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'''औ''' [[देवनागरी वर्णमाला]] का ग्यारहवाँ [[स्वर (व्याकरण)|स्वर]] है। भाषा विज्ञान की दृष्टि से यह दीर्घ, पश्च, वृत्तमुखी तथा अर्धसंवृत स्वर है और ध्वनि है। कंठ और ओष्ठ से उच्चारित होने के कारण यह ‘कंठोष्ठ्य’ या ‘कंठोष्ठ्य’ वर्ण है।  
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'''औ''' [[देवनागरी वर्णमाला]] का ग्यारहवाँ [[स्वर (व्याकरण)|स्वर]] है। भाषाविज्ञान की दृष्टि से यह दीर्घ, पश्च, वृत्तमुखी तथा अर्धसंवृत स्वर है और ध्वनि है। कंठ और ओष्ठ से उच्चारित होने के कारण यह ‘कंठोष्ठ्य’ या ‘कंठोष्ठ्य’ वर्ण है।  
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==औ अक्षर वाले शब्द==
==औ अक्षर वाले शब्द==

14:26, 15 दिसम्बर 2016 के समय का अवतरण

विवरण देवनागरी वर्णमाला का ग्यारहवाँ स्वर है।
भाषाविज्ञान की दृष्टि से यह दीर्घ, पश्च, वृत्तमुखी तथा अर्धसंवृत स्वर है और ध्वनि है। कंठ और ओष्ठ से उच्चारित होने के कारण यह ‘कंठोष्ठ्य’ या ‘कंठोष्ठ्य’ वर्ण है।
अनुनासिक रूप ‘औँ’ (जैसे- औँधा / औंधा, सौँह / सौंह।)
मात्रा 'ौ' जैसे- ‘कौन’, ‘मौन’ आदि में।
व्याकरण [ संस्कृत आ (धातु) अव् +क्विप्, ऊठ् आगम ] पुल्लिंग- 1. शेषनाग। 2. शब्द। स्त्रीलिंग- पृथ्वी।
संबंधित लेख , , , , , , , , , अं, अ:

देवनागरी वर्णमाला का ग्यारहवाँ स्वर है। भाषाविज्ञान की दृष्टि से यह दीर्घ, पश्च, वृत्तमुखी तथा अर्धसंवृत स्वर है और ध्वनि है। कंठ और ओष्ठ से उच्चारित होने के कारण यह ‘कंठोष्ठ्य’ या ‘कंठोष्ठ्य’ वर्ण है।

विशेष-
  1. ‘ओ’ का अनुनासिक रूप ‘औँ’ है जो प्राय: मुद्रण आदि में सुविधा के लिए ‘औं’ भी लिखा जाता है। जैसे- औँधा / औंधा, सौँह / सौंह।
  2. ‘औ’ की मात्रा 'ौ' व्यंजन के दाहिनी ओर लगती है। जैसे- ‘कौन’, ‘मौन’ आदि में।
  3. [ संस्कृत आ (धातु) अव् +क्विप्, ऊठ् आगम ] पुल्लिंग- 1. शेषनाग। 2. शब्द। स्त्रीलिंग- पृथ्वी।
  4. [ हिन्दी और संस्कृत अवर ] क्रियाविशेषण- और। उदाहरण- कोई आया न मधुपुर से औ न गोपाल आये। -हरिऔध [1][2]

औ अक्षर वाले शब्द

औ की मात्रा ौ का प्रयोग

क + ौ = कौ
ख + ौ = खौ
ग + ौ = गौ
घ + ौ = घौ
ड़ + ौ = ड़ौ
च + ौ = चौ
छ + ौ = छौ
ज + ौ = जौ
झ + ौ = झौ
ञ + ौ = ञौ
ट + ौ = टौ
ठ + ौ = ठौ
ड + ौ = डौ
ढ + ौ = ढौ
ण + ौ = णौ
त + ौ = तो
थ + ौ = थौ
द + ौ = दौ
ध + ौ = धौ
न + ौ = नौ
प + ौ = पौ
फ + ौ = फौ
ब + ौ = बौ
भ + ौ = भौ
म + ौ = मौ
य + ौ = यौ
र + ौ = रौ
ल + ौ = लौ
व + ौ = वौ
श + ौ = शौ
ष + ौ = षौ
स + ौ = सौ
ह + ौ = हौ
क्ष + ौ = क्षौ
त्र + ौ = त्रौ
ज्ञ + ौ = ज्ञौ


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. (प्रियप्रवास, 6/1)
  2. पुस्तक- हिन्दी शब्द कोश खण्ड-1 | पृष्ठ संख्या- 482

संबंधित लेख