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- तुज्क ए जहाँगीरी
- तुझहि चरन अरबिंद -रैदास
- तुझा देव कवलापती सरणि आयौ -रैदास
- तुफ़ास्क
- तुम.. -अशोक कुमार शुक्ला
- तुम -सुभद्रा कुमारी चौहान
- तुम अपनी हो, जग अपना है -भगवतीचरण वर्मा
- तुम आए हो न शबे-इंतज़ार -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- तुम और मैं -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
- तुम कनक किरन -जयशंकर प्रसाद
- तुम कीं करो या हूं ज्यानी -मीरां
- तुम क्षमा कर दो उन्हें भी -अादित्य चौधरी
- तुम क्षमा कर दो उन्हें भी -आदित्य चौधरी
- तुम झूम झूम गाओ -गोपालदास नीरज
- तुम तूफ़ान समझ पाओगे ? -हरिवंश राय बच्चन
- तुम तूफान समझ पाओगे ? -हरिवंश राय बच्चन
- तुम दीवाली बन कर -गोपालदास नीरज
- तुम बिन नैण दुखारा -मीरां
- तुम बिन मेरी कौन खबर ले -मीरां
- तुम भी यहीं हो कहीं शायद -अनूप सेठी
- तुम मन्द चलो -माखन लाल चतुर्वेदी
- तुम मिले -माखन लाल चतुर्वेदी
- तुम मुझमें प्रिय -महादेवी वर्मा
- तुम मृगनयनी -भगवतीचरण वर्मा
- तुम मेरे पास रहो -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- तुम लाल नंद सदाके कपटी -मीरां
- तुम सुणौ दयाल म्हारी अरजी -मीरां
- तुम सुधि बन-बनकर बार-बार -भगवतीचरण वर्मा
- तुम से आप -अशोक चक्रधर
- तुम हमारे हो -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
- तुम ही नहीं मिले जीवन में -गोपालदास नीरज
- तुमकुर ज़िला
- तुमको बताने का क्या फ़ायदा -आदित्य चौधरी
- तुमने कितनी निर्दयता -गोपालदास नीरज
- तुमरिया जलाशय की नहर
- तुमरे दरस बिन बावरी -मीरां
- तुमसे तन-मन मिले प्राण प्रिय -फ़िरदौस ख़ान
- तुमसे मिलकर -दिनेश रघुवंशी
- तुम्बरु (बहुविकल्पी)
- तुम्बुरु
- तुम्बुरु (गन्धर्व)
- तुम्बुरु (बहुविकल्पी)
- तुम्ह अपराध जोगु नहिं ताता
- तुम्ह कहँ भरत कलंक
- तुम्ह कहुँ बन सब भाँति सुपासू
- तुम्ह कानन गवनहु दोउ भाई
- तुम्ह गलानि जियँ जनि
- तुम्ह जानहु कपि मोर सुभाऊ
- तुम्ह जो हमहि बड़ि बिनय सुनाई
- तुम्ह तौ कालु हाँक जनु लावा
- तुम्ह तौ देहु सरल सिख सोई
- तुम्ह त्रिकाल दरसी मुनिनाथा
- तुम्ह त्रिभुवन गुर बेद बखाना
- तुम्ह निज मोह कही खग साईं
- तुम्ह परिपूरन काम
- तुम्ह पुनि पितु सम अति हित मोरें
- तुम्ह पुनि राम राम दिन राती
- तुम्ह पूँछहु मैं कहत डेराउँ
- तुम्ह पै पाँच मोर भल मानी
- तुम्ह प्रिय पाहुने बन पगु धारे
- तुम्ह प्रेरक सब के
- तुम्ह बिनु दुखी सुखी तुम्ह तेहीं
- तुम्ह मम सखा भरत सम भ्राता
- तुम्ह माया भगवान
- तुम्ह सब कहहु कढ़ावन टीका
- तुम्ह समरूप ब्रह्म अबिनासी
- तुम्ह सर्बग्य कहउँ सतिभाऊ
- तुम्ह सर्बग्य तग्य तम पारा
- तुम्ह सुग्रीव कूलद्रुम दोऊ
- तुम्ह सुचि सुमति परम प्रिय मोरें
- तुम्हरी कृपाँ कृपायतन
- तुम्हरी कृपाँ सुलभ सोउ मोरे
- तुम्हरे कटक माझ सुनु अंगद
- तुम्हरे कारण सब छोड्या, अब मोहि क्यूं तरसावौ हौ -मीरां
- तुम्हरें अनुग्रह तात कानन
- तुम्हरेइँ भजन प्रभाव अघारी
- तुम्हरेहिं भाग रामु बन जाहीं
- तुम्हहि आदि खग मसक प्रजंता
- तुम्हहि छाड़ि गति दूसरि नाहीं
- तुम्हहि न ब्यापत काल
- तुम्हहि न संसय मोह न माया
- तुम्हहि न सोचु सोहाग बल
- तुम्हहि नीक लागै रघुराई
- तुम्हहि बिचारि कहहु नरनाहा
- तुम्हहि बिदित सबही कर करमू
- तुम्हारा चित्र -माखन लाल चतुर्वेदी
- तुम्हारी जेब में एक सूरज होता था -अजेय
- तुम्हारी जेब में एक सूरज होता था / (ट्रंक में दिवंगत माँ की चोलू – बास्केट देख कर) -अजेय
- तुम्हारी प्रेम-वीणा का अछूता तार -आरसी प्रसाद सिंह
- तुम्हारी भक्ति हमारे प्रान -सूरदास
- तुम्हारी याद के जब ज़ख़्म -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- तुम्हारे ख़त में नया इक सलाम किस का था -दाग़ देहलवी
- तुम्हारे बिना आरती का दीया यह -गोपालदास नीरज
- तुम्हारे लिए कुछ भी असंभव नहीं -वंदना गुप्ता
- तुम्हारे शहर से जाने का मन है -दिनेश रघुवंशी
- तुम्हें उदास सा पाता हूँ -साहिर लुधियानवी
- तुम्हारी फाइलों में गाँव का मौसम गुलाबी है -अदम गोंडवी
- तुरई
- तुरग नचावहिं कुअँर
- तुरत आन रथ चढ़ि खिसिआना
- तुरत चले कपि सुनि प्रभु बचना
- तुरत नाइ लछिमन पद माथा
- तुरत निसाचर एक पठावा
- तुरत पवनसुत गवनत भयऊ
- तुरत बिमान तहाँ चलि आवा
- तुरत भयउँ मैं काग तब
- तुरत भवन आए गिरिराई
- तुरतहिं रुचिर रूप तेहिं पावा
- तुरतहिं सकल गए जहँ सीता
- तुरतुरिया
- तुरमली रत्न
- तुरसावा रत्न
- तुरही
- तुराई
- तुरीयातीतोपनिषद
- तुरुवल्लुवर
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- तुर्कमेनिस्तान
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- तुलना -दुष्यंत कुमार
- तुलनात्मक भारतीय साहित्य एवं पद्धति विज्ञान का प्रश्न -
- तुलनात्मक भारतीय साहित्य एवं पद्धति विज्ञान का प्रश्न -डॉ. इंद्रनाथ चौधुरी
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- तुलसी का औषधीय महत्त्व
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- तृष्ना सब रोगों का मूल -शिवदीन राम जोशी
- ते अब फिरत बिपिन पदचारी
- ते तव सिर कंदुक सम नाना
- ते तुम्ह सकल लोकपति साईं
- ते नर यह सर तजहिं न काऊ
- ते पितु मातु कहहु सखि कैसे
- ते पितु मातु धन्य जिन्ह जाए
- ते बिप्रन्ह सन आपु पुजावहिं
- ते सठ हठ बस संसय करहीं
- ते सिय रामु साथरीं सोए
- तेंगनोपाल
- तेंतर -प्रेमचंद
- तेंदुआ
- तेइ तृन हरित चरै जब गाई
- तेइ दोउ बंधु प्रेम जनु जीते
- तेइ रघुनंदनु लखनु
- तेउ बिलोकि रघुबर
- तेउ यह चरित देखि ठगि रहहीं
- तेउ सुनि सरन सामुहें आए
- तेऊ आजु राम पदु पाई
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- तेगबहादुर सिंह गुरु
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- तेज -वैशेषिक दर्शन
- तेज कृसानु रोष महिषेसा
- तेज न सहि सक सो फिरि आवा
- तेज पुंज रथ दिब्य अनूपा
- तेज राम शर्मा
- तेजपुर
- तेजपुर विश्वविद्यालय
- तेजस पटेल
- तेजस मधुसूदन पटेल
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- तेजा सिंह
- तेजाजी
- तेजातु
- तेजी बच्चन
- तेजोभिभवन
- तेताजी का मेला