"उलूक": अवतरणों में अंतर

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<blockquote>'मोदापुरं वामदेवं सुदामानं सुसंकुलम्, उलूकानुत्तरांश्चैव तांश्च राज्ञ: समानयत्।'<ref>महाभारत, सभापर्व 27, 11</ref></blockquote>
<blockquote>'मोदापुरं वामदेवं सुदामानं सुसंकुलम्, उलूकानुत्तरांश्चैव तांश्च राज्ञ: समानयत्।'<ref>महाभारत, सभापर्व 27, 11</ref></blockquote>


*उलूक पंचगणराज्यों में से एक था। [[अर्जुन]] ने अपनी दिग्विजय यात्रा में उलूक देश पर भी विजय प्राप्त की थी।  
*उलूक पंचगणराज्यों में से एक था। [[अर्जुन]] ने अपनी दिग्विजय यात्रा में '''उलूक देश''' पर भी विजय प्राप्त की थी।  
<blockquote>'तत्रस्थ: पुरुषैरेव धर्मराजस्य शासनात्, किरीटी जितवान् राजन् देशान् पंचगणांस्तत:।'<ref>महाभारत, सभापर्व 27, 12</ref></blockquote>
<blockquote>'तत्रस्थ: पुरुषैरेव धर्मराजस्य शासनात्, किरीटी जितवान् राजन् देशान् पंचगणांस्तत:।'<ref>महाभारत, सभापर्व 27, 12</ref></blockquote>


ये राज्य [[पंजाब]] की पहाड़ियाँ में बसे हुए थे और वर्तमान कुलू के आसपास स्थित थे। संभवत: उल्लूक 'कुलूक' या 'कुलू' का ही पाठांतर है।<ref name="aa"/>
ये राज्य [[पंजाब]] की पहाड़ियाँ में बसे हुए थे और वर्तमान [[कुल्लू]] के आसपास स्थित थे। संभवत: उल्लूक 'कुलूक' या 'कुलू' का ही पाठांतर है।<ref name="aa"/>




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==संबंधित लेख==
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उलूक एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- उलूक (बहुविकल्पी)

उलूक उत्तर पर्वत पर का एक प्राचीनकालीन देश था। महाभारत के अनुसार यहाँ के राजा वृहन्त को पांडव अर्जुन ने पराजित किया था।[1]

'मोदापुरं वामदेवं सुदामानं सुसंकुलम्, उलूकानुत्तरांश्चैव तांश्च राज्ञ: समानयत्।'[3]

  • उलूक पंचगणराज्यों में से एक था। अर्जुन ने अपनी दिग्विजय यात्रा में उलूक देश पर भी विजय प्राप्त की थी।

'तत्रस्थ: पुरुषैरेव धर्मराजस्य शासनात्, किरीटी जितवान् राजन् देशान् पंचगणांस्तत:।'[4]

ये राज्य पंजाब की पहाड़ियाँ में बसे हुए थे और वर्तमान कुल्लू के आसपास स्थित थे। संभवत: उल्लूक 'कुलूक' या 'कुलू' का ही पाठांतर है।[2]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. पौराणिक कोश |लेखक: राणा प्रसाद शर्मा |प्रकाशक: ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 65 |
  2. 2.0 2.1 ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 102 |
  3. महाभारत, सभापर्व 27, 11
  4. महाभारत, सभापर्व 27, 12

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