"आदित्य चौधरी -फ़ेसबुक पोस्ट फ़रवरी 2015": अवतरणों में अंतर
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; दिनांक- 21 फ़रवरी, 2015 | |||
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आज निर्गत, नीर निर्झर नयन से होता गया | आज निर्गत, नीर निर्झर नयन से होता गया | ||
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वह निरंतर शुभ्र तन औ शांत मन होता गया | वह निरंतर शुभ्र तन औ शांत मन होता गया | ||
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; दिनांक- 20 फ़रवरी, 2015 | |||
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जो भी मैंने तुम्हें बताया | जो भी मैंने तुम्हें बताया | ||
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जैसे-तैसे यही लिखा है... | जैसे-तैसे यही लिखा है... | ||
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; दिनांक- 19 फ़रवरी, 2015 | |||
[[चित्र:Nahi-thi-koi-bat-Aditya-Chaudhary.jpg|right|250px]] | |||
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प्रिय मित्रो! मेरी एक और रचना, क़ता-कविता आपके सामने। यह मैंने 20 वर्ष की उम्र में कही थी। | प्रिय मित्रो! मेरी एक और रचना, क़ता-कविता आपके सामने। यह मैंने 20 वर्ष की उम्र में कही थी। | ||
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सन् 1981 दिल्ली में कही थी | सन् 1981 दिल्ली में कही थी | ||
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; दिनांक- 19 फ़रवरी, 2015 | |||
[[चित्र:Hardam-yad-ati-hai-aditya-chaudhary.jpg|right|250px]] | |||
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कोई मुस्कान ऐसी है जो हरदम याद आती है | कोई मुस्कान ऐसी है जो हरदम याद आती है | ||
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कई जन्मों के बंधन से वो हरदम याद आती है | कई जन्मों के बंधन से वो हरदम याद आती है | ||
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; दिनांक- 18 फ़रवरी, 2015 | |||
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तुझे देख लूँ और चुप रहूँ ऐसा हुनर मुझमें कहाँ | तुझे देख लूँ और चुप रहूँ ऐसा हुनर मुझमें कहाँ | ||
तेरे साथ हूँ, तुझे ना छुऊँ ऐसा हुनर मुझमें कहाँ | तेरे साथ हूँ, तुझे ना छुऊँ ऐसा हुनर मुझमें कहाँ | ||
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; दिनांक- 18 फ़रवरी, 2015 | |||
[[चित्र:Kyun-Kare-Aditya-Chaudhary.jpg|right|250px]] | |||
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लायक़ नहीं हैं हम तेरे, तू प्यार क्यूँ करे | लायक़ नहीं हैं हम तेरे, तू प्यार क्यूँ करे | ||
पंक्ति 138: | पंक्ति 134: | ||
तू आ के, मेरा ज़िक्र ही बेकार क्यूँ करे | तू आ के, मेरा ज़िक्र ही बेकार क्यूँ करे | ||
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; दिनांक- 17 फ़रवरी, 2015 | |||
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स्वामी विवेकानंद एक सभा में 'शब्द' की महिमा बता रहे थे, तभी एक व्यक्ति ने खड़े होकर कहा- | स्वामी विवेकानंद एक सभा में 'शब्द' की महिमा बता रहे थे, तभी एक व्यक्ति ने खड़े होकर कहा- | ||
पंक्ति 152: | पंक्ति 147: | ||
शब्द की महिमा अपार है लेकिन हमारे नेता इस महिमा को भूलते जा रहे हैं।... | शब्द की महिमा अपार है लेकिन हमारे नेता इस महिमा को भूलते जा रहे हैं।... | ||
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; दिनांक- 7 फ़रवरी, 2015 | |||
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स्वाइन फ़्लू फैल रहा है। जानलेवा है। बहुत ध्यान से रहें। इसके बारे में ज़्यादा से ज़्यादा जानकारी प्राप्त करें और सबको बताएँ। मास्क लगा कर रहें। इसमें शर्म की कोई बात नहीं। डॉक्टर से सलाह लें। विटेमिन सी अधिक लें। | स्वाइन फ़्लू फैल रहा है। जानलेवा है। बहुत ध्यान से रहें। इसके बारे में ज़्यादा से ज़्यादा जानकारी प्राप्त करें और सबको बताएँ। मास्क लगा कर रहें। इसमें शर्म की कोई बात नहीं। डॉक्टर से सलाह लें। विटेमिन सी अधिक लें। | ||
हर किसी को अपना मुँह और अपनी नाक ढक कर रखना | हर किसी को अपना मुँह और अपनी नाक ढक कर रखना ज़रूरी है, खासकर तब जब कोई छींक रहा हो। | ||
बार-बार हाथ धोना | बार-बार हाथ धोना ज़रूरी है। | ||
अगर किसी को ऐसा लगता है कि उनकी तबीयत ठीक नहीं है तो उन्हें घर पर रहना चाहिये। ऐसी स्थिति में काम या स्कूल पर जाना उचित नहीं होगा और जहां तक हो सके भीड़ से दूर रहना फायदेमंद साबित होगा। | अगर किसी को ऐसा लगता है कि उनकी तबीयत ठीक नहीं है तो उन्हें घर पर रहना चाहिये। ऐसी स्थिति में काम या स्कूल पर जाना उचित नहीं होगा और जहां तक हो सके भीड़ से दूर रहना फायदेमंद साबित होगा। | ||
अगर सांस लेने में तकलीफ होती है, या फिर अचानक चक्कर आने लगते हैं, या उल्टी होने लगती है तो ऐसे हालात में फ़ौरन डॉक्टर के पास जाना | अगर सांस लेने में तकलीफ होती है, या फिर अचानक चक्कर आने लगते हैं, या उल्टी होने लगती है तो ऐसे हालात में फ़ौरन डॉक्टर के पास जाना ज़रूरी है। | ||
खराब पानी से दूर रहें। | खराब पानी से दूर रहें। | ||
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; दिनांक- 4 फ़रवरी, 2015 | |||
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क्या विश्वास एक ऐसा भ्रम नहीं है जो अब तक टूटा नहीं... | क्या विश्वास एक ऐसा भ्रम नहीं है जो अब तक टूटा नहीं... | ||
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; दिनांक- 2 फ़रवरी, 2015 | |||
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कि तुम कुछ इस तरह आना | कि तुम कुछ इस तरह आना | ||
पंक्ति 211: | पंक्ति 204: | ||
तुम्हीं से सार जीवन में | तुम्हीं से सार जीवन में | ||
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; दिनांक- 1 फ़रवरी, 2015 | |||
| | [[चित्र:Aditya-chaudhary-facebook-post-2.jpg|250px|right]] | ||
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यह स्तुति अब तुम बंद करो | यह स्तुति अब तुम बंद करो | ||
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कोई और नहीं खोता कुछ भी | कोई और नहीं खोता कुछ भी | ||
मरता मैं हूँ कोई और नहीं | मरता मैं हूँ कोई और नहीं | ||
तुम मुझे सर्वव्यापी कहकर | तुम मुझे सर्वव्यापी कहकर | ||
कर रहे पाप सब रह रह कर | कर रहे पाप सब रह रह कर | ||
मैं ही हंता, | मैं ही हंता, स्रष्टा मैं ही ? | ||
कृष्ण, कंस दोनों मैं ही? | कृष्ण, कंस दोनों मैं ही? | ||
पंक्ति 311: | पंक्ति 299: | ||
जीवन की गीता गाता हूँ | जीवन की गीता गाता हूँ | ||
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10:47, 2 जनवरी 2018 के समय का अवतरण
आज निर्गत, नीर निर्झर नयन से होता गया
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