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विवरण देवनागरी वर्णमाला का चौथा स्वर है।
भाषाविज्ञान की दृष्टि से तालव्य, दीर्घ ('' का दीर्घ रूप), अग्र, अवृत्तमुखी, संवृत और घोष है।
अनुनासिक रूप 'ईँ' है। जैसे- ईँट, छीँट, झीँगुर परन्तु शिरोरेखा की ऊपर की मात्रा के कारण, मुद्रण आदि में सुविधा के लिए, इसे ‘ई’ भी लिखा जाता है। (जैसे- ईंट, छींट, झींगुर)।
मात्रा 'ी' (जैसे- की, जी, टी, पी, सी)
व्याकरण [ संस्कृत अ (=विष्णु) + ङीष्‌ ] स्त्रीलिंग- लक्ष्मी, माया, शांति।
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देवनागरी वर्णमाला का चौथा स्वर है। भाषाविज्ञान की दृष्टि से यह तालव्य, दीर्घ ('' का दीर्घ रूप), अग्र, अवृत्तमुखी, संवृत और घोष है।

विशेष-
  1. 'ई' का अनुनासिक रूप 'ईँ' है। जैसे- ईँट, छीँट, झीँगुर परन्तु शिरोरेखा की ऊपर की मात्रा के कारण, मुद्रण आदि में सुविधा के लिए, इसे ‘ई’ भी लिखा जाता है। (जैसे- ईंट, छींट, झींगुर)।
  2. ‘ई’ की मात्रा ‘ी’ है जो व्यंजन के दाहिनी ओर लगती है। जैसे- की, जी, टी, पी, सी।
  3. [ संस्कृत अ (=विष्णु) + ङीष्‌ ] स्त्रीलिंग- लक्ष्मी, माया, शांति।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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