"खुला आसमान -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला" के अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
('{| style="background:transparent; float:right" |- | {{सूचना बक्सा कविता |चित्र=Suryakant Tripathi...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
|||
पंक्ति 33: | पंक्ति 33: | ||
बहुत दिनों बाद खुला आसमान! | बहुत दिनों बाद खुला आसमान! | ||
निकली है धूप, खुश हुआ जहान! | निकली है धूप, खुश हुआ जहान! | ||
− | |||
दिखी दिशाएँ, झलके पेड़, | दिखी दिशाएँ, झलके पेड़, | ||
− | |||
चरने को चले ढोर--गाय-भैंस-भेड़, | चरने को चले ढोर--गाय-भैंस-भेड़, | ||
− | |||
खेलने लगे लड़के छेड़-छेड़-- | खेलने लगे लड़के छेड़-छेड़-- | ||
लड़कियाँ घरों को कर भासमान! | लड़कियाँ घरों को कर भासमान! | ||
− | |||
− | |||
लोग गाँव-गाँव को चले, | लोग गाँव-गाँव को चले, | ||
− | |||
कोई बाजार, कोई बरगद के पेड़ के तले | कोई बाजार, कोई बरगद के पेड़ के तले | ||
− | |||
जाँघिया-लँगोटा ले, सँभले, | जाँघिया-लँगोटा ले, सँभले, | ||
तगड़े-तगड़े सीधे नौजवान! | तगड़े-तगड़े सीधे नौजवान! | ||
− | |||
− | |||
पनघट में बड़ी भीड़ हो रही, | पनघट में बड़ी भीड़ हो रही, | ||
− | |||
नहीं ख्याल आज कि भीगेगी चूनरी, | नहीं ख्याल आज कि भीगेगी चूनरी, | ||
− | |||
बातें करती हैं वे सब खड़ी, | बातें करती हैं वे सब खड़ी, | ||
चलते हैं नयनों के सधे बाण! | चलते हैं नयनों के सधे बाण! |
14:06, 24 अगस्त 2011 का अवतरण
| ||||||||||||||||||
|
बहुत दिनों बाद खुला आसमान! |
संबंधित लेख