्य के प्रचार-प्रसार में मील का पत्थर साबित हुए। बाद में पौराणिक उपन्यासों में उन्होंने स्त्री की विविध भावनाओं को उजागर किया।
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची

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जन्म

हिन्दी की प्रख्यात लेखिका क्रांति त्रिवेदी का जन्म सन 1930 में अविभाजित मध्य प्रदेश के रायपुर में हुआ था। वह मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे पंडित रविशंकर शुक्ल की सबसे छोटी पुत्री थीं। वह पूर्व मुख्यमंत्री रहे श्यामाचरण शुक्ल और पूर्व केंद्रीय मंत्री रहे विद्याचरण शुक्ल की बहन थीं। इनके पति धरणीधर त्रिवेदी उत्तर प्रदेश सरकार में आयकर आयुक्त थे। सहज रुचि जगाने के साथ-साथ पाठकों को हिंदी साहित्य और अधिक पढ़ने के लिए प्रेरित करने के लिए क्रांति त्रिवेदी ने सरल भाषा और दिलचस्प विषयवस्तु के माध्यम से साहित्य के विभिन्न रूपों में अपने लेखन कौशल का प्रदर्शन किया।

लेखन कार्य

क्रांति त्रिवेदी के पहले छह उपन्यास हिंदी के प्रति रुचि पैदा करने के साथ-साथ हिंदी साहित्य के प्रचार-प्रसार में मील का पत्थर साबित हुए। बाद में पौराणिक उपन्यासों में उन्होंने स्त्री की विविध भावनाओं को उजागर किया। 'शगुन पक्षी', 'कृष्ण पक्ष', 'अमृत घाट', 'मोहभंग', 'बन बूंद अमृत' और 'आठवां जन्म' उनके सशक्त सामाजिक उपन्यास हैं जिनमें महिलाओं की समस्याओं को बड़ी सहानुभूति के साथ उठाया गया है।

अपने जीवन काल के दौरान क्रांति त्रिवेदी ने 40 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित कीं और पाँच अप्रकाशित पांडुलिपियाँ छोड़ गईं। ऐसी ही एक अप्रकाशित पांडुलिपि 'लता और वृक्ष' थी, जिसे 29 अक्टूबर 2010 को दिल्ली के मुख्यमंत्री द्वारा प्रकाशित और जारी किया गया था।

प्रमुख कृतियाँ

उपन्यास - मन की हार, स्वयंवरा, समर्पण, अंतिमा, ओस की बूँद, कथा अनंता, तृष्णा, बहे सो गंगा, उत्तराधिकारी, यह हार नहीं, फूलों का सपना, चिर कल्याण, राघवप्रिय, राधिका, शतरूपा के आँसू, शगुन पंछी, कृष्ण पक्ष, अमृत घट, मोहभंग, भूमिजा, गंगादत्त, बूँद-बूँद अमृत, आठवाँ जनम, अशेष, आगम, मैं और मेरा समय, स्त्री, अनोखा आरोही।

कहानी संग्रह - दीप्त प्रश्न, शायर का अंत, एक अंतहीन प्यास, नारी मन की कहानियां, नारी तथा अन्य कहानियां, दीक्षा।

सम्मान व पुरस्कार

  • क्रांति त्रिवेदी को वर्ष 2002 के लिए हिंदी सेवी सम्मान जैसे कई पुरस्कार प्राप्त हुए।
  • उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार के उत्तर प्रदेश संस्थान द्वारा 2002 के लिए 'पंडित दीनदयाल उपाध्याय पुरस्कार' से सम्मानित किया गया था।
  • यूनेस्को द्वारा 'राष्ट्रीय हिंदी सेवा मिलेनियम सम्मान' मिला।
  • मध्य प्रदेश सरकार की राष्ट्रभाषा प्रचार समिति द्वारा 'नारी लेखन पुरस्कार' से सम्मानित किया गया।
  • 2010 में भारत सरकार ने उनके सम्मान में एक स्मारक डाक टिकट जारी किया।

मृत्यु

क्रांति त्रिवेदी की मृत्यु 26 अक्टूबर, 2009 को नई दिल्ली में हुई।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

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