"पाशुपत अस्त्र": अवतरणों में अंतर

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इससे विश्व का नाश हो जाता हैं यह बाण [[महाभारत|महाभारतकाल]] में केवल [[अर्जुन]] के पास था। ये वे आयुध जो मन्त्रों से चलाये जाते हैं- ये दैवी हैं। प्रत्येक शस्त्र पर भिन्न-भिन्न देव या देवी का अधिकार होता है और मन्त्र-तन्त्र के द्वारा उसका संचालन होता है। वस्तुत: इन्हें दिव्य तथा मान्त्रिक-अस्त्र कहते हैं।
इससे विश्व का नाश हो जाता हैं यह बाण [[महाभारत|महाभारतकाल]] में केवल [[अर्जुन]] के पास था। ये वे आयुध जो मन्त्रों से चलाये जाते हैं- ये दैवी हैं। प्रत्येक शस्त्र पर भिन्न-भिन्न देव या देवी का अधिकार होता है और मन्त्र-तन्त्र के द्वारा उसका संचालन होता है। वस्तुत: इन्हें दिव्य तथा मान्त्रिक-अस्त्र कहते हैं।


 
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10:59, 19 अप्रैल 2011 का अवतरण

इससे विश्व का नाश हो जाता हैं यह बाण महाभारतकाल में केवल अर्जुन के पास था। ये वे आयुध जो मन्त्रों से चलाये जाते हैं- ये दैवी हैं। प्रत्येक शस्त्र पर भिन्न-भिन्न देव या देवी का अधिकार होता है और मन्त्र-तन्त्र के द्वारा उसका संचालन होता है। वस्तुत: इन्हें दिव्य तथा मान्त्रिक-अस्त्र कहते हैं।


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