"राजसूय यज्ञ": अवतरणों में अंतर
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*[[ऐतरेय ब्राह्मण]] इस यज्ञ के करने वाले महाराजों की सूची प्रस्तुत करता है, जिन्होंने अपने राज्यारोहण के | *[[ऐतरेय ब्राह्मण]] इस यज्ञ के करने वाले महाराजों की सूची प्रस्तुत करता है, जिन्होंने अपने राज्यारोहण के पश्चात् [[पृथ्वी देवी|पृथ्वी]] को जीता एवं इस [[यज्ञ]] को किया। | ||
*राजसूय यज्ञ सम्राट का प्रमुख कर्तव्य समझा जाने लगा। | *राजसूय यज्ञ सम्राट का प्रमुख कर्तव्य समझा जाने लगा। | ||
*जनता इसमें भाग लेने लगी एवं इसका पक्ष धार्मिक की अपेक्षा अधिक सामाजिक होता गया। | *जनता इसमें भाग लेने लगी एवं इसका पक्ष धार्मिक की अपेक्षा अधिक सामाजिक होता गया। |
07:29, 7 नवम्बर 2017 के समय का अवतरण
- ऐतरेय ब्राह्मण इस यज्ञ के करने वाले महाराजों की सूची प्रस्तुत करता है, जिन्होंने अपने राज्यारोहण के पश्चात् पृथ्वी को जीता एवं इस यज्ञ को किया।
- राजसूय यज्ञ सम्राट का प्रमुख कर्तव्य समझा जाने लगा।
- जनता इसमें भाग लेने लगी एवं इसका पक्ष धार्मिक की अपेक्षा अधिक सामाजिक होता गया।
- राजसूय यज्ञ चक्रवर्ती राजा बनने के लिए किया जाता था।
- ब्रह्मा ने पूर्वकाल में बड़े समारोह के साथ इस यज्ञ का अनुष्ठान किया था। उसी यज्ञ में दक्ष प्रजापति और शंकर में कलह मच गया था। ब्राह्मणों ने क्रोध में आकर नन्दी को शाप दिया था और नन्दी ने ब्राह्मणों को। यही कारण है कि भगवान शंकर ने दक्ष के यज्ञ को नष्ट कर डाला।
- पूर्वकाल में दक्ष, धर्म, कश्यप, शेषनाग, कर्दममुनि, स्वयंभुव मनु, उनके पुत्र प्रियव्रत, शिव, सनत्कुमार, कपिल तथा ध्रुव ने विष्णु यज्ञ किया था। उसके अनुष्ठान से हज़ारों राजसूय यज्ञों का फल निश्चित रूप से मिल जाता है।
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