भीष्मक हिन्दू पौराणिक महाकाव्य महाभारत के उल्लेखानुसार एक परम तेजस्वी और सद्गुणी नृपति थे। कुण्डिनपुर उनकी राजधानी थी। ये रुक्मिणी के पिता तथा श्रीकृष्ण के श्वसुर थे।
- राजा भीष्मक के पांच पुत्र और एक पुत्री थी। रुक्मी उनका ज्येष्ठ पुत्र था। उनकी पुत्री रुक्मिणी पाँच भाइयों के बाद उत्पन्न हुई थी, इसलिये सभी की लाडली थी। रुक्मिणी के शरीर में लक्ष्मी के शरीर के समान ही लक्षण थे, इसलिये लोग उन्हें 'लक्ष्मीस्वरूपा' भी कहा करते थे।
- भीष्मक शिशुपाल तथा मगधराज जरासंध के प्रति भक्ति रखते थे। अपने अस्त्रकौशल के बल पर उन्होंने समूचे पांडव तथा बैशिक देशों पर आधिपत्य कर लिया था। पांडव सहदेव ने राजसूय यज्ञ के अवसर पर दो दिनों तक युद्ध करके भीष्मक को पराजित किया था।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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