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द्रुत झरो जगत के जीर्ण पत्र!
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हिम-ताप-पीत, मधुवात-भीत,
 
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तुम वीत-राग, जड़, पुराचीन!!
 
तुम वीत-राग, जड़, पुराचीन!!
  
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जीव की मांसल हरियाली!
 
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जग कर जग का पिक, मतवाली
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निज अमर प्रणय-स्वर मदिरा से
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भर दे फिर नव-युग की प्याली!
 
 
 
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13:54, 30 जून 2017 के समय का अवतरण

द्रुत झरो जगत के जीर्ण पत्र -सुमित्रानंदन पंत
सुमित्रानंदन पंत
कवि सुमित्रानंदन पंत
जन्म 20 मई 1900
जन्म स्थान कौसानी, उत्तराखण्ड, भारत
मृत्यु 28 दिसंबर, 1977
मृत्यु स्थान प्रयाग, उत्तर प्रदेश
मुख्य रचनाएँ वीणा, पल्लव, चिदंबरा, युगवाणी, लोकायतन, हार, आत्मकथात्मक संस्मरण- साठ वर्ष, युगपथ, स्वर्णकिरण, कला और बूढ़ा चाँद आदि
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
सुमित्रानंदन पंत की रचनाएँ

द्रुत झरो जगत् के जीर्ण पत्र!
हे स्रस्त-ध्वस्त! हे शुष्क-शीर्ण!
हिम-ताप-पीत, मधुवात-भीत,
तुम वीत-राग, जड़, पुराचीन!!

निष्प्राण विगत-युग! मृतविहंग!
जग-नीड़, शब्द औ' श्वास-हीन,
च्युत, अस्त-व्यस्त पंखों-से तुम
झर-झर अनन्त में हो विलीन!

कंकाल-जाल जग में फैले
फिर नवल रुधिर,-पल्लव-लाली!
प्राणों की मर्मर से मुखरित
जीव की मांसल हरियाली!

मंजरित विश्व में यौवन के
जग कर जग का पिक, मतवाली
निज अमर प्रणय-स्वर मदिरा से
भर दे फिर नव-युग की प्याली!





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