निरन्तर मुझमें मन लगाने वाले और मुझ में ही प्राणों को अर्पण करने वाले भक्तजन मेरी भक्ति की चर्चा के द्वारा आपस में मेरे प्रभाव को जानते हुए तथा गुण और प्रभाव सहित मेरा कथन करते हुए ही निरन्तर सन्तुष्ट होते हैं और मुझ वासुदेव में ही निरन्तर रमण करते हैं ।।9।।
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With their mind fixed on Me, and their lives surrendered to Me, enlightening one another about My greatness and speaking of Me, My devotees ever remain contented and take delight in Me.(9)
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