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'''निर्वाण स्तूप''' [[कुशीनगर]], [[उत्तर प्रदेश]] में स्थित है। यह [[स्तूप]] 'निर्वाण चैत्य' के नाम से भी लोकप्रिय है, जो '[[परिनिर्वाण मन्दिर कुशीनगर|महापरिनिर्वाण मंदिर]]' के पीछे स्थित है। दोनो मंदिर और 2.74 मीटर ऊंचा स्तूप, 15.81 मीटर की ऊंचाई वाले स्तूप के साथ निर्मित किया गया है, जिसमें एक गोलाकार आधार पर बारामदा बनाया गया है। | '''निर्वाण स्तूप''' [[कुशीनगर]], [[उत्तर प्रदेश]] में स्थित है। यह [[स्तूप]] 'निर्वाण चैत्य' के नाम से भी लोकप्रिय है, जो '[[परिनिर्वाण मन्दिर कुशीनगर|महापरिनिर्वाण मंदिर]]' के पीछे स्थित है। दोनो मंदिर और 2.74 मीटर ऊंचा स्तूप, 15.81 मीटर की ऊंचाई वाले स्तूप के साथ निर्मित किया गया है, जिसमें एक गोलाकार आधार पर बारामदा बनाया गया है। | ||
*[[स्तूप]] ईंटों का बना हुआ है, जिसे [[1876]] ई. में जनरल ए. कनिंघम ने [[भारत]] के पहले | *[[स्तूप]] ईंटों का बना हुआ है, जिसे [[1876]] ई. में [[कनिंघम|जनरल ए. कनिंघम]] ने [[भारत]] के पहले पुरातत्त्व सर्वेक्षण द्वारा करवाई गई खुदाई में प्राप्त किया गया था। इसी [[वर्ष]] में इसे ए. सी. एल. सेरेल्ली के द्वारा मूल राज्य में बहाल कर दिया गया।<ref>{{cite web |url= http://hindi.nativeplanet.com/kushinagar/attractions/nirvana-stupa/|title=निर्वाण स्तूप, कुशीनगर|accessmonthday= 29 मार्च|accessyear= 2015|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= नेटिव प्लेनेट|language=हिन्दी}}</ref> | ||
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09:51, 9 नवम्बर 2016 के समय का अवतरण
निर्वाण स्तूप कुशीनगर, उत्तर प्रदेश में स्थित है। यह स्तूप 'निर्वाण चैत्य' के नाम से भी लोकप्रिय है, जो 'महापरिनिर्वाण मंदिर' के पीछे स्थित है। दोनो मंदिर और 2.74 मीटर ऊंचा स्तूप, 15.81 मीटर की ऊंचाई वाले स्तूप के साथ निर्मित किया गया है, जिसमें एक गोलाकार आधार पर बारामदा बनाया गया है।
- स्तूप ईंटों का बना हुआ है, जिसे 1876 ई. में जनरल ए. कनिंघम ने भारत के पहले पुरातत्त्व सर्वेक्षण द्वारा करवाई गई खुदाई में प्राप्त किया गया था। इसी वर्ष में इसे ए. सी. एल. सेरेल्ली के द्वारा मूल राज्य में बहाल कर दिया गया।[1]
- ऐसा माना जाता है कि इस पूरे स्मारक को मल्ल के द्वारा बनवाया गया था।
- इस स्मारक को बुद्ध का घर माना जाता है। बाद में स्मारक को सम्राट अशोक के द्वारा विकसित किया गया था।
- बुद्ध के एक शिष्य जिन्हें 'हरिबाला' कहा जाता था, उन्होंने मथुरा से स्तुप को मंगवाकर कुशीनगर के वर्तमान क्षेत्र में स्थापित करवाया था, ऐसा उन्होंने गुप्त वंश के शासनकाल के दौरान कुमारगुप्त के क्षेत्र में किया था।
- यहाँ भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण के द्वारा की गई खुदाई में बुद्ध भगवान के काल की राख युक्त एक तांबे का बर्तन भी प्राप्त हुआ है। पोत पर मिला शिलालेख बुद्ध की इस जगह पर होने की प्रमाणिकता की पुष्टि करता है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ निर्वाण स्तूप, कुशीनगर (हिन्दी) नेटिव प्लेनेट। अभिगमन तिथि: 29 मार्च, 2015।