"थेरगाथा" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
('*बौद्ध साहित्य के ये दो प्रसिद्ध ग्रंथ हैं। *थेरगा...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
 
(एक अन्य सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति 6: पंक्ति 6:
 
*वे सब तथागत की शरण में आकर आध्यात्मिक समता को प्राप्त हो चुके थे।
 
*वे सब तथागत की शरण में आकर आध्यात्मिक समता को प्राप्त हो चुके थे।
  
{{प्रचार}}
+
{{लेख प्रगति|आधार= |प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{लेख प्रगति|आधार=आधार1|प्रारम्भिक= |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
 
 
{{संदर्भ ग्रंथ}}
 
{{संदर्भ ग्रंथ}}
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
पंक्ति 13: पंक्ति 12:
 
==बाहरी कड़ियाँ==
 
==बाहरी कड़ियाँ==
 
==संबंधित लेख==
 
==संबंधित लेख==
 +
{{बौद्ध साहित्य}}
 
{{बौद्ध धर्म}}
 
{{बौद्ध धर्म}}
 
[[Category:बौद्ध_धर्म]]
 
[[Category:बौद्ध_धर्म]]
 
[[Category:साहित्य_कोश]]
 
[[Category:साहित्य_कोश]]
 
[[Category:बौद्ध साहित्य]]
 
[[Category:बौद्ध साहित्य]]
[[Category:बौद्ध धर्म कोश]]
+
[[Category:बौद्ध धर्म कोश]][[Category:धर्म कोश]]
 
__INDEX__
 
__INDEX__

13:45, 21 मार्च 2014 के समय का अवतरण

  • बौद्ध साहित्य के ये दो प्रसिद्ध ग्रंथ हैं।
  • थेरगाथा में उन बौद्ध-भिक्षुओं की उपलब्धियों का वर्णन है जिन्होंने परमपद प्राप्त किया।
  • इसमें बौद्ध संघ का सुंदर चित्रण मिलता है।
  • संघ में दीनों की कुटियों से निकले साधारण लोग भी थे और कपिलवस्तु, वैशाली, श्राबस्ती, राजगृह आदि के राजभवनों से निकले संपन्न लोग भी। परंतु संघ में वे सब समान थे।
  • धन, बल और पद का कोई भेदभाव न था।
  • वे सब तथागत की शरण में आकर आध्यात्मिक समता को प्राप्त हो चुके थे।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख