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'''हाटक''' नामक एक देश का उल्लेख [[महाभारत]], [[सभापर्व महाभारत|सभापर्व]]<ref>[[सभापर्व महाभारत|सभापर्व]] 28,3</ref> में हुआ है, | '''हाटक''' नामक एक देश का उल्लेख [[महाभारत]], [[सभापर्व महाभारत|सभापर्व]]<ref>[[सभापर्व महाभारत|सभापर्व]] 28,3</ref> में हुआ है, जिसमें इसे [[यक्ष|यक्षों]] का देश कहा गया है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= भारतकोश पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=1018|url=}}</ref> | ||
*इस देश पर उत्तर दिशा की दिग्विजय के प्रसंग में [[अर्जुन]] ने विजय प्राप्त की थी- | *महाभारत काल में इस देश पर उत्तर दिशा की दिग्विजय के प्रसंग में [[अर्जुन]] ने विजय प्राप्त की थी- | ||
<blockquote>"तं जित्वा हाटकं नाम देशं गुह्मकरक्षितम्, पाकशासनिरव्यग्रः सहसैन्यः सभसदत्।"</blockquote> | <blockquote>"तं जित्वा हाटकं नाम देशं गुह्मकरक्षितम्, पाकशासनिरव्यग्रः सहसैन्यः सभसदत्।"</blockquote> | ||
*यह स्थान [[महाकवि कालिदास]] के '[[मेघदूत]]' की '[[अलका नगरी|अलका]]' के निकट ही स्थित रहा होगा। | *सम्भव है कि यह स्थान [[महाकवि कालिदास]] के '[[मेघदूत]]' की '[[अलका नगरी|अलका]]' के निकट ही स्थित रहा होगा। | ||
*[[कैलाश मानसरोवर|मानसरोवर]] यहाँ से समीप ही स्थित था- | *[[कैलाश मानसरोवर|मानसरोवर]] यहाँ से समीप ही स्थित था- | ||
<blockquote>"सरोमानसामासाद्यहाटकानभितः प्रभु, गंधर्वरक्षितं देशमजयत् पंडवस्ततः"<ref>[[महाभारत]], [[सभापर्व महाभारत|सभापर्व]] 28,5.</ref></blockquote> | <blockquote>"सरोमानसामासाद्यहाटकानभितः प्रभु, गंधर्वरक्षितं देशमजयत् पंडवस्ततः"<ref>[[महाभारत]], [[सभापर्व महाभारत|सभापर्व]] 28,5.</ref></blockquote> | ||
*हाटक [[तिब्बत]] में स्थित वर्तमान मानसरोवर और [[कैलाश पर्वत|कैलाश]] का निकटवर्ती प्रदेश था। यहाँ गुह्यकों ([[यक्ष|यक्षों]]) तथा [[गंधर्व|गंधर्वों]] की बस्ती थी। | |||
*श्री सी | *हाटक [[तिब्बत]] में स्थित वर्तमान [[कैलाश मानसरोवर|मानसरोवर]] और [[कैलाश पर्वत|कैलाश]] का निकटवर्ती प्रदेश था। यहाँ गुह्यकों ([[यक्ष|यक्षों]]) तथा [[गंधर्व|गंधर्वों]] की बस्ती थी। | ||
*श्री बी. सी. लॉ के मत में हाटक, वर्तमान [[अटक]] ([[पाकिस्तान|पश्चिम पाकिस्तान]]) है। नं. ला. डे के अनुसार यह हूण देश का नाम है। | |||
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हाटक नामक एक देश का उल्लेख महाभारत, सभापर्व[1] में हुआ है, जिसमें इसे यक्षों का देश कहा गया है।[2]
- महाभारत काल में इस देश पर उत्तर दिशा की दिग्विजय के प्रसंग में अर्जुन ने विजय प्राप्त की थी-
"तं जित्वा हाटकं नाम देशं गुह्मकरक्षितम्, पाकशासनिरव्यग्रः सहसैन्यः सभसदत्।"
- सम्भव है कि यह स्थान महाकवि कालिदास के 'मेघदूत' की 'अलका' के निकट ही स्थित रहा होगा।
- मानसरोवर यहाँ से समीप ही स्थित था-
"सरोमानसामासाद्यहाटकानभितः प्रभु, गंधर्वरक्षितं देशमजयत् पंडवस्ततः"[3]
- हाटक तिब्बत में स्थित वर्तमान मानसरोवर और कैलाश का निकटवर्ती प्रदेश था। यहाँ गुह्यकों (यक्षों) तथा गंधर्वों की बस्ती थी।
- श्री बी. सी. लॉ के मत में हाटक, वर्तमान अटक (पश्चिम पाकिस्तान) है। नं. ला. डे के अनुसार यह हूण देश का नाम है।
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