तेजोभिभवन स्थान का उल्लेख वाल्मीकि रामायण में अयोध्या के दूतों की केकय देश की यात्रा के प्रसंग में हुआ है-
'अभिकालं तत: प्राप्य तेजोभिभवनाच्च्युता: पितृ-पैतामहीं पुण्यां तेरुरिक्षुमतीं नदीम्'[1]
- जान पड़ता है कि तेजोभिभवन, पंजाब में विपाशा या व्यास नदी के कुछ पूर्व में स्थित होगा, क्योंकि यह नदी दूतों को तेजोभिभवन से पश्चिम की ओर जाने पर मिली थी।[2]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 410 |