"अदृष्ट": अवतरणों में अंतर
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*मीमांसा दर्शन को छोड़ अन्य सभी [[हिन्दू]] दर्शन प्रलय में आस्था रखते हैं। न्याय-वैशेषिक मतानुसार ईश्वर प्राणियों को विश्राम देने के लिए प्रलय उपस्थित करता है। | *भाग्य को भी अदृष्ट कहते है। | ||
*आत्मा में शरीर, ज्ञान एवं सभी [[तत्त्व|तत्त्वों]] में विराजमान अदृष्ट शक्ति उस काल में काम करना बन्द कर देती | *मीमांसा दर्शन को छोड़ अन्य सभी [[हिन्दू]] दर्शन प्रलय में आस्था रखते हैं। | ||
*इस प्रकार अलग हुए परमाणु तथा आत्मा अपने किये हुए धर्म, अधर्म तथा संस्कार के साथ निष्प्राण लटके रहते हैं। | *[[न्याय दर्शन|न्याय]]-[[वैशेषिक दर्शन|वैशेषिक]] मतानुसार ईश्वर प्राणियों को विश्राम देने के लिए प्रलय उपस्थित करता है। | ||
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:4. अननुमत, अस्वीकृत, अवैध,-'''ष्टं''' | |||
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09:45, 29 अगस्त 2023 के समय का अवतरण
अदृष्ट का शाब्दिक अर्थ है जो देखा न गया हो। अदृष्ट नैयायिकों के अनुसार कर्मों द्वारा उत्पन्न फल दो प्रकार का होता है। अच्छे कार्यों के करने से एक प्रकार की शोभन योग्यता उत्पन्न होती है जिसे पुण्य कहते हैं। बुरे कामों के करने से एक प्रकार की अशोभन योग्यता उत्पन्न होती है जिसे पाप कहते हैं। पुण्य और पाप को ही अदृष्ट कहते हैं, क्योंकि यह इंद्रियों के द्वारा देखा नहीं जा सकता। इसी अदृष्ट के माध्यम से कर्मफल का उदय होता है। जड़ अदृष्ट का प्रेरक होने से न्यायालय में ईश्वर की सिद्धि माना जाता है।[1]
- हिन्दू धर्म-दर्शन में इसका अर्थ है 'ईश्वर की इच्छा', जो प्रत्येक आत्मा में गुप्त रूप से विराजमान है।
- भाग्य को भी अदृष्ट कहते है।
- मीमांसा दर्शन को छोड़ अन्य सभी हिन्दू दर्शन प्रलय में आस्था रखते हैं।
- न्याय-वैशेषिक मतानुसार ईश्वर प्राणियों को विश्राम देने के लिए प्रलय उपस्थित करता है।
- आत्मा में शरीर, ज्ञान एवं सभी तत्त्वों में विराजमान अदृष्ट शक्ति उस काल में काम करना बन्द कर देती है।[2] फलत: कोई नया शरीर, ज्ञान अथवा अन्य सृष्टि नहीं होती। फिर प्रलय करने के लिए अदृष्ट सभी परमाणुओं में पार्थक्य उत्पन्न करता है तथा सभी स्थूल पदार्थ इस क्रिया से परमाणुओं के रूप में आ जाते हैं।
- इस प्रकार अलग हुए परमाणु तथा आत्मा अपने किये हुए धर्म, अधर्म तथा संस्कार के साथ निष्प्राण लटके रहते हैं।
- पुन: सृष्टि के समय ईश्वर की इच्छा से फिर अदृष्ट लटके हुए परमाणुओं एवं आत्माओं में आन्दोलन उत्पन्न करता है। वे फिर संगठित होकर अपने किये हुए धर्म, अधर्म एवं संस्कारानुसार नया शरीर तथा रूप धारण करते हैं।[3]
अदृष्ट (विशेषण) [नञ्-दृश्+क्त]
- 1. अदृश्य, अनदेखा, °पूर्व=जो पहले न देखा गया हो।
- 2. अननुभूत
- 3. अदृष्टपूर्व, अनवलोकित, बिना सोचा हुआ, अज्ञात
- 4. अननुमत, अस्वीकृत, अवैध,-ष्टं
- 1. अदृश्य
- 2. नियति, भाग्य, प्रारब्ध (शुभ या अशुभ)
- 3. गुण तथा अवगुण जो कि सुख तथा दुःख के अनुवर्ती कारण हैं
- 4. दैवी विपत्ति या भय (जैसा कि आग या पानी आदि से)
सम.-अर्थ (विशेषण) आध्यात्मिक या गूढ़ अर्थ वाला, आध्यात्मिक,-कर्मन् (विशेषण) अव्यावहारिक, अनुभवहीन-फल (विशेषण) जिसके परिणाम अदृश्य हो,-फलं (न.) जिसका परिणाम दृष्टिगत न हो; अच्छे-बुरे कर्मों का फल। शुभाशुभ कर्मों का आगे आने वाला फल।[4]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1 |प्रकाशक: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 97 |
- ↑ शक्ति प्रतिबन्ध
- ↑ पाण्डेय, डॉ. राजबली हिन्दू धर्मकोश, द्वितीय संस्करण-1988 (हिन्दी), भारत डिस्कवरी पुस्तकालय: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, 22।
- ↑ संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश |लेखक: वामन शिवराम आप्टे |प्रकाशक: कमल प्रकाशन, नई दिल्ली-110002 |पृष्ठ संख्या: 27 |