"आदित्य चौधरी -फ़ेसबुक पोस्ट अप्रॅल 2014": अवतरणों में अंतर
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; दिनांक- 24 अप्रॅल, 2014 | |||
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विभिन्न क्षेत्रों में बंगाल के वासियों की अद्भुत क्षमता और प्रतिभा तो जगज़ाहिर है ही लेकिन मतदाता के रूप में भी हमारे बांग्ला बंधु, मतदान प्रतिशत में कीर्तिमान स्थापित करते रहते हैं। | विभिन्न क्षेत्रों में बंगाल के वासियों की अद्भुत क्षमता और प्रतिभा तो जगज़ाहिर है ही लेकिन मतदाता के रूप में भी हमारे बांग्ला बंधु, मतदान प्रतिशत में कीर्तिमान स्थापित करते रहते हैं। | ||
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ये सवाल तो कोलकाता में जा बसे श्री जगदीश्वर चतुर्वेदी से भी पूछा जाना चाहिए... आख़िर मामला क्या है। | ये सवाल तो कोलकाता में जा बसे श्री जगदीश्वर चतुर्वेदी से भी पूछा जाना चाहिए... आख़िर मामला क्या है। | ||
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; दिनांक- 21 अप्रॅल, 2014 | |||
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इसी मैदान में उस शख़्स को फाँसी लगी होगी | इसी मैदान में उस शख़्स को फाँसी लगी होगी | ||
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उसे अपनी शहादत ही बहुत फीकी लगी होगी | उसे अपनी शहादत ही बहुत फीकी लगी होगी | ||
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; दिनांक- 21 अप्रॅल, 2014 | |||
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लहू बहता है तो कहना कि पसीना होगा | लहू बहता है तो कहना कि पसीना होगा | ||
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वक़्त आने पे वो तेरा तो कभी ना होगा | वक़्त आने पे वो तेरा तो कभी ना होगा | ||
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; दिनांक- 1 अप्रॅल, 2014 | |||
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बीते लम्हों की यादों से | बीते लम्हों की यादों से | ||
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अब गर्भ में मुसकाये बिटिया | अब गर्भ में मुसकाये बिटिया | ||
यह अंश, वंश से प्यारा है | यह अंश, वंश से प्यारा है | ||
फ़ेयर ही लवली नहीं रहे | फ़ेयर ही लवली नहीं रहे | ||
अनफ़ेयर यही अफ़ेयर हो | अनफ़ेयर यही अफ़ेयर हो | ||
पंक्ति 103: | पंक्ति 87: | ||
मस्जिद में राम, मंदिर में ख़ुदा | मस्जिद में राम, मंदिर में ख़ुदा | ||
हर मज़हब एक सहारा है | हर मज़हब एक सहारा है | ||
सुबह आज़ान जगाए हमें | सुबह आज़ान जगाए हमें | ||
मंदिर की आरती झपकी दे | मंदिर की आरती झपकी दे | ||
पंक्ति 116: | पंक्ति 98: | ||
जय हो ! यह देश हमारा है | जय हो ! यह देश हमारा है | ||
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09:49, 2 मई 2017 के समय का अवतरण
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