केसरिया बौद्ध स्तूप बिहार के प्रसिद्ध बौद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है। केसरिया पूर्वी चम्पारण से 35 किलोमीटर दूर दक्षिण साहेबगंज-चकिया मार्ग पर लाल छपरा चौक के पास अवस्थित है। यह पुरातात्विक महत्व का प्राचीन ऐतिहासिक स्थल है। यहाँ एक वृहद् बौद्धकालीन स्तूप है जिसे 'केसरिया बौद्ध स्तूप' के नाम से जाना जाता है। बुद्ध ने वैशाली से कुशीनगर जाते हुए एक रात केसरिया में बितायी थी तथा लिच्छविओं को अपना भिक्षा पात्र प्रदान किया था।
- पूर्वी चम्पारण जिले की भौगोलिक, ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक विरासत युगों से रही है परन्तु 1998 में पुरातत्त्व अन्वेषण विभाग द्वारा केसरिया में उत्खनन के बाद दुनिया का सबसे ऊँचा बौद्ध स्तूप मिलने के बाद बिहार ने अपने अतीत का गौरव फिर से प्राप्त कर लिया।[1]
- केसरिया बौद्ध स्तूप की ऊँचाई आज भी 104 फीट है जबकि इंडोनेशिया स्थित विश्व प्रसिद्ध बोरोबुदुर (जावा) बौ़द्ध स्तूप की ऊँचाई 103 फीट है। ये दोनों स्तूप छह तल्ले वाले हैं जिसकी प्रत्येक दीवार खण्ड में बुद्ध की मूर्तियाँ स्थापित हैं।
- स्तूप में लगी ईंटें मौर्य कालीन हैं। सभी मूर्तियां विभिन्न मुद्राओं में हैं।
- सन 1861-1862 में इस स्तूप के सम्बन्ध में जर्नल कर्निंघम ने लिखा है कि- "केसरिया का यह स्तूप 200 ई. से 700 ई. के मध्य कभी बना होगा"।
- चीनी यात्री फ़ाह्यान के अनुसार, केसरिया के देउरा स्थल पर भगवान बुद्ध ने अपने महापरिनिर्वाण के ठीक पहले वैशाली से कुशीनगर जाते वक्त एक रात का विश्राम किया था तथा साथ आये वैशाली के भिक्षुकों को अपना भिक्षा पात्र प्रदान कर कुशीनगर के लिए प्रस्थान किया था।
- आज केसरिया बौद्ध स्तूप देखने विदेशों से हजारों पर्यटक एवं बौद्ध भिक्षुक रोज़ आते हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ केसरिया बौद्ध स्तूप (हिंदी) eastchamparan.nic.in। अभिगमन तिथि: 01 मार्च, 2020।