"ई": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) No edit summary |
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) No edit summary |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{सूचना बक्सा संक्षिप्त परिचय | |||
'''ई''' [[देवनागरी वर्णमाला]] का चौथा [[स्वर (व्याकरण)|स्वर]] है। भाषाविज्ञान की दृष्टि से यह तालव्य, दीर्घ ('इ' का दीर्घ रूप), अग्र, अवृत्तमुखी, संवृत और घोष है। | |चित्र=ई.jpg | ||
|चित्र का नाम= | |||
|विवरण='''ई''' [[देवनागरी वर्णमाला]] का चौथा [[स्वर (व्याकरण)|स्वर]] है। | |||
|शीर्षक 1=भाषाविज्ञान की दृष्टि से | |||
|पाठ 1= तालव्य, दीर्घ ('[[इ]]' का दीर्घ रूप), अग्र, अवृत्तमुखी, संवृत और घोष है। | |||
|शीर्षक 2=अनुनासिक रूप | |||
|पाठ 2= 'ईँ' है। जैसे- ईँट, छीँट, झीँगुर परन्तु शिरोरेखा की ऊपर की मात्रा के कारण, मुद्रण आदि में सुविधा के लिए, इसे ‘ई’ भी लिखा जाता है। (जैसे- ईंट, छींट, झींगुर)। | |||
|शीर्षक 3=मात्रा | |||
|पाठ 3='ी' (जैसे- की, जी, टी, पी, सी) | |||
|शीर्षक 4=व्याकरण | |||
|पाठ 4= [ [[संस्कृत]] अ (=विष्णु) + ङीष् ] [[स्त्रीलिंग]]- लक्ष्मी, माया, शांति। | |||
|शीर्षक 5= | |||
|पाठ 5= | |||
|शीर्षक 6= | |||
|पाठ 6= | |||
|शीर्षक 7= | |||
|पाठ 7= | |||
|शीर्षक 8= | |||
|पाठ 8= | |||
|शीर्षक 9= | |||
|पाठ 9= | |||
|शीर्षक 10= | |||
|पाठ 10= | |||
|संबंधित लेख=[[अ]], [[आ]], [[इ]], [[ओ]], [[औ]] | |||
|अन्य जानकारी= | |||
|बाहरी कड़ियाँ= | |||
|अद्यतन= | |||
}} | |||
'''ई''' [[देवनागरी वर्णमाला]] का चौथा [[स्वर (व्याकरण)|स्वर]] है। भाषाविज्ञान की दृष्टि से यह तालव्य, दीर्घ ('[[इ]]' का दीर्घ रूप), अग्र, अवृत्तमुखी, संवृत और घोष है। | |||
;विशेष- | ;विशेष- | ||
# 'ई' का अनुनासिक रूप 'ईँ' है। जैसे- ईँट, छीँट, झीँगुर परन्तु शिरोरेखा की ऊपर की मात्रा के कारण, मुद्रण आदि में सुविधा के लिए, इसे ‘ई’ भी लिखा जाता है। (जैसे- ईंट, छींट, झींगुर)। | # 'ई' का अनुनासिक रूप 'ईँ' है। जैसे- ईँट, छीँट, झीँगुर परन्तु शिरोरेखा की ऊपर की मात्रा के कारण, मुद्रण आदि में सुविधा के लिए, इसे ‘ई’ भी लिखा जाता है। (जैसे- ईंट, छींट, झींगुर)। | ||
# ‘ई’ की मात्रा ‘ी’ है जो व्यंजन के दाहिनी ओर लगती है। जैसे- की, जी, टी, पी, सी। | # ‘ई’ की मात्रा ‘ी’ है जो व्यंजन के दाहिनी ओर लगती है। जैसे- की, जी, टी, पी, सी। | ||
# [ [[संस्कृत]] अ (=विष्णु) + ङीष् ] [[स्त्रीलिंग]]- लक्ष्मी, माया, शांति। | |||
==ई अक्षर वाले शब्द== | ==ई अक्षर वाले शब्द== |
13:58, 26 नवम्बर 2016 का अवतरण
ई
| |
विवरण | ई देवनागरी वर्णमाला का चौथा स्वर है। |
भाषाविज्ञान की दृष्टि से | तालव्य, दीर्घ ('इ' का दीर्घ रूप), अग्र, अवृत्तमुखी, संवृत और घोष है। |
अनुनासिक रूप | 'ईँ' है। जैसे- ईँट, छीँट, झीँगुर परन्तु शिरोरेखा की ऊपर की मात्रा के कारण, मुद्रण आदि में सुविधा के लिए, इसे ‘ई’ भी लिखा जाता है। (जैसे- ईंट, छींट, झींगुर)। |
मात्रा | 'ी' (जैसे- की, जी, टी, पी, सी) |
व्याकरण | [ संस्कृत अ (=विष्णु) + ङीष् ] स्त्रीलिंग- लक्ष्मी, माया, शांति। |
संबंधित लेख | अ, आ, इ, ओ, औ |
ई देवनागरी वर्णमाला का चौथा स्वर है। भाषाविज्ञान की दृष्टि से यह तालव्य, दीर्घ ('इ' का दीर्घ रूप), अग्र, अवृत्तमुखी, संवृत और घोष है।
- विशेष-
- 'ई' का अनुनासिक रूप 'ईँ' है। जैसे- ईँट, छीँट, झीँगुर परन्तु शिरोरेखा की ऊपर की मात्रा के कारण, मुद्रण आदि में सुविधा के लिए, इसे ‘ई’ भी लिखा जाता है। (जैसे- ईंट, छींट, झींगुर)।
- ‘ई’ की मात्रा ‘ी’ है जो व्यंजन के दाहिनी ओर लगती है। जैसे- की, जी, टी, पी, सी।
- [ संस्कृत अ (=विष्णु) + ङीष् ] स्त्रीलिंग- लक्ष्मी, माया, शांति।
ई अक्षर वाले शब्द
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख