"दुशासन": अवतरणों में अंतर

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महाभारत के युद्ध में [[भीम]] और दु:शासन का भंयकर युद्ध हुआ। अंत में भीम की विजय हुई। भीम ने अपनी गदा से दु:शासन का सिर फोड़ दिया था। भीम ने घोर गर्जना के साथ कहा-'[[कौरव|कौरवों]] की सभा में रजस्वला [[द्रौपदी]] के केश खींचकर उसके वस्त्रों का अपहरण करने वाले दु:शासन! आज तेरा ख़ून पी लूंगा।' तदनंतर दु:शासन ने एक रथ से [[पृथ्वी देवी|पृथ्वी]] पर गिर जाने पर भी अपनी बांह उठाकर कहा, 'यही वह बांह है जिससे मैंने तुम सबके देखते हुए द्रौपदी के बाल खींचे थे।' भीम अत्यंत क्रुद्ध होकर दु:शासन पर कूद पड़ा। उसने उसकी उठी हुई बांह शरीर से उखाड़कर दूर फेंक दी, फिर उसकी छाती चीरकर लहू-पान करने लगा। भीम का भयानक रूप देख सैनिक-चित्रसेन के साथ भागने लगे। राजकुमार ने [[कर्ण]] के भाई चित्रसेन को बाणों से बींधकर मार डाला। <ref>[[महाभारत]], [[कर्ण पर्व महाभारत|कर्णपर्व]], अध्याय 83</ref>
महाभारत के युद्ध में [[भीम]] और दु:शासन का भंयकर युद्ध हुआ। अंत में भीम की विजय हुई। भीम ने अपनी गदा से दु:शासन का सिर फोड़ दिया था। भीम ने घोर गर्जना के साथ कहा-'[[कौरव|कौरवों]] की सभा में रजस्वला [[द्रौपदी]] के केश खींचकर उसके वस्त्रों का अपहरण करने वाले दु:शासन! आज तेरा ख़ून पी लूंगा।' तदनंतर दु:शासन ने एक रथ से [[पृथ्वी देवी|पृथ्वी]] पर गिर जाने पर भी अपनी बांह उठाकर कहा, 'यही वह बांह है जिससे मैंने तुम सबके देखते हुए द्रौपदी के बाल खींचे थे।' भीम अत्यंत क्रुद्ध होकर दु:शासन पर कूद पड़ा। उसने उसकी उठी हुई बांह शरीर से उखाड़कर दूर फेंक दी, फिर उसकी छाती चीरकर लहू-पान करने लगा। भीम का भयानक रूप देख सैनिक-चित्रसेन के साथ भागने लगे। राजकुमार ने [[कर्ण]] के भाई चित्रसेन को बाणों से बींधकर मार डाला। <ref>[[महाभारत]], [[कर्ण पर्व महाभारत|कर्णपर्व]], अध्याय 83</ref>


==टीका-टिप्पणी==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
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13:53, 16 जून 2010 का अवतरण

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दु:शासन वध

महाभारत के युद्ध में भीम और दु:शासन का भंयकर युद्ध हुआ। अंत में भीम की विजय हुई। भीम ने अपनी गदा से दु:शासन का सिर फोड़ दिया था। भीम ने घोर गर्जना के साथ कहा-'कौरवों की सभा में रजस्वला द्रौपदी के केश खींचकर उसके वस्त्रों का अपहरण करने वाले दु:शासन! आज तेरा ख़ून पी लूंगा।' तदनंतर दु:शासन ने एक रथ से पृथ्वी पर गिर जाने पर भी अपनी बांह उठाकर कहा, 'यही वह बांह है जिससे मैंने तुम सबके देखते हुए द्रौपदी के बाल खींचे थे।' भीम अत्यंत क्रुद्ध होकर दु:शासन पर कूद पड़ा। उसने उसकी उठी हुई बांह शरीर से उखाड़कर दूर फेंक दी, फिर उसकी छाती चीरकर लहू-पान करने लगा। भीम का भयानक रूप देख सैनिक-चित्रसेन के साथ भागने लगे। राजकुमार ने कर्ण के भाई चित्रसेन को बाणों से बींधकर मार डाला। [1]

टीका टिप्पणी और संदर्भ


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