"प्रतीक्षा -हरिवंश राय बच्चन" के अवतरणों में अंतर
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+ | |चित्र=Harivanshrai-Bachchan.jpg | ||
+ | |चित्र का नाम=हरिवंश राय बच्चन | ||
+ | |कवि=[[हरिवंश राय बच्चन]] | ||
+ | |जन्म=[[27 नवंबर]], [[1907]] | ||
+ | |जन्म भूमि=[[इलाहाबाद]], [[उत्तर प्रदेश]] | ||
+ | |मृत्यु=[[18 जनवरी]], [[2003]] ई. | ||
+ | |मृत्यु स्थान=[[मुंबई]], [[महाराष्ट्र]] | ||
+ | |मुख्य रचनाएँ=[[मधुशाला]], मधुबाला, मधुकलश, तेरा हार, निशा निमंत्रण, मैकबेथ, जनगीता, दो चट्टाने | ||
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+ | ! हरिवंश राय बच्चन की रचनाएँ | ||
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<poem>मधुर प्रतीक्षा ही जब इतनी, प्रिय तुम आते तब क्या होता? | <poem>मधुर प्रतीक्षा ही जब इतनी, प्रिय तुम आते तब क्या होता? | ||
मौन रात इस भाँति कि जैसे, कोई गत वीणा पर बज कर, | मौन रात इस भाँति कि जैसे, कोई गत वीणा पर बज कर, | ||
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और दिशाओं से प्रतिध्वनियाँ, जाग्रत सुधियों-सी आती हैं, | और दिशाओं से प्रतिध्वनियाँ, जाग्रत सुधियों-सी आती हैं, | ||
कान तुम्हारी तान कहीं से यदि सुन पाते, तब क्या होता? | कान तुम्हारी तान कहीं से यदि सुन पाते, तब क्या होता? | ||
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तुमने कब दी बात रात के सूने में तुम आनेवाले, | तुमने कब दी बात रात के सूने में तुम आनेवाले, | ||
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रग-रग में चेतनता घुलकर, आँसु के कण-सी झर जाती, | रग-रग में चेतनता घुलकर, आँसु के कण-सी झर जाती, | ||
नमक डली-सा गल अपनापन, सागर में घुलमिल-सा जाता, | नमक डली-सा गल अपनापन, सागर में घुलमिल-सा जाता, | ||
− | अपनी बाहों में भरकर प्रिय, कण्ठ लगाते तब क्या होता?</poem> | + | अपनी बाहों में भरकर प्रिय, कण्ठ लगाते तब क्या होता? |
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11:52, 12 जनवरी 2013 के समय का अवतरण
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मधुर प्रतीक्षा ही जब इतनी, प्रिय तुम आते तब क्या होता? |
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