"आदित्य चौधरी -फ़ेसबुक पोस्ट" के अवतरणों में अंतर
गोविन्द राम (चर्चा | योगदान) |
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+ | हर शाख पे बैठे उल्लू से, | ||
+ | कोई प्यार से जाके ये पूछे | ||
+ | है क्या अपराध गुलिस्तां का ? | ||
+ | जो शाख पे आके तुम बैठे ! | ||
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+ | कितने सपने कितने अरमां | ||
+ | लेकर हम इनसे मिलते हैं | ||
+ | बेदर्द ये पंजों से अपने | ||
+ | सबकी किस्मत को खुरचते हैं | ||
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+ | उल्लू तो चुप ही रहते हैं | ||
+ | वो बोलेंगे, इस कोशिश में | ||
+ | हम चप्पल जूते घिसते हैं | ||
+ | दिन-रात दर्द से पिसते हैं | ||
+ | </poem> | ||
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+ | <poem> | ||
+ | ना शाख कभी ये सूखेंगी | ||
+ | ना पेड़ कभी ये कटना है | ||
+ | जब भी कोई शाख नई होगी | ||
+ | उल्लू ही उसमें बसना है | ||
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+ | इस जंगल में अब आग लगे | ||
+ | और सारे उल्लू भस्म करे | ||
+ | फिर नया एक सावन आए | ||
+ | और नया सवेरा पहल करे | ||
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+ | तब नई कोंपलें फूटेंगी | ||
+ | और नई शाख उग आएगी | ||
+ | फिर नये गीत ही गूँजेंगे | ||
+ | और नई ज़िन्दगी गाएगी | ||
+ | </poem> | ||
+ | |} | ||
+ | | [[चित्र:Aditya-Chaudhary-facebook-post-31.jpg|250px|center]] | ||
+ | | 4 जून, 2014 | ||
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13:39, 5 जून 2014 का अवतरण
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