"अग्निकुल": अवतरणों में अंतर
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*कुछ लोगों का मत है कि यह यज्ञ विदेशी जातियों को वर्णाश्रम व्यवस्था में लेने के लिए किया गया था और इस प्रकार इन जातियों को उच्च क्षत्रिय वर्ण में स्थान दिया गया था। | *कुछ लोगों का मत है कि यह यज्ञ विदेशी जातियों को वर्णाश्रम व्यवस्था में लेने के लिए किया गया था और इस प्रकार इन जातियों को उच्च क्षत्रिय वर्ण में स्थान दिया गया था। | ||
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07:04, 20 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण
- अग्निकुल राजपूतों की चार जातियों, पवार (परमार), परिहार (प्रतिहार), चौहान (चाहमान) और सोलंकी अथवा चालुक्य की गणना अग्निकुल के क्षत्रियों में होती है।
- चंदबरदाई के रासों के अनुसार अग्निकुल के इन चार राजपूतों के पूर्व पुरुष दक्षिणी राजपूताना के आबू पहाड में यज्ञ के अग्निकुंड से प्रकट हुए थे।
- इससे इनके दक्षिण राजस्थान से सम्बन्धित होने का पता चलता है।
- कुछ लोगों का मत है कि यह यज्ञ विदेशी जातियों को वर्णाश्रम व्यवस्था में लेने के लिए किया गया था और इस प्रकार इन जातियों को उच्च क्षत्रिय वर्ण में स्थान दिया गया था।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- भारतीय इतिहास कोश पृष्ठ संख्या-05
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