भीष्म पर्व महाभारत
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:38, 13 मार्च 2011 का अवतरण (Text replace - "महत्व" to "महत्त्व")
भीष्म पर्व के अन्तर्गत 4 (उप) पर्व हैं और इसमें कुल 122 अध्याय हैं। इन 4 (उप) पर्वों के नाम हैं-
- जम्बूखण्डविनिर्माण पर्व,
- भूमि पर्व,
- श्रीमद्भगवद्गीता पर्व,
- भीष्मवध पर्व।
भीष्म पर्व में कुरुक्षेत्र में युद्ध के लिए सन्नद्ध दोनों पक्षों की सेनाओं में युद्धसम्बन्धी नियमों का निर्णय, संजय द्वारा धृतराष्ट्र को भूमि का महत्त्व बतलाते हुए जम्बूखण्ड के द्वीपों का वर्णन, शाकद्वीप तथा राहु, सूर्य और चन्द्रमा का प्रमाण, दोनों पक्षों की सेनाओं का आमने-सामने होना, अर्जुन के युद्ध-विषयक विषाद तथा व्याहमोह को दूर करने के लिए उन्हें उपदेश (श्रीमद्भगवद्गीता), उभय पक्ष के योद्धाओं में भीषण युद्ध तथा भीष्म के वध और शरशय्या पर लेटकर प्राणत्याग के लिए उत्तरायण की प्रतीक्षा करने आदि का निरूपण है।