"आदित्य चौधरी -फ़ेसबुक पोस्ट अगस्त 2014": अवतरणों में अंतर

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कोई आएगा, ये मुझको ख़याल रहता है
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इसी को सोचकर शायद बवाल रहता है
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लोग बहुत 'बोलते' हैं लेकिन 'कहते' बहुत कम हैं।
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यहाँ समझने वाली बात यह है कि मौन द्वारा जो 'कहा' जाता है उसका प्रभाव अक्सर बोलने-कहने से अधिक होता है...
यहाँ समझने वाली बात यह है कि मौन द्वारा जो 'कहा' जाता है उसका प्रभाव अक्सर बोलने-कहने से अधिक होता है...
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हमारी बुद्धि एक कंप्यूटर की तरह है और 'विवेक' इस कंप्यूटर का सबसे अच्छा ऑपरेटिंग सिस्टम है। इसे अंग्रेज़ी में wisdom कहते हैं।
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यदि आपके कंप्यूटर में रॅम (प्रतिभा) कम भी है तब भी यह ऑपरेटिंग सिस्टम सही काम करता है।  
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शोले की तरह जलना है तो पहले ख़ुद को कोयला करना  
शोले की तरह जलना है तो पहले ख़ुद को कोयला करना  
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हो जा आज़ाद परिंदे अब, फिर जी लेना या जा मरना
हो जा आज़ाद परिंदे अब, फिर जी लेना या जा मरना
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13:22, 30 अप्रैल 2017 के समय का अवतरण

आदित्य चौधरी फ़ेसबुक पोस्ट
दिनांक- 24 अगस्त, 2014

कोई आएगा, ये मुझको ख़याल रहता है
कोई आए ही क्यों, क़ायम सवाल रहता है

किसी उदास से रस्ते से उसकी आमद को
ये मिरा दिल भी तो बैचैने हाल रहता है

नहीं कोई ज़ोर ज़माने का मेरी हस्ती पर
इसी ग़ुरूर में बंदा मिसाल रहता है

हमारे इश्क़ को हासिल है किस्मतों के करम
गली के मोड़ पर हुस्न-ए-जमाल रहता है

यूँ ही मर जाएंगे, इक दिन जो मौत आएगी
इसी को सोचकर शायद बवाल रहता है

दिनांक- 24 अगस्त, 2014

लोग बहुत 'बोलते' हैं लेकिन 'कहते' बहुत कम हैं।
बहुत सी बातें हैं जिन्हें कभी नहीं कहा जाता... लेकिन क्यों ?
# सुनने वाला इस योग्य नहीं होता
# कहने वाला अपनी बात को कहने योग्य नहीं मानता

दोनों ही स्थितियों में परिणाम 'मौन' होता है।
यहाँ समझने वाली बात यह है कि मौन द्वारा जो 'कहा' जाता है उसका प्रभाव अक्सर बोलने-कहने से अधिक होता है...

दिनांक- 6 अगस्त, 2014

हमारी बुद्धि एक कंप्यूटर की तरह है और 'विवेक' इस कंप्यूटर का सबसे अच्छा ऑपरेटिंग सिस्टम है। इसे अंग्रेज़ी में wisdom कहते हैं।
विवेक एक ऐसा ओ.एस. है जिससे कंप्यूटर (बुद्धि) कभी हॅन्ग नहीं होता और वायरस (क्रोध) का ख़तरा तो बिल्कुल भी नहीं है क्यों कि इसमें बिल्टइन एन्टीवायरस (करुणा) होता है।
यदि आपके कंप्यूटर में रॅम (प्रतिभा) कम भी है तब भी यह ऑपरेटिंग सिस्टम सही काम करता है।

दिनांक- 6 अगस्त, 2014

शोले की तरह जलना है तो पहले ख़ुद को कोयला करना
बादल की तरह उड़ना है तो पहले बन पानी का झरना

जो सबने किया वो तू कर दे, दुनिया में इसका मोल नहीं
हैं सात समंदर धरती पर, तू पार आठवां भी करना

हर चीज़ यहाँ पर बिकती है, इक प्यार का ही कोई मोल नहीं
तू छोड़ के इन बाज़ारों को, दिल का सौदा दिल से करना

सदियों से दफ़न मुर्दे हैं ये, क्या नया गीत सुन पाएँगे ?
अब खोल दे सब दरवाज़ों को और नई हवा से क्या डरना

हाथों की चंद लकीरों से, इन किस्मत की ज़जीरों से
हो जा आज़ाद परिंदे अब, फिर जी लेना या जा मरना

शब्दार्थ

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