श्रीभगवान् बोले –
हे <balloon title="पार्थ, भारत, कुरुश्रेष्ठ, धनंजय, पृथापुत्र, परन्तप, गुडाकेश, निष्पाप, महाबाहो सभी अर्जुन के सम्बोधन है।" style="color:green">कुरुश्रेष्ठ</balloon> ! अब मैं जो मेरी दिव्य विभूतियाँ हैं, उनको तेरे लिये प्रधानता से कहूँगा; क्योंकि मेरे विस्तार का अन्त नहीं है ।।19।।
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Shri Bhagavan said:
Arjuna, now I shall tell you my conspicuous divine glories; for there is no limit to my magnitude. (19)
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