इरावान हिन्दू मान्यताओं और पौराणिक महाकाव्य महाभारत के उल्लेखानुसार अर्जुन की दूसरी पत्नी नागकन्या उलूपी से उत्पन्न पुत्र थे, यह एक कुशल धनुर्धर और मायावी अस्त्रों के ज्ञाता थे। कुरुक्षेत्र के युद्ध में इरावान ने शकुनि के छह भाईयों का वध किया और अन्य बहुत से योद्धाओं को परास्त किया। इरवन का वध 8वें दिन के युद्ध में अलम्बुष नामक राक्षस ने किया। इरावान को 'इरवन' और 'अरावन' से भी जाना जाता है।
स्वयं की बलि
महाभारत में एक स्थान पर ऐसा भी उल्लेख आता है, जब युद्ध में पांडवों को विजय के लिए नरबली की आवश्यकता पड़ी; लेकिन स्वयं की बलि देने के लिए कोई भी प्रस्तुत नहीं हुआ। संकट की इस घड़ी में अर्जुन की पत्नी नागकन्या उलूपी का पुत्र इरावान स्वयं की बलि के लिए आगे आया, लेकिन इरावान ने अपनी एक शर्त रखी कि वो विवाहित मरना चाहता था। जिसे कल मर जाना है उससे कौन शादी करेगा. फलस्वरूप कोई भी कन्या उनसे विवाह के लिए तैयार नहीं हुई। ऐसे में भगवान श्रीकृष्ण ने मोहिनी रूप बनाया और इरावान से विवाह कर उसके साथ रात बिताई।
मान्यताएँ
- इरावान को इरवन और अरावन भी कहते हैं. समस्त हिजड़े स्वयं को उसकी विधवा मानते हैं।
- भारत का हिजड़ा समुदाय इसी कथा को आत्मसात कर श्रीकृष्ण के योनि संयोजन में स्वयं को देखता है और इरावान को अपना देवता और पति मानता है।
- तमिलनाडु के वेल्लुपुरम जिले के कूवगम गांव में इरावान देवता का मंदिर है।
- हर साल तमिल वर्ष की पहली पूर्णिमा को इस मंदिर में 18 दिवसीय कार्यक्रम मनाया जाता है, इसमें हजारों हिजड़ों द्वारा उनके देवता इरावान से विवाह किया जाता है, लेकिन अगले दिन ही मंगलसूत्र तोड़ और महाविलाप के बीच इरावान की प्रतिमा को भग्न कर हिजड़ों द्वारा विधवा वेश धारण कर लिया जाता है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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