"आदित्य चौधरी -फ़ेसबुक पोस्ट": अवतरणों में अंतर
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मैंने काफ़ी समय पहले लिखा था- | मैंने काफ़ी समय पहले लिखा था- | ||
“उपस्थिति में अनुपस्थिति को जी लेना ही रिश्ते की गर्माहट बनाए रखता है… जीवन भर” | “उपस्थिति में अनुपस्थिति को जी लेना ही रिश्ते की गर्माहट बनाए रखता है… जीवन भर” | ||
कुछ सुधी पाठकों ने इसका अर्थ जानना चाहा है, जिसमें हमारी भाभी जी DrRenuka Tyagi भी शामिल हैं वे स्वयं भी कई भाषाओं की | कुछ सुधी पाठकों ने इसका अर्थ जानना चाहा है, जिसमें हमारी भाभी जी DrRenuka Tyagi भी शामिल हैं वे स्वयं भी कई भाषाओं की विद्वान् हैं और आई.ए.ऍस भी हैं। | ||
तो इसका अर्थ कुछ इस तरह है कि- | तो इसका अर्थ कुछ इस तरह है कि- | ||
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ऋषि शब्द पुंलिंग है लेकिन इस शब्द के संबोधन से यह स्पष्ट नहीं होता कि हम किसी स्री ऋषि की बात कर रहे हैं या पुरुष ऋषि की। हम जिस समय की बात कर रहे हैं उस समय स्रीलिंग और पुंलिंग का भेद वैदिक संस्कृत में मनुष्यों के लिए स्पष्टत: विभाजित नहीं था। स्त्रियों को भी ऋषि ही कहा जाता था। ऋषि शब्द चूँकि स्त्री-पुरुष में समान रूप से प्रयुक्त होता था इसलिए इस शब्द की प्राचीनता में कोई संदेह नहीं है। | ऋषि शब्द पुंलिंग है लेकिन इस शब्द के संबोधन से यह स्पष्ट नहीं होता कि हम किसी स्री ऋषि की बात कर रहे हैं या पुरुष ऋषि की। हम जिस समय की बात कर रहे हैं उस समय स्रीलिंग और पुंलिंग का भेद वैदिक संस्कृत में मनुष्यों के लिए स्पष्टत: विभाजित नहीं था। स्त्रियों को भी ऋषि ही कहा जाता था। ऋषि शब्द चूँकि स्त्री-पुरुष में समान रूप से प्रयुक्त होता था इसलिए इस शब्द की प्राचीनता में कोई संदेह नहीं है। | ||
वैदिक कालीन सभी ऋषि गृहस्थ थे। ऋषि गृह त्यागी अथवा सन्यस्त नहीं थे। ऋषि शब्द किसी भी ऐसे | वैदिक कालीन सभी ऋषि गृहस्थ थे। ऋषि गृह त्यागी अथवा सन्यस्त नहीं थे। ऋषि शब्द किसी भी ऐसे विद्वान् के लिए प्रयुक्त होता था जो कि नियमित गुरु-शिष्य अथवा वंशानुगत परंपरानुसार वैदिक ऋचाओं की रचना कर रहा था। कालान्तर में ऋषि शब्द का प्रयोग विस्त्रित अर्थों में प्रयुक्त होने लगा। ऋषि पर क्रोध, अहंकार, ईर्ष्या आदि की कोई रोकटोक नहीं है और न ही कोई विशेष संयम का उल्लेख है। | ||
मुनि शब्द के अर्थ को जानने के लिए पहले तीन शब्दों को समझना होगा। चित्र, मन और तन ये तीन शब्द मन्त्र और तन्त्र से संबंधित हैं। चित्र शब्द के अनेक अर्थ हैं ऋग्वेद में आश्चर्य से देखने के लिए इसका प्रयोग हुआ है। जो उज्जवल है, आकर्षक है और आश्चर्यजनक है; वह चित्र है। इसलिए लगभग सभी सांसारिक वस्तुएँ चित्र में समा जाती हैं। | मुनि शब्द के अर्थ को जानने के लिए पहले तीन शब्दों को समझना होगा। चित्र, मन और तन ये तीन शब्द मन्त्र और तन्त्र से संबंधित हैं। चित्र शब्द के अनेक अर्थ हैं ऋग्वेद में आश्चर्य से देखने के लिए इसका प्रयोग हुआ है। जो उज्जवल है, आकर्षक है और आश्चर्यजनक है; वह चित्र है। इसलिए लगभग सभी सांसारिक वस्तुएँ चित्र में समा जाती हैं। | ||
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तन्त्र शब्द तन से संबंधित है। जिस प्रक्रिया से तन सक्रिय हो वह तंत्र और जिससे मन सक्रिय हो वह मंत्र। मुनि पर क्रोध, अहंकार, ईर्ष्या आदि की कोई रोकटोक नहीं है और न ही कोई विशेष संयम का उल्लेख है। प्राचीन ग्रंथों में ऋषि-मुनियों के झगड़े के और सांसारिक व्यक्ति की तरह ही आचरण करने के अनेक प्रसंग है। | तन्त्र शब्द तन से संबंधित है। जिस प्रक्रिया से तन सक्रिय हो वह तंत्र और जिससे मन सक्रिय हो वह मंत्र। मुनि पर क्रोध, अहंकार, ईर्ष्या आदि की कोई रोकटोक नहीं है और न ही कोई विशेष संयम का उल्लेख है। प्राचीन ग्रंथों में ऋषि-मुनियों के झगड़े के और सांसारिक व्यक्ति की तरह ही आचरण करने के अनेक प्रसंग है। | ||
‘साधु’ शब्द किसी भी सकारात्मक साधना से संबंधित है। साधु वह है जो साधना करता है। साधु होने के लिए मनीषी या | ‘साधु’ शब्द किसी भी सकारात्मक साधना से संबंधित है। साधु वह है जो साधना करता है। साधु होने के लिए मनीषी या विद्वान् होना आवश्यक नहीं है। साधना कोई भी कर सकता है और किसी सकारात्मक ऊर्जा से संबंधित साधना करने वाला ही साधु है। साधु शब्द अच्छे और बुरे इंसान में भेद करने के लिए भी प्रयुक्त होता है। जिसका कारण भी वही है कि सकारात्मक साधना करने वाला व्यक्ति अच्छा ही माना जाता है। | ||
साधु होने के लिए किसी भी विशेष प्रपंच करने की या त्यागने की कोई आवश्यकता नहीं है। वैसे भी साधु शब्द का अर्थ किसी कार्य को पूर्ण रूप से संपन्न करने वाला होता है। | साधु होने के लिए किसी भी विशेष प्रपंच करने की या त्यागने की कोई आवश्यकता नहीं है। वैसे भी साधु शब्द का अर्थ किसी कार्य को पूर्ण रूप से संपन्न करने वाला होता है। |
14:41, 6 जुलाई 2017 का अवतरण
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