अभिप्रेरक
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
अभिप्रेरक विधिप्रणाली का शब्द है जिसका तात्पर्य ऐसे व्यक्ति से है जो किसी अन्य व्यक्ति को कोई अपराध या ऐसे कार्य के लिए प्रोत्साहित करता है जो संपादित होने पर अपराध होता है। यह आवश्यक है कि वह दूसरा व्यक्ति विधि के समक्ष अपराध करने के योग्य हो तथा उसका उद्देश्य या मनोभाव अभिप्रेरक के उद्देश्य या मनोभाव के सदृश हो। अपराध के संपादन में योग देने के निर्मित्त किया गया कोई भी कार्य, चाहे वह अपराध के पूर्व किया गया हो अथवा बाद में, अपराध करने के तुल्य समझा जाता है। भारतीय दंडविधान में अभिप्रेरक तथा वास्तविक अपराधी को समान रूप से दंड दिया जाता है (भारतीय दंडविधान, धारा 108)।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1 |प्रकाशक: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 178 |