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'''सुजाता गढ़''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Sujata Garh'') एक प्राचीन [[स्तूप]] है। सुजाता गढ़ को वह स्थान माना जाता है जहां [[बुद्ध|भगवान बुद्ध]] ने आत्मज्ञान प्राप्त करने से पहले कठिन उपवास किया था।<br /> | |||
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*पौराणिक कथा के अनुसार, [[सुजाता]] नाम की एक महिला, जो [[गाय]] चराया करती थी, उसने बुद्ध को उस समय खीर का एक प्याला दिया था, जब उसने उपहास की वजह से उनकी काया को क्षीण होते देखा था। | |||
*बुद्ध को आत्म-त्याग की निरर्थकता का एहसास हुआ और उन्होंने वह खीर ग्रहण कर ली। | |||
*इस प्रकार, महिला के नाम पर इस स्थान का नाम सुजाता गढ़ रखा गया। | |||
*यह माना जाता है कि भोजन ने न केवल बुद्ध को ताकत दी बल्कि उन्हें मध्य मार्ग का पालन करने के लिए भी प्रेरित किया। | |||
*इस घटना के बाद, [[बुद्ध]] बोधि वृक्ष के पास गए जिसके नीचे उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई। इस प्रकार इस स्थान का नाम 'सुजाता गढ़' हो गया | |||
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | |||
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==संबंधित लेख== | |||
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09:53, 1 मार्च 2021 का अवतरण
सुजाता गढ़ (अंग्रेज़ी: Sujata Garh) एक प्राचीन स्तूप है। सुजाता गढ़ को वह स्थान माना जाता है जहां भगवान बुद्ध ने आत्मज्ञान प्राप्त करने से पहले कठिन उपवास किया था।
- पौराणिक कथा के अनुसार, सुजाता नाम की एक महिला, जो गाय चराया करती थी, उसने बुद्ध को उस समय खीर का एक प्याला दिया था, जब उसने उपहास की वजह से उनकी काया को क्षीण होते देखा था।
- बुद्ध को आत्म-त्याग की निरर्थकता का एहसास हुआ और उन्होंने वह खीर ग्रहण कर ली।
- इस प्रकार, महिला के नाम पर इस स्थान का नाम सुजाता गढ़ रखा गया।
- यह माना जाता है कि भोजन ने न केवल बुद्ध को ताकत दी बल्कि उन्हें मध्य मार्ग का पालन करने के लिए भी प्रेरित किया।
- इस घटना के बाद, बुद्ध बोधि वृक्ष के पास गए जिसके नीचे उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई। इस प्रकार इस स्थान का नाम 'सुजाता गढ़' हो गया
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