"धू धू कर जल रही है चिता मेरी -वंदना गुप्ता" के अवतरणों में अंतर
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वो भूल जाता है | वो भूल जाता है | ||
और प्रेम की आंच पर ही | और प्रेम की आंच पर ही | ||
− | + | ख़ाली देग सा धधकता है | |
नहीं जान पायी आज तक | नहीं जान पायी आज तक | ||
क्यूंकि | क्यूंकि | ||
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एक अंश , एक कण , एक क्षण भी प्रेम का | एक अंश , एक कण , एक क्षण भी प्रेम का | ||
− | फिर कैसे मानूँ प्रेम के | + | फिर कैसे मानूँ प्रेम के स्वरूप को |
कैसे स्वीकारूँ प्रेम के रूप को | कैसे स्वीकारूँ प्रेम के रूप को | ||
कैसे साकार करूँ निराकार को | कैसे साकार करूँ निराकार को |
13:19, 29 अक्टूबर 2017 के समय का अवतरण
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प्रेम |
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