"आदित्य चौधरी -फ़ेसबुक पोस्ट": अवतरणों में अंतर
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हर शाख पे बैठे उल्लू से, | |||
कोई प्यार से जाके ये पूछे | |||
है क्या अपराध गुलिस्तां का ? | |||
जो शाख पे आके तुम बैठे ! | |||
कितने सपने कितने अरमां | |||
लेकर हम इनसे मिलते हैं | |||
बेदर्द ये पंजों से अपने | |||
सबकी किस्मत को खुरचते हैं | |||
उल्लू तो चुप ही रहते हैं | |||
वो बोलेंगे, इस कोशिश में | |||
हम चप्पल जूते घिसते हैं | |||
दिन-रात दर्द से पिसते हैं | |||
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ना शाख कभी ये सूखेंगी | |||
ना पेड़ कभी ये कटना है | |||
जब भी कोई शाख नई होगी | |||
उल्लू ही उसमें बसना है | |||
इस जंगल में अब आग लगे | |||
और सारे उल्लू भस्म करे | |||
फिर नया एक सावन आए | |||
और नया सवेरा पहल करे | |||
तब नई कोंपलें फूटेंगी | |||
और नई शाख उग आएगी | |||
फिर नये गीत ही गूँजेंगे | |||
और नई ज़िन्दगी गाएगी | |||
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| 4 जून, 2014 | |||
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13:39, 5 जून 2014 का अवतरण
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