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'''रमेशचन्द्र दत्त''' (जन्म- 1848 ई.; मृत्यु- [[1909]] ई.) धन के बहिर्गमन की विचारधारा के प्रवर्तक तथा महान शिक्षाशास्त्री थे। [[1899]] ई. में '[[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]]' के '[[कांग्रेस अधिवेशन लखनऊ|लखनऊ अधिवेशन]]' की अध्यक्षता इन्होंने की थी। इनकी रचनाओं में 'ब्रिटिश भारत का आर्थिक इतिहास', 'विक्टोरिया युग में भारत' और 'प्राचीन भारतीय सभ्यता का इतिहास' शामिल हैं।
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'''रमेश चन्द्र दत्त''' (जन्म- [[13 अगस्त]], 1848, [[कलकत्ता]], ब्रिटिश भारत; मृत्यु- [[30 नवम्बर]], [[1909]] [[बड़ौदा]]) धन के बहिर्गमन की विचारधारा के प्रवर्तक तथा महान शिक्षाशास्त्री थे। [[1899]] ई. में '[[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]]' के '[[कांग्रेस अधिवेशन लखनऊ|लखनऊ अधिवेशन]]' की अध्यक्षता इन्होंने की थी। इनकी रचनाओं में 'ब्रिटिश भारत का आर्थिक इतिहास', 'विक्टोरिया युग में भारत' और 'प्राचीन भारतीय सभ्यता का इतिहास' आदि शामिल हैं।
==जन्म तथा शिक्षा==
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==जन्म==
[[अंग्रेज़ी भाषा|अंग्रेज़ी]] और [[बंगला भाषा]] के प्रसिद्ध लेखक रमेशचन्द्र दत्त का जन्म 1848 ई. में हुआ था। अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद इन्होंने [[इंग्लैंड]] जाकर 'आई.सी.एस.' की परीक्षा पास की और अनेक उच्च प्रशासनिक पदों पर कार्य किया। लेकिन रमेशचन्द्र दत्त की ख्याति मौलिक लेखक और इतिहासवेत्ता के रूप में ही अधिक है।
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[[अंग्रेज़ी भाषा|अंग्रेज़ी]] और [[बंगला भाषा]] के प्रसिद्ध लेखक रमेश चन्द्र दत्त का जन्म 13 अगस्त, 1848 ई. में कलकत्ता (वर्तमान [[कोलकाता]]) में हुआ था। इनके [[पिता]] का नाम 'इसम चन्द्र दत्त' (Isam Chander Dutt) और [[माता]] 'ठकमणि' (Thakamani) थीं। इनके पिता [[बंगाल (आज़ादी से पूर्व)|बंगाल]] के डिप्टी कलेक्टर थे। एक दुर्घटना में पिता की मृत्यु हो जाने के बाद रमेश चन्द्र दत्त की देखभाल उनके चाचा शशी चन्द्र दत्त ने की। 
====रचनाएँ====
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====शिक्षा====
आरम्भ में रमेशचन्द्र दत्त ने अंग्रेज़ी भाषा में भारतीय [[संस्कृत]] और [[इतिहास]] पर 14 स्तरीय ग्रंथों की रचना की। बाद में [[बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय|बंकिमचंद्र]] के प्रभाव से अपनी मातृभाषा बंगला में रचनाएं करने लगे। एक ऐतिहासिक उपन्यासकार के रूप में रमेशचन्द्र दत्त को विशेष ख्याति प्राप्त हुई थी। उनके चार प्रसिद्ध ऐतिहासिक उपन्यास हैं-
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रमेश चन्द्र ने सन [[1864]] में 'कलकत्ता विश्वविद्यालय' में प्रवेश लिया। अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद इन्होंने [[इंग्लैंड]] जाकर 'आई.सी.एस.' की परीक्षा पास की और अनेक उच्च प्रशासनिक पदों पर कार्य किया। लेकिन रमेश चन्द्र दत्त की ख्याति मौलिक लेखक और इतिहासवेत्ता के रूप में ही अधिक है।
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आरम्भ में रमेश चन्द्र दत्त ने अंग्रेज़ी भाषा में भारतीय [[संस्कृत]] और [[इतिहास]] पर 14 स्तरीय ग्रंथों की रचना की। बाद में [[बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय|बंकिमचंद्र]] के प्रभाव से अपनी मातृभाषा [[बंगला भाषा|बंगला]] में रचनाएँ करने लगे। एक ऐतिहासिक उपन्यासकार के रूप में रमेश चन्द्र दत्त को विशेष ख्याति प्राप्त हुई थी। उनके चार प्रसिद्ध ऐतिहासिक उपन्यास हैं-
 
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कुछ विद्वान ऐतिहासिक उपन्यासों से अधिक महत्त्व दो सामाजिक उपन्यासों 'संसार' तथा 'समाज' को देते हैं। ग्राम्य जीवन का चित्रण इन उपन्यासों की विशेषता है।
 
कुछ विद्वान ऐतिहासिक उपन्यासों से अधिक महत्त्व दो सामाजिक उपन्यासों 'संसार' तथा 'समाज' को देते हैं। ग्राम्य जीवन का चित्रण इन उपन्यासों की विशेषता है।
 
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09:31, 19 जनवरी 2013 का अवतरण

रमेश चन्द्र दत्त (जन्म- 13 अगस्त, 1848, कलकत्ता, ब्रिटिश भारत; मृत्यु- 30 नवम्बर, 1909 बड़ौदा) धन के बहिर्गमन की विचारधारा के प्रवर्तक तथा महान शिक्षाशास्त्री थे। 1899 ई. में 'भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस' के 'लखनऊ अधिवेशन' की अध्यक्षता इन्होंने की थी। इनकी रचनाओं में 'ब्रिटिश भारत का आर्थिक इतिहास', 'विक्टोरिया युग में भारत' और 'प्राचीन भारतीय सभ्यता का इतिहास' आदि शामिल हैं।

जन्म

अंग्रेज़ी और बंगला भाषा के प्रसिद्ध लेखक रमेश चन्द्र दत्त का जन्म 13 अगस्त, 1848 ई. में कलकत्ता (वर्तमान कोलकाता) में हुआ था। इनके पिता का नाम 'इसम चन्द्र दत्त' (Isam Chander Dutt) और माता 'ठकमणि' (Thakamani) थीं। इनके पिता बंगाल के डिप्टी कलेक्टर थे। एक दुर्घटना में पिता की मृत्यु हो जाने के बाद रमेश चन्द्र दत्त की देखभाल उनके चाचा शशी चन्द्र दत्त ने की।

शिक्षा

रमेश चन्द्र ने सन 1864 में 'कलकत्ता विश्वविद्यालय' में प्रवेश लिया। अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद इन्होंने इंग्लैंड जाकर 'आई.सी.एस.' की परीक्षा पास की और अनेक उच्च प्रशासनिक पदों पर कार्य किया। लेकिन रमेश चन्द्र दत्त की ख्याति मौलिक लेखक और इतिहासवेत्ता के रूप में ही अधिक है।

रचनाएँ

आरम्भ में रमेश चन्द्र दत्त ने अंग्रेज़ी भाषा में भारतीय संस्कृत और इतिहास पर 14 स्तरीय ग्रंथों की रचना की। बाद में बंकिमचंद्र के प्रभाव से अपनी मातृभाषा बंगला में रचनाएँ करने लगे। एक ऐतिहासिक उपन्यासकार के रूप में रमेश चन्द्र दत्त को विशेष ख्याति प्राप्त हुई थी। उनके चार प्रसिद्ध ऐतिहासिक उपन्यास हैं-

  1. बंग विजेता
  2. माधवी कंकण
  3. राजपूत जीवन संध्या
  4. महाराष्ट्र जीवन प्रभात

कुछ विद्वान ऐतिहासिक उपन्यासों से अधिक महत्त्व दो सामाजिक उपन्यासों 'संसार' तथा 'समाज' को देते हैं। ग्राम्य जीवन का चित्रण इन उपन्यासों की विशेषता है।

निधन

सन 1909 में रमेश चन्द्र दत्त का देहान्त हो गया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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