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'''गोदावरीश मिश्र''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Godavarish Mishra''; जन्म- [[26 अक्टूबर]], [[1886]], [[पुरी]], [[उड़ीसा]]; मृत्यु- [[25 जुलाई]], [[1956]]) उड़ीसा के प्रसिद्ध समाज सुधारक, साहित्यकार और सार्वजनिक कार्यकर्ता थे। उन्होंने [[कविता]], [[नाटक]], [[उपन्यास]], [[कहानी|कहानियाँ]] तथा जीवन चरित्र आदि लिखे हैं। '[[साहित्य अकादमी|भारतीय साहित्य अकादमी]]' ने उनकी [[आत्मकथा]] को पुरस्कृत किया था। गोदावरीश मिश्र जी ने [[1941]] में उड़ीशा के शिक्षामंत्री और वित्तमंत्री का पद भी सम्भाला था।
'''गोदावरीश मिश्र''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Godavarish Mishra''; जन्म- [[26 अक्टूबर]], [[1886]], [[पुरी]], [[उड़ीसा]]; मृत्यु- [[25 जुलाई]], [[1956]]) उड़ीसा के प्रसिद्ध समाज सुधारक, साहित्यकार और सार्वजनिक कार्यकर्ता थे। इन्होंने [[कविता]], [[नाटक]], [[उपन्यास]], [[कहानी|कहानियाँ]] तथा जीवन चरित्र आदि लिखे हैं। '[[साहित्य अकादमी|भारतीय साहित्य अकादमी]]' ने इनकी आत्मकथा को पुरस्कृत किया था। गोदावरीश मिश्र जी ने [[1941]] में उड़ीशा के शिक्षामंत्री और वित्तमंत्री का पद भी सम्भाला था।
 
 
==जन्म तथा शिक्षा==
 
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गोदावरीश मिश्र जी का जन्म 26 अक्टूबर, 1886 ई. में [[उड़ीसा]] के [[पुरी ज़िला|पुरी ज़िले]] में 'बाणपुर' नामक स्थान पर हुआ था। उन्होंने ने [[कोलकाता]] (भूतपूर्व कलकत्ता) से एम.ए. और बी.टी. की परीक्षाएं उत्तीर्ण की थीं।
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गोदावरीश मिश्र जी का जन्म 26 अक्टूबर, 1886 ई. को [[उड़ीसा]] के [[पुरी ज़िला|पुरी ज़िले]] में 'बाणपुर' नामक स्थान पर हुआ था। उन्होंने ने [[कोलकाता]] (भूतपूर्व कलकत्ता) से एम.ए. और बी.टी. की परीक्षाएं उत्तीर्ण की थीं।
 
====देश सेवा की भावना====
 
====देश सेवा की भावना====
 
देश सेवा की और सामाजिक बुराइयों को दूर करने की भावना गोदावरीश मिश्र के अन्दर आरंभ से ही थी। बहुत-सी रूढ़ियों का पालन न करने के कारण सामाजिक बहिष्कार की भी उन्होंने परवाह नहीं की। उनके सामने अध्ययन के लिये [[इंग्लैण्ड]] और [[अमेरिका]] जाने का अवसर भी आया, परंतु उन्होंने अस्वीकार कर दिया।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय चरित कोश|लेखक=लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय'|अनुवादक=|आलोचक=|प्रकाशक=शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली|संकलन= |संपादन=|पृष्ठ संख्या=243|url=}}</ref>
 
देश सेवा की और सामाजिक बुराइयों को दूर करने की भावना गोदावरीश मिश्र के अन्दर आरंभ से ही थी। बहुत-सी रूढ़ियों का पालन न करने के कारण सामाजिक बहिष्कार की भी उन्होंने परवाह नहीं की। उनके सामने अध्ययन के लिये [[इंग्लैण्ड]] और [[अमेरिका]] जाने का अवसर भी आया, परंतु उन्होंने अस्वीकार कर दिया।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय चरित कोश|लेखक=लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय'|अनुवादक=|आलोचक=|प्रकाशक=शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली|संकलन= |संपादन=|पृष्ठ संख्या=243|url=}}</ref>
  
[[भारत]] की अंग्रेज़ी सरकार उन्हें डिप्टी कलेक्टर की नौकरी भी दे रही थी, लेकिन उन्होंने उसे भी स्वीकार नहीं किया। इसके स्थान पर उन्होंने पं. गोपबन्धु द्वारा स्थापित 'सत्यवादी स्कूल' में 30 [[रुपया|रुपये]] प्रतिमाह वेतन पर अध्यापक बनना स्वीकार किया। इससे यह सिद्ध हो जाता है कि वे एक सच्चे राष्ट्र भक्त थे और देश सेवा की भावना उनके भीतर गहराई तक जमी हुई थी। राष्ट्रीय नव जागरण के क्षेत्र में भी गोदावरीश मिश्र की लेखनी का बड़ा योगदान रहा।  
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[[भारत]] की [[अंग्रेज़]] सरकार उन्हें डिप्टी कलेक्टर की नौकरी भी दे रही थी, लेकिन उन्होंने उसे भी स्वीकार नहीं किया। इसके स्थान पर उन्होंने [[गोपबन्धु दास|पं. गोपबन्धु]] द्वारा स्थापित 'सत्यवादी स्कूल' में 30 [[रुपया|रुपये]] प्रतिमाह वेतन पर अध्यापक बनना स्वीकार किया। इससे यह सिद्ध हो जाता है कि वे एक सच्चे राष्ट्र भक्त थे और देश सेवा की भावना उनके भीतर गहराई तक जमी हुई थी। राष्ट्रीय नवजागरण के क्षेत्र में भी गोदावरीश मिश्र की लेखनी का बड़ा योगदान रहा।  
 
==लेखन कार्य==
 
==लेखन कार्य==
 
[[उड़िया भाषा]] के प्रमुख रचनाकार के रूप में गोदावरीश मिश्र ने [[कविता]], [[उपन्यास]], [[नाटक]], कहानियाँ, जीवन चरित्र आदि सभी विधाओं में लेखन किया। उनकी आत्मकथा को 'भारतीय साहित्य अकादमी' ने उनकी मृत्यु के बाद पुरस्कृत किया था। उनके कुछ कविता संग्रह इस प्रकार हैं<ref>{{cite web |url=http://www.kavitakosh.org/kk/%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A4%BF%E0%A4%9C%E0%A4%BE%E0%A4%88_/_%E0%A4%97%E0%A5%8B%E0%A4%A6%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%B6_%E0%A4%AE%E0%A4%BF%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%B0_/_%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%A8%E0%A5%87%E0%A4%B6_%E0%A4%95%E0%A5%81%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B0_%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A5%80#.U4HqLHZ2AdU|title=गोदावरीश मिश्र|accessmonthday= 25 मई|accessyear= 2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref>-
 
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[[राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी]] के रचनात्मक कार्यों को आगे बढ़ाने के लिये प्रयत्नशील गोदावरीश मिश्र की इतनी मान्यता थी कि [[1927]] में अपने [[उड़ीसा]] के भ्रमण के समय गाँधी जी दो दिन उनके घर पर टिके थे। '[[स्वराज्य पार्टी]]' के टिकट पर वे बिहार-उड़ीसा कौसिल के सदस्य भी रहे। [[1941]] में उन्होंने [[उड़ीसा]] के शिक्षा और वित्तमंत्री का पदभार संभाला। 'उत्कल विश्वविद्यालय' की स्थापना उनके अथक प्रयत्नों से ही सम्भव हुई थी।
 
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उड़ीसा की महान् विभूति का निधन [[25 जुलाई]], [[1956]] ई. को हुआ।
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05:31, 25 जुलाई 2018 के समय का अवतरण

गोदावरीश मिश्र
गोदावरीश मिश्र
पूरा नाम गोदावरीश मिश्र
जन्म 26 अक्टूबर, 1886
जन्म भूमि पुरी, उड़ीसा
मृत्यु 25 जुलाई, 1956
कर्म भूमि भारत
मुख्य रचनाएँ 'कुसुम', 'कलिका', 'किसलय', 'आलेखिका', 'कवितायन', 'चयनिका', 'गीतायन', 'गीति गुच्छ' आदि।
विषय इन्होंने कविता, नाटक, उपन्यास, कहानियाँ तथा जीवन चरित्र आदि लिखे हैं।
भाषा उड़िया
शिक्षा एम.ए. और बी.टी.
प्रसिद्धि साहित्यकार तथा समाज सुधारक
विशेष योगदान 'उत्कल विश्वविद्यालय' की स्थापना इनके अथक प्रयत्नों से ही सम्भव हुई थी।
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी गोदावरीश मिश्र 'स्वराज्य पार्टी' के टिकट पर बिहार-उड़ीसा कौसिल के सदस्य रहे थे। 1941 में उन्होंने उड़ीसा के शिक्षा और वित्तमंत्री का पदभार भी संभाला।
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची

गोदावरीश मिश्र (अंग्रेज़ी: Godavarish Mishra; जन्म- 26 अक्टूबर, 1886, पुरी, उड़ीसा; मृत्यु- 25 जुलाई, 1956) उड़ीसा के प्रसिद्ध समाज सुधारक, साहित्यकार और सार्वजनिक कार्यकर्ता थे। उन्होंने कविता, नाटक, उपन्यास, कहानियाँ तथा जीवन चरित्र आदि लिखे हैं। 'भारतीय साहित्य अकादमी' ने उनकी आत्मकथा को पुरस्कृत किया था। गोदावरीश मिश्र जी ने 1941 में उड़ीशा के शिक्षामंत्री और वित्तमंत्री का पद भी सम्भाला था।

जन्म तथा शिक्षा

गोदावरीश मिश्र जी का जन्म 26 अक्टूबर, 1886 ई. को उड़ीसा के पुरी ज़िले में 'बाणपुर' नामक स्थान पर हुआ था। उन्होंने ने कोलकाता (भूतपूर्व कलकत्ता) से एम.ए. और बी.टी. की परीक्षाएं उत्तीर्ण की थीं।

देश सेवा की भावना

देश सेवा की और सामाजिक बुराइयों को दूर करने की भावना गोदावरीश मिश्र के अन्दर आरंभ से ही थी। बहुत-सी रूढ़ियों का पालन न करने के कारण सामाजिक बहिष्कार की भी उन्होंने परवाह नहीं की। उनके सामने अध्ययन के लिये इंग्लैण्ड और अमेरिका जाने का अवसर भी आया, परंतु उन्होंने अस्वीकार कर दिया।[1]

भारत की अंग्रेज़ सरकार उन्हें डिप्टी कलेक्टर की नौकरी भी दे रही थी, लेकिन उन्होंने उसे भी स्वीकार नहीं किया। इसके स्थान पर उन्होंने पं. गोपबन्धु द्वारा स्थापित 'सत्यवादी स्कूल' में 30 रुपये प्रतिमाह वेतन पर अध्यापक बनना स्वीकार किया। इससे यह सिद्ध हो जाता है कि वे एक सच्चे राष्ट्र भक्त थे और देश सेवा की भावना उनके भीतर गहराई तक जमी हुई थी। राष्ट्रीय नवजागरण के क्षेत्र में भी गोदावरीश मिश्र की लेखनी का बड़ा योगदान रहा।

लेखन कार्य

उड़िया भाषा के प्रमुख रचनाकार के रूप में गोदावरीश मिश्र ने कविता, उपन्यास, नाटक, कहानियाँ, जीवन चरित्र आदि सभी विधाओं में लेखन किया। उनकी आत्मकथा को 'भारतीय साहित्य अकादमी' ने उनकी मृत्यु के बाद पुरस्कृत किया था। उनके कुछ कविता संग्रह इस प्रकार हैं[2]-

  1. कुसुम - 1919
  2. कलिका - 1921
  3. किसलय - 1922
  4. आलेखिका, कवितायन - 1926
  5. चयनिका - 1932
  6. गीतायन - 1953
  7. गीति गुच्छ - 1960

शिक्षा और वित्तमंत्री

राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के रचनात्मक कार्यों को आगे बढ़ाने के लिये प्रयत्नशील गोदावरीश मिश्र की इतनी मान्यता थी कि 1927 में अपने उड़ीसा के भ्रमण के समय गाँधी जी दो दिन उनके घर पर टिके थे। 'स्वराज्य पार्टी' के टिकट पर वे बिहार-उड़ीसा कौसिल के सदस्य भी रहे। 1941 में उन्होंने उड़ीसा के शिक्षा और वित्तमंत्री का पदभार संभाला। 'उत्कल विश्वविद्यालय' की स्थापना उनके अथक प्रयत्नों से ही सम्भव हुई थी।

निधन

उड़ीसा की महान् विभूति गोदावरीश मिश्र का निधन 25 जुलाई, 1956 को हुआ।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |पृष्ठ संख्या: 243 |
  2. गोदावरीश मिश्र (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 25 मई, 2014।

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