ढ
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ढ
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विवरण | ढ देवनागरी वर्णमाला में 'टवर्ग' का चौथा व्यंजन है। |
भाषाविज्ञान की दृष्टि से | यह मूर्धन्य, स्पर्श, घोष और महाप्राण ध्वनि है। |
व्याकरण | [ संस्कृत (धातु) ढौक् +ड ] पुल्लिंग- परमात्मा, ध्वनि, नाद, सर्प, कुत्ता, कुत्ते की पूँछ/दुम, बड़ा ढोल। |
विशेष | 'ढ' का ही एक रूप 'ढ़' है जो 'स्पर्श' नहीं 'उक्षिप्त' वर्ण है। स्वरयुक्त 'ढ' का उच्चारण शब्द के आदि के मध्य में ही होता है। जैसे- ढपली, ढीला, बेढ़गा परंतु स्वरयुक्त 'ढ़' का उच्चारण शब्द के मध्य और अंत में ही होता है। जैसे- लुढ़कना, बूढ़ा। |
संबंधित लेख | ट, ड, ढ, ण |
अन्य जानकारी | 'ढ' से पहले आए 'ड्' का संयुक्त रूप 'ड्ढ' लिखा जाता है (जैसे- गड्ढा')। 'ढ' और उसके बाद आने वाले 'य' का संयुक्त रूप 'ढ्य' लिखा जाता है (धनाढ्य)। |
ढ देवनागरी वर्णमाला में 'टवर्ग' का चौथा व्यंजन है। भाषाविज्ञान की दृष्टि से यह मूर्धन्य, स्पर्श, घोष और महाप्राण ध्वनि है।
- विशेष-
- 'ढ' का ही एक रूप 'ढ़' है जो 'स्पर्श' नहीं 'उक्षिप्त' वर्ण है। स्वरयुक्त 'ढ' का उच्चारण शब्द के आदि के मध्य में ही होता है। जैसे- ढपली, ढीला, बेढ़गा परंतु स्वरयुक्त 'ढ़' का उच्चारण शब्द के मध्य और अंत में ही होता है। जैसे- लुढ़कना, बूढ़ा।
- 'ढ' से पहले आए 'ड्' का संयुक्त रूप 'ड्ढ' लिखा जाता है (जैसे- गड्ढा')। 'ढ' और उसके बाद आने वाले 'य' का संयुक्त रूप 'ढ्य' लिखा जाता है (धनाढ्य)।
- [ संस्कृत (धातु) ढौक् +ड ] पुल्लिंग- परमात्मा, ध्वनि, नाद, सर्प, कुत्ता, कुत्ते की पूँछ/दुम, बड़ा ढोल।
ढ की बारहखड़ी
ढ | ढा | ढि | ढी | ढु | ढू | ढे | ढै | ढो | ढौ | ढं | ढः |
ढ अक्षर वाले शब्द
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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