पंचगण महाभारतकालीन एक देश का नाम था, जिसका उल्लेख कुंती पुत्र पाण्डव अर्जुन की दिग्विजय यात्रा के संबंध में महाभारत, सभापर्व[1] में हुआ है-
'तत्रस्य: पुरुषैरेव धर्म राजस्व शासनात् किरीटी जितवान् राजन् देशान् पंचगणांस्तत:'।
उपर्युक्त संदर्भ से सूचित होता है कि पंचगण देश, जो कि गणराज्य जान पड़ता है, वर्तमान हिमाचल प्रदेश में स्थित रहा होगा, क्योंकि इससे पहले तथा इसके बाद में जिन देशों का उल्लेख इसी संदर्भ में है, उनका अभिज्ञान हिमाचल प्रदेश के स्थानों से किया गया है।[2] संभव है कि किन्हीं पांच गणराज्यों का सामूहिक नाम ही पंचगण हो।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 512 |
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